योजनाओं पर अमल, सपने रह गए अधूरे
प्रदेश सरकार के बजट से जनपदवासियों को ढेरों उम्मीदें थीं। तीर्थनगरी शुकतीर्थ के विकास को छोड़कर सीधे तौर पर सरकार ने जिले के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की है लेकिन संचालित योजनाओं को धार दी है जिससे जिले के लोगों को आगामी दिनों में लाभ मिलेगा। जिलेवासियों की कुछ उम्मीदों को झटका लगा हैं। सहकारी शुगर मिल मोरना की क्षमता वृद्धि की पूरी उम्मीद थी। इसके अलावा मेडिकल और स्पोर्ट्स कालेज को हरी झंडी मिलने की संभावना थी।
जेएनएन, मुजफ्फरनगर। प्रदेश सरकार के बजट से जनपदवासियों को ढेरों उम्मीदें थीं। तीर्थनगरी शुकतीर्थ के विकास को छोड़कर सीधे तौर पर सरकार ने जिले के लिए कोई बड़ी घोषणा नहीं की है, लेकिन संचालित योजनाओं को धार दी है, जिससे जिले के लोगों को आगामी दिनों में लाभ मिलेगा। जिलेवासियों की कुछ उम्मीदों को झटका लगा हैं। सहकारी शुगर मिल मोरना की क्षमता वृद्धि की पूरी उम्मीद थी। इसके अलावा मेडिकल और स्पोर्ट्स कालेज को हरी झंडी मिलने की संभावना थी।
केंद्र सरकार के बाद सोमवार को प्रदेश सरकार ने बजट जारी किया है। बजट से पूर्व जिले के लोग कई उम्मीदें लगाए बैठे थे। इनमें से कुछ पूरी होती दिखाई दी हैं, जबकि कुछ अधूरी रह गई हैं। बजट से तीर्थनगरी शुकतीर्थ को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित करने को बल मिला है। वहीं, दिल्ली से मेरठ तक रैपिड रेल परियोजना को बजट आवंटन से इसके मुजफ्फरनगर तक आने की उम्मीद बंधी है। केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान एक साल से इसके लिए प्रयासरत हैं। प्रदेश सरकार की हरी झंडी के बाद अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। बजट में किसानों को पांच लाख रुपये तक बीमा देने और फ्री सिचाई का प्रावधान किया गया है। इससे किसानों की आय में इजाफा होगा। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी व ग्रामीण का बजट बढ़ने से जिले के पात्रों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा। पात्रों को समय से किस्त मिलेगी। जिले में 50 हजार से अधिक लोग इस योजना से लाभांवित हो चुके हैं। कान्हा गोशाला का बजट बढ़ने से जिले में नई गोशालाओं का निर्माण होगा, जिससे बेसहारा पशुओं की समस्या का निस्तारण हो सकेगा।
इनके साथ ही जिलेवासियों की कई उम्मीदों को झटका लगा है। जिले में स्पोर्ट्स कालेज की उम्मीद थी। इसके लिए केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान और बुढ़ाना विधायक उमेश मलिक ने बीते दिनों प्रस्ताव भेजा था। इससे युवाओं को उम्मीद थी कि जिले में पहला स्पोर्ट्स कालेज बनेगा और उन्हें तैयारी के लिए दूसरे जिलों में नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन युवाओं को मायूसी हाथ लगी है। जिले में मेडिकल कालेज को हरी झंडी मिलने की संभावना थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इस बार प्रबल संभावना थी कि सहकारी शुगर मिल मोरना की पेराई क्षमता बढ़ेगी। एक दशक से अधिक समय से किसान इसकी मांग कर रहे हैं। भाजपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी इसके लिए प्रयास किया है। बजट में इस प्रकार का प्रावधान नहीं होने से किसान निराश हैं। सीमावर्ती जनपद सहारनपुर और मेरठ को स्मार्ट सिटी की सौगात मिली है, लेकिन जिले के लिए घोषणा नहीं की गई।