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करोड़ों खर्च फिर भी नहीं मिला पीने का पानी

जानसठ में लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके दर्जनों गांवों में पानी की टंकी तो बनवा दी लेकिन वर्षो बीतने के बाद भी पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई। रखरखाव के अभाव में अब टंकियां जीर्ण अवस्था में हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Nov 2020 09:55 PM (IST)Updated: Wed, 18 Nov 2020 09:55 PM (IST)
करोड़ों खर्च फिर भी नहीं मिला पीने का पानी
करोड़ों खर्च फिर भी नहीं मिला पीने का पानी

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जानसठ में लोगों को पीने का पानी मुहैया कराने के लिए सरकार ने करोड़ों रुपये खर्च करके दर्जनों गांवों में पानी की टंकी तो बनवा दी, लेकिन वर्षो बीतने के बाद भी पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई। रखरखाव के अभाव में अब टंकियां जीर्ण अवस्था में हैं।

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ग्रामीणों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से क्षेत्र के भलेड़ी, काटका, कवाल, चित्तौड़ा, जंधेडी, मेहलकी आदि गांवों में सरकार ने पानी की टंकी बनवाई थी। हालांकि आज तक लोगों को स्वच्छ पानी नसीब नहीं हो पाया है। इन टंकियों को बनाने के साथ ही गांवों में पाइप लाइन तक बिछाई गई थी, लेकिन उनमें कभी पानी नहीं चल सका। कई गांवों में बिजली के ट्रांसफार्मर तक नहीं लग पाए तो कुछ में लगने के बाद उनको चोर उतार कर ले गए। इन टंकियों का निर्माण सालों पहले जल निगम ने कराया था, जिसमें प्रत्येक गांव में करोड़ों का खर्च आया था। कवाल गांव निवासी जगदीश, इकराम व सुनील ने बताया कि टंकी का निर्माण होने के बावजूद आज तक पानी नहीं मिल पाया। उन्होंने बताया कि पहले तो हमारे गांव में पानी का स्तर करीब बीस फीट था, लेकिन अब 100 फीट तक जा पहुंचा है। कम बोरिग वाले नलों से स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है। नया बोरिग कराना अब गरीब के बूते की बात नहीं है। लोगों ने सरकार से इन टंकियों को चलाने की मांग की है ताकि स्वच्छ पानी मिल सके। कई परिसर बने गोबर पाथने का स्थान

इन टंकियों के परिसर भी बनाकर उसकी चारदीवारी कर दी गई थी, लेकिन गांव के लोगों ने उस परिसर को गोबर पाथने का स्थान बनाकर रख दिया है। कई परिसरों में गांव का कूड़ा एकत्र किया जा रहा है। कवाल गांव के प्रधानपति इस्लाम ने बताया कि गांव के लोगों को कई बार मना किया जा चुका है, लेकिन कोई मानता नहीं है। पानी की टंकी के रखरखाव के लिए कोई बजट नहीं मिला है और न ही उसे चलाकर गांव पंचायत के सुपुर्द ही किया गया है।


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