मेरठ मेडिकल कालेज के भरोसे आपातकालीन सेवा
विधानसभा चुनाव के बीच लोगों की आम समस्याएं बड़ा मुद्दा बन रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था भी इस चुनाव में मुद्दे के रूप सामने आ रही है। जिले में सरकारी मेडिकल कालेज न होने की परेशानी झेल रहे मुजफ्फरनगर शहर सहित देहात के लोगों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में सुविधाओं और चिकित्सकों की दरकार है। जनता ने चुनाव में वोट मांगने मैदान में उतरे प्रत्याशियों के समक्ष इस समस्या को रखने पर भी विचार कर लिया है।
मुजफ्परनगर, जेएनएन। विधानसभा चुनाव के बीच लोगों की आम समस्याएं बड़ा मुद्दा बन रही हैं। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था भी इस चुनाव में मुद्दे के रूप सामने आ रही है। जिले में सरकारी मेडिकल कालेज न होने की परेशानी झेल रहे मुजफ्फरनगर शहर सहित देहात के लोगों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी में सुविधाओं और चिकित्सकों की दरकार है। जनता ने चुनाव में वोट मांगने मैदान में उतरे प्रत्याशियों के समक्ष इस समस्या को रखने पर भी विचार कर लिया है।
मुजफ्फरनगर में जिला अस्पताल, जिला महिला अस्पताल सहित कई सीएचसी पर तमाम सुविधाएं मिल रही हैं, लेकिन इस बीच कुछ महत्वपूर्ण सुविधाएं नदारद हैं। इन्हीं समस्या को दूर कराने की जनता को सरकार से उम्मीद है। शहर के कई मोहल्लों सहित अलग-अलग विधानसभा के लोग इस परेशानी को झेलने के कारण जिले में मेडिकल कालेज या फिर जिला अस्पताल की इमरजेंसी में कई प्रकार की सुविधाओं की कमी को दूर कराना चाहते हैं। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में वर्तमान में तीन इमरजेंसी मेडिकल आफिसर तैनात हैं। इसके बाद भी प्रतिदिन दस से अधिक मरीजों को मेरठ स्थित एलएलआरएम मेडिकल कालेज में रेफर किया गया जाता है। इसका कारण जिला अस्पताल की इमरजेंसी में कई जरूरी मेडिकल सुविधाएं न होना है।
जानसठ के सतीश कुमार का कहना है कि मुजफ्फरनगर से गंभीर मरीजों को तुरंत मेरठ के लिए रेफर किया जाता है। शहर निवासी लोगों का कहना है कि मुजफ्फरनगर में अन्य अस्ताल में रेफर कराने के लिए खुद से निजी वाहन उपलब्ध कराना पड़ता है, जो इमरजेंसी के समय बड़ी परेशानी बनती है। इमरजेंसी में नहीं ये सुविधाएं
जिले के विभिन्न क्षेत्रों में घायल या बीमार मरीजों को जिला अस्पताल की इमरजेंसी के लिए रेफर किया जाता है, लेकिन इमरजेंसी में फिजीशियन चिकित्सक होने से कम ही परामर्श मिल पता है, जिस कारण मेरठ मेडिकल का सहारा लेना पड़ता है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में गुर्दो की बीमारी से गंभीर मरीजों को इलाज के लिए चिकित्सक का अभाव झेलना पड़ता है। इसके साथ न्यूरो सर्जन सहित दिमाग के चिकित्सक भी तैनाती नहीं है। बच्चों की आइसीयू, जनरल एसीसीयू का अभाव है, जिस कारण हेड इंजरी सहित अन्य गंभीर बीमारी में मेरठ मेडिकल का सहारा लेना पड़ता है।