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गोल्ड हालमार्क व्यवस्था को लेकर ज्वैलर्स में असमजंस, संशोधन की दरकार

गोल्ड हालमार्क व्यवस्था लागू करने के फैसले पर जिले के ज्वैलर्स सरकार की योजना से सहमत दिखाई दे रहे हैं लेकिन सर्राफ व्यापारियों में सरकार की गाइडलाइन को लेकर अभी असमंसज की स्थिति कायम है। जिले के सर्राफ व्यापारी बीआइएस स्टैंडर्ड की श्रेणी में 20 कैरेट गोल्ड को शामिल करने के लिए जोर दे रहे हैं। हालांकि सभी प्रकार की गोल्ड श्रेणी पर के विक्रय करने के लिए लैब से टेस्टिग होने से व्यापारियों को कोई परेशानी नही है। कुछ संशोधनों कर ही इस व्यवस्था को लागू करने की मांग उठाई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 10:54 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 10:54 PM (IST)
गोल्ड हालमार्क व्यवस्था को लेकर ज्वैलर्स में असमजंस, संशोधन की दरकार
गोल्ड हालमार्क व्यवस्था को लेकर ज्वैलर्स में असमजंस, संशोधन की दरकार

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। गोल्ड हालमार्क व्यवस्था लागू करने के फैसले पर जिले के ज्वैलर्स सरकार की योजना से सहमत दिखाई दे रहे हैं, लेकिन सर्राफ व्यापारियों में सरकार की गाइडलाइन को लेकर अभी असमंसज की स्थिति कायम है। जिले के सर्राफ व्यापारी बीआइएस स्टैंडर्ड की श्रेणी में 20 कैरेट गोल्ड को शामिल करने के लिए जोर दे रहे हैं। हालांकि सभी प्रकार की गोल्ड श्रेणी पर के विक्रय करने के लिए लैब से टेस्टिग होने से व्यापारियों को कोई परेशानी नही है। कुछ संशोधनों कर ही इस व्यवस्था को लागू करने की मांग उठाई जा रही है।

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सरकार गोल्ड हालमार्क व्यवस्था 15 जून से लागू करने जा रही है। सरकार की तरफ से जारी आदेश में सभी ज्वैलर्स को सोने के गहने या कलाकृति के विक्रय पर बीआइएस स्टैंडर्ड के मानकों को पूरा करना होगा, जो लैब से टेस्ट होने के बाद ही पूरे माने जाएंगे। इसके तहत सभी ज्वैलर्स को अपना पंजीकरण भी कराना पड़ेगा, जिससे यह तय होगा कि मुजफ्फरनगर या अन्य जिलों में कितने सोने के गहने या कलाकृतियों की बिक्री हो रही है। क्योंकि अब बिक्री से पहले लैब से बीआइएस स्टैंडर्ड पास कराना होगा, जिसका रिकार्ड भी रहेगा। मुजफ्फरनगर के अधिकतर सर्राफ व्यापारी सरकार की इस व्यवस्था को पूरी तरह नहीं समझ पा रहे हैं। वहीं जो सर्राफ कारोबारी समझ पा रहे हैं, उन्हें इस व्यवस्था में संशोधन चाहिए। जिला सर्राफ एसोसिएशन की सचिव स्वराज वर्मा का कहना है कि इस व्यवस्था को लेकर अभी कारोबारियों में असमंजस है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि मुजफ्फरनगर समेत आसपास के जिलों में 20 कैरेट सोने से बनी ज्वैलरी की अधिक बिक्री होती है, जिसको बीआइएस स्टैंडर्ड में शामिल नहीं किया गया। उनका कहना है कि 20 कैरेट वाला सोना को भी इस व्यवस्था में शामिल किया जाए तो सर्राफ कारोबारी इस व्यवस्था को पूर्णत: स्वीकार कर लेंगे। हालांकि की इस व्यवस्था से ग्राहकों के साथ व्यापारियों को भी लाभ होगा, क्योंकि सोने के आभूषण मानकों की गारंटी होगी। वहीं भगत सिंह रोड व्यापार संघ के अध्यक्ष और सर्राफ कोरोबारी सुरेंद्र अग्रवाल का कहना है कि इस व्यवस्था को लेकर सर्राफा कारोबारियों की मंगलवार को दिल्ली में बैठक हो रही है। इसके बाद ही पूरी स्थिति स्पष्ट होगी। मुजफ्फरनगर में अभी चार से पांच ही सर्राफ कारोबारी का पंजीकरण है। यदि 14, 18 और 22 कैरेट गोल्ड के साथ 20 कैरेट को भी शामिल कर लिया जाए तो व्यवस्था को लागू कराने में व्यापारियों की सहमति बन जाएगी। इसके लिए संशोधन की बात की जा रही है।


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