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सरकार की उदासीनता के पर्दें में राजकीय संग्रहालय

ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिले में बने राजकीय संग्रहालय अब सरकार की उदासीनता की मार झेल रहे हैं। जिले में ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए संग्रहालय तो बना हुआ है लेकिन उसमे पौराणिक कलाकृतियों के अलावा अन्य कोई ऐतिहासिक धरोहर नहीं बची है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 10:37 PM (IST)Updated: Mon, 18 May 2020 06:10 AM (IST)
सरकार की उदासीनता के पर्दें में राजकीय संग्रहालय
सरकार की उदासीनता के पर्दें में राजकीय संग्रहालय

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। ऐतिहासिक धरोहरों और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जिले में बने राजकीय संग्रहालय अब सरकार की उदासीनता की मार झेल रहे हैं। जिले में ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने के लिए संग्रहालय तो बना हुआ है, लेकिन उसमे पौराणिक कलाकृतियों के अलावा अन्य कोई ऐतिहासिक धरोहर नहीं बची है। राजकीय संग्रहालयों के उत्थान के लिए बजट न होने से वहां रखी कलाकृतियों के साथ भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। संग्रहालय को जीवित रखने के लिए जिम्मेदार खानापूर्ति कर रहे हैं।

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शहर के महावीर चौक स्थित राजकीय पुस्तकालय परिसर में बने राजकीय शैक्षणिक संग्रहालय की स्थापना 1959 में हुई थी। संग्रहालय की स्थापना के बाद भी उसे अस्तित्व में आने में दस वर्ष का समय लगा था। उस समय संग्रहालय में ऐतिहासिक धरोहरों को रखने को हुए कार्याें में भू-गर्म से निकली मूल्यवान कलाकृतियों को रखा जाने लगा। इसमें पुरकाजी क्षेत्र से पूर्व में निकली तोप भी रखी गई, जो वर्ष 2011 तक संग्रहालय में रखी रही, लेकिन बाद में तोप को वहां से हटाकर शीर्ष अधिकारियों के आवास पर रखवा दिया था। जानकारों की माने तो मुगल और ब्रिटिशकाल के सोने के सिक्के और अन्य निशानी भी वहां होती थी, जो धीरे-धीरे गायब होती चली गई। सुरक्षा का इंतजाम न होने से सोने के सिक्के और अन्य सामानों को लखनऊ भिजवा दिया। इस समय संग्रहालय में केवल गिनी-चुनी कलाकृतियां और शस्त्र के हिस्से रखे हैं, जो हडप्पा सभ्यता के बताए जाते हैं। जिलाधिकारी पर संग्रहालय की अध्यक्ष की जिम्मेदारी है, फिर भी संग्रहालय केवल एक छोटे से कमरे में शेष कलाकृतियों के भरोसे अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। अलग से बजट न मिलने के कारण संग्रहालय की स्थिति का सरकार को ही जिम्मेदार माना जाने लगा है। सुरक्षा के नहीं इंतजाम, तोप बढ़ा रही बंगलों की शोभा

राजकीय शैक्षणिक संग्रहालय में सुरक्षा के कोई बंदोबस्त नहीं है। यह भी कारण हो सकते हैं कि यहां पूर्व में रखे सोने के सिक्के और कीमती धरोहर वहां से हटाई जा चुकी है। मेरठ रोड स्थित डीएम आवास के बाहर रखी दो व एसएसपी के आवास में रखी एक तोप भी राजकीय संग्रहालय के लिए भी पहुंची थी, लेकिन सुरक्षा न होने के कारण उन्हें ऐसे स्थानों पर रखवाया गया, जहां 24 घंटे सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इनका कहना है---

राजकीय शैक्षणिक संग्रहालय में केवल कलाकृतियां ही रखी हुई है। जीआइसी के सहायक अध्यापक को संरक्षक प्रभारी बनाया हुआ है। संग्रहालय के विकास के लिए सरकार ने लंबे समय से कोई ग्रांट नहीं दी है। सरकार ध्यान दे तो संग्रहालय का कायाकल्प होगा।

- ब्रजेश कुमार, प्रधानाचार्य, जीआइसी


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