अपने अधिकार वाली चीजों का ही होता है दान : विकास
विकास कुमार जैन ने कहा कि त्याग बुरी चीजों का किया जाता है। दान केवल उन्हें चीजों का किया जा सकता है, जो हमारे अधिकार में होता है।
खतौली : पर्यूषण पर्व यानी दशलक्षण पर्व के उपलक्ष्य में शुक्रवार को जैन मंदिरों में उत्तम त्याग को जीवन में अपनाने के लिए पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर ललितपुर के विद्वान पं. विकास कुमार जैन ने कहा कि त्याग बुरी चीजों का किया जाता है। दान केवल उन्हें चीजों का किया जा सकता है, जो हमारे अधिकार में होता है।
श्रीकुंद-कुंद जैन महाविद्यालय में चल रही कार्यशाला में पं. विकास जैन ने कहा कि चारित्र दो प्रकार के होते हैं। सकिल चारित्र व देश चारित्र, जिसमें से देश चारित्र श्रावकों में पाया जाता है, जिसमें पांच अणुव्रत मुख्य होते हैं। अ¨हसाणुव्रत, अचौर्याणुव्रत, सत्याणुव्रत, ब्रह्मचर्यावणुव्रत व परिग्रह परिमाणव्रत। श्रावकों को अन्याय, अनीति व अभच्य का संपूर्ण त्यागी होना चाहिए। अंत में प्रश्नोत्तरी में अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन की ओर से उत्तर बताने वालों को पुरस्कृत किया। कार्यक्रम में कॉलेज प्रबंध समिति के सचिव मुकेश जैन, कुंद-कुंद जैन एजुकेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव जैन, मनोज जैन, सुशील जैन व कल्पेंद्र जैन आदि मौजूद रहे।
उधर, जैन मंदिरों में उत्तम त्याग धर्म जीवन में अपनाने के लिए पूजा-अर्चना की गई। विद्वानों और विधानाचार्यो ने उत्तम त्याग के बारे में विस्तार से बताया।