धर्मातरण में जुटी संस्थाएं हों प्रतिबंधित : स्वामी सच्चिदानंद
अंतरराष्ट्रीय वेद प्रचारक स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती ने कहा कि धर्मातरण ने भारत की वैदिक सभ्यता संस्कृति और संस्कारों को क्षति पहुंचाई है। देश की एकता अखंडता और संप्रभुता के लिए केंद्र सरकार धर्मांतरण में जुटी संस्थाओं को प्रतिबंधित करे।
मुजफ्फरनगर, जेएनएन। अंतरराष्ट्रीय वेद प्रचारक स्वामी सच्चिदानंद सरस्वती ने कहा कि धर्मातरण ने भारत की वैदिक सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों को क्षति पहुंचाई है। देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए केंद्र सरकार धर्मांतरण में जुटी संस्थाओं को प्रतिबंधित करे।
शहर के संतोष विहार में वैदिक संस्कार चेतना केंद्र पर श्री कृष्ण क्रांति गोशाला रिवाला धाम, जयपुर से पधारे स्वामी सच्चिदानन्द सरस्वती का आर्य समाज के पदाधिकारियों ने अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण ने हिदू समाज को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचाई है। मुल्क के बंटवारे के बाद देश में सुनियोजित षडयंत्र के तहत आदिवासी, जनजाति और गरीब हिदुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया, ताकि सनातन वैदिक संस्कृति को खंडित किया जा सके। राष्ट्रविरोधी ताकतें बार-बार सांप्रदायिक दंगे फैलाकर देश को पुन: बांटना चाहती हैं। दिल्ली में कराए गए दंगे की साजिश से साबित हो गया है। कहा कि देश को बचाने के लिए एकजुट होकर धर्मांतरण का विरोध कीजिए। राष्ट्रीय भावना से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। मातृभूमि की रक्षा के लिए युवा आगे आएं और राष्ट्र की संस्कृति, संस्कार, चरित्र, देशभक्ति और धर्म का पालन करें। जन-जन के आराध्य श्री राम ने कहा था कि जननी जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है।
वैदिक संस्कार चेतना अभियान संयोजक आचार्य गुरुदत्त आर्य ने कहा कि नौजवान महर्षि दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद, शहीद भगत सिंह, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय के बलिदान से राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा लें। आनंदपाल सिंह आर्य, मंगत सिंह आर्य, सोमपाल सिंह, गजेंद्र राणा, सतीश आर्य, योगेश्वर दयाल, सुनील मलिक, राजेन्द्र प्रसाद आर्य आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता आचार्य गुरुदत्त आर्य एवं संचालन आरपी शर्मा ने किया।