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गंगा को फिर जगी 'भगीरथ' की आस

मनीष शर्मा मुजफ्फरनगर इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है। एक चिगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तों इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है।।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2020 12:11 AM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2020 12:11 AM (IST)
गंगा को फिर जगी 'भगीरथ' की आस
गंगा को फिर जगी 'भगीरथ' की आस

मनीष शर्मा, मुजफ्फरनगर

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इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है।

एक चिगारी कहीं से ढूंढ लाओ दोस्तों, इस दीये में तेल से भीगी हुई बाती तो है।।

पीर खुशहाल के तिलिस्म पर गरजे 'महाबली' ने जनकवि दुष्यंत कुमार के इन अल्फाजों को जिदा कर दिया। वन विभाग की जमीन पर पट्टा अवधि खत्म होने के सालों बाद तक चले आ रहे कब्जे को हटाने के मामले में केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान की सक्रियता के चलते प्रशासनिक हरकत मंद नहीं पड़ी। इससे इतर वन विभाग समेत अन्य सरकारी विभागों की सैकड़ों बीघा जमीनों पर अभी भी अवैध कब्जे हैं। यहां तक कि माफिया ने गंगा तक को नहीं बख्शा। उम्मीद की जानी चाहिए कि चिल्लागाह के बाद अब सती वैश्यान और हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य की और जमीनें भी कब्जामुक्त होंगी।

गंगा की तलहटी के हटियावाला कदीम गांव का कुल रकबा 107.378 हेक्टेयर है, जिसमें करीब 10 हेक्टेयर गंगा और 92.5110 हेक्टेयर वन्य जीव अभयारण्य में दर्ज है। सेन्सस रिपोर्ट में यह गांव गैर आबाद है, लेकिन यहां गन्ने की फसल लहलहा रही है। गन्ना विभाग ने गत वर्ष यहां तकरीबन 146 हेक्टेयर जमीन पर मिल पर्चियां जारी कीं। नित्यानंदपुर, जलालपुर नीला, मुजाहिदपुर एहतमाली, मुजाहिदपुर गैरअहतमाली समेत गंगा की तलहटी के दर्जनों गैरआबाद गांवों की सैकड़ों बीघा जमीन भूमाफिया के कब्जे में हैं। तकरीबन छह साल पहले तत्कालीन डीएम कौशलराज शर्मा, एडीएम एफआर रामकिशन शर्मा व एडीएम ई डा. इंद्रमणि त्रिपाठी ने माफिया के खिलाफ कार्रवाई करते हुए हजारों बीघा जमीन कब्जामुक्त कराई थी। लेकिन, कुर्सियों पर चेहरे बदलने और समय बीतने के साथ ही फिर लगभग वही हालात हो गए। अब सांसद समेत अन्य जनप्रतिनिधियों की मुस्तैदी से आस बंधती दिखी है। कब्जे की पुष्टि के बाद भी हुकूमत मौन

हस्तिनापुर वन्य जीव अभयारण्य के अधीन पुट्ठी इब्राहिमपुर गांव में वन विभाग की सैकड़ों बीघा जमीन पर एक शिक्षण संस्थान व एक कारखाने के अवैध कब्जे की पुष्टि सालों पहले सरकारी जांच में हो चुकी है। सरकारी धींगामुश्ती और लापरवाही के नतीजतन स्थिति यथावत है। शायद मौजूदा सत्तारूढ़ों की नजर अब कब्जे पर जा सके। सती वैश्यान की 16 बीघा जमीन सभा की

नगर में ही सती वैश्यान की 16 बीघा बेशकीमती जमीन के भी कब्जामुक्त होने की उम्मीद की जा सकती है। राज्यमंत्री कपिलदेव अग्रवाल के पत्र के बाद प्रशासन और वैश्य सभा दोनों हरकत में तो दिख रहे हैं, लेकिन इस प्रकरण में भी पीर खुशहाल के चिल्लागाह के ध्वस्तीकरण सरीखी मुस्तैदी दिखे तो बात बने। गुम हुई वक्फ की संपत्तियां, तालाब-पोखर और झीलें

जिला मुख्यालय समेत खतौली और अन्य तहसीलों में वक्फ की भी करोड़ों रुपये की जमीन व अन्य संपत्तियां गुम हो गई। गांव-कस्बों के तालाब-पोखरों और झीलों पर मकान और आलीशान कॉम्पलेक्स आबाद हैं। वक्फ की इन संपत्तियों के साथ ये तालाब-पोखर और झीलें भी देर-सबेर अपनी मुक्ति को उम्मीदबर हो सकती हैं।


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