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बुढ़ाना में रोडवेज बस स्टैंड की उठ रही मांग

बुढ़ाना कस्बे की आबादी आठ लाख से अधिक है। यहां सुविधाएं गांव जैसी बनी है। भरपूर रास्ते और क्षेत्र होने के बाद भी रोडवेज बस स्टैंड स्थापित नहीं हो सका है। पिछले कई साल से कस्बेवासी बस स्टैंड की मांग कर रहे हैं। मेरठ-करनाल हाईवे के साथ कई जनपदों की सीमा यहां से जुड़ी है। यातायात के लिए निजी बस सेवा और वाहनों के भरोसे रहना पड़ता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 11:39 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 11:39 PM (IST)
बुढ़ाना में रोडवेज बस स्टैंड की उठ रही मांग
बुढ़ाना में रोडवेज बस स्टैंड की उठ रही मांग

मुजफ्फरनगर, जेएनएन। बुढ़ाना कस्बे की आबादी आठ लाख से अधिक है। यहां सुविधाएं गांव जैसी बनी है। भरपूर रास्ते और क्षेत्र होने के बाद भी रोडवेज बस स्टैंड स्थापित नहीं हो सका है। पिछले कई साल से कस्बेवासी बस स्टैंड की मांग कर रहे हैं। मेरठ-करनाल हाईवे के साथ कई जनपदों की सीमा यहां से जुड़ी है। यातायात के लिए निजी बस सेवा और वाहनों के भरोसे रहना पड़ता है।

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तहसील मुख्यालय से मुजफ्फरनगर, शामली, कांधला, बड़ौत व खतौली आदि की दूरी लगभग 30 किमी है। मेरठ भी यहां से 45 किमी है। क्षेत्र के शाहपुर, सिसौली, फुगाना का केंद्र भी बुढ़ाना ही है। इसके बावजूद परिवहन की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है। कस्बे में यात्री तिराहों पर खुले आसमान के नीचे खड़े होकर रोडवेज बसों का इंतजार करते हैं। कस्बावासियों ने कई बार परिवहन विभाग और जनप्रतिनिधियों से रोडवेज बस अड्डे की मांग की, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। इससे यहां के लोगों में रोष है।

विद्यार्थियों को भी परेशानी

कस्बे के साथ आसपास के दर्जनभर गांवों से सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ने के लिए मुजफ्फरनगर, बड़ौत और मेरठ के कॉलेजों में जाते हैं। व्यापारी वर्ग भी अपने कारोबार के सिलसिले में शहरों व महानगरों की यात्रा करते हैं। इसके बावजूद तहसील मुख्यालय पर रोडवेज बस अड्डा नहीं होने से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है।

इन्होंने कहा

पढ़ाई के लिए बाहर जाना होता है। लेकिन रोडवेज अड्डा न होने से कई बार बसों में सही से खड़े होने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती। इससे छात्राओं को बहुत परेशानी होती है।

प्रियंका शर्मा, बीटीसी छात्रा

यातायात के साधन बेहतर नहीं हैं। ऐसे में कहीं बाहर चले जाएं तो जल्द ही वापसी की चिता बनी रहती है, क्योंकि रात में यहां आने का कोई साधन नही है।

शहनाज सैफी, शिक्षिका

रोडवेज अड्डा न होने की वजह से बुजुर्ग व महिलाओं को काफी परेशानी होती है। कस्बे से गुजरने वाली बसों में पहले ही सब सीट भरी होती हैं।

महेश कुमार, वरिष्ठ नागरिक

रोडवेज बसों के समय व संख्या का सही से संचालन न होने से व्यापारी अन्य संसाधनों का प्रयोग करते है। यदि क्षेत्र में रोजवेज डिपो बन जाए तो व्यापारियों के साथ ही अन्य यात्रियों को भी लाभ मिलेगा।

-दीपक गर्ग, व्यापारी


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