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मिठास से लबालब हुए जिले के शीतगृह

जिले के शीतगृह गुड़ की मिठास से लबालब हो गए हैं जबकि अभी गुड़ भंडारण के लिए एक माह बाकी हैं। जिले में पिछले साल की अपेक्षा छह लाख 19 हजार 174 बोरे (प्रति 40 किलोग्राम) अधिक भंडारण हो चुका है। व्यापारियों की मानें तो गुड़ कोल्हू से सीधे शीतगृहों में पहुंचा। अब व्यापरी ही नहीं उत्पादकों ने भी गुड़ भंडारण किया हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:59 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 11:59 PM (IST)
मिठास से लबालब हुए जिले के शीतगृह

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। जिले के शीतगृह गुड़ की मिठास से लबालब हो गए हैं, जबकि अभी गुड़ भंडारण के लिए एक माह बाकी हैं। जिले में पिछले साल की अपेक्षा छह लाख 19 हजार 174 बोरे (प्रति 40 किलोग्राम) अधिक भंडारण हो चुका है। व्यापारियों की मानें तो गुड़ कोल्हू से सीधे शीतगृहों में पहुंचा। अब व्यापरी ही नहीं, उत्पादकों ने भी गुड़ भंडारण किया हैं।

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शुगर बाउल का ताज मुजफ्फरनगर के सिर पर सजा है। किसान यहां हजारों हेक्टेयर रकबे में गन्ना उगाते हैं। साथ ही गुड़ जिले का एक लघु कुटीर उद्योग है। करीब सात-आठ महीने चलने वाले इस कुटीर उद्योग पर किसान, मजदूर, व्यापारी, कर्मचारी, ट्रांसपोर्टर आदि के लाखों परिवार आश्रित हैं। राज्य सरकार की ओर से एक जिला एक-उत्पाद योजना के तहत भी गुड़ चयनित है। गुड़ को बढ़ावा देने के लिए मुजफ्फरनगर में दो साल पहले दो बार गुड़ महोत्सव हो चुके हैं। गत माह लखनऊ में भी दो दिवसीय गुड़ महोत्सव हुआ। जिले के 12 किसानों एवं फर्मो ने गुड़ और उसके सह उत्पाद के साथ प्रतिभाग किया। जिले के गुड़ की सराहना की गई। कृषि कानून लागू होने के बाद किसानों का इस ओर रुझान और अधिक बढ़ गया।

कृषि कानून लागू होने के बाद मंडी में व्यापार करने पर डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क लगता है। जबकि मंडी से बाहर गुड़ व्यापार करने पर कोई टैक्स नहीं लगता। व्यापारी भी सीधे कोल्हू से गुड़ खरीद कर बाहरी प्रदेशों में भेज रहे हैं तथा कोल्ड स्टोरेज में भंडारण कर रहे हैं। इससे मंडी में गुड़ की आवक घट गई। गुड़ में अच्छी संभावनाओं को देखते हुए व्यापारी ही नहीं उत्पादनकर्ता भी गुड़ का भंडारण करने में लग गए।

जिले के सात शीतगृह गुड़ से भर चुके हैं। इन शीतगृहों की गुड़ भंडारण क्षमता 12 लाख बोरे थी। गुड़ की अधिकता को देख शीतगृह स्वामियों ने आलू भंडारण को कम कर गुड़ भंडारण क्षमता को बढ़ा लिया। अब इन इन शीतगृहों में 14 लाख 78 हजार 488 बोरे गुड़ का भंडारण हो चुका है, जो पिछले साल से छह लाख 19 हजार 174 बोरे अधिक है। पिछले साल छह अप्रैल तक 859314 बोरे गुड़ का भंडारण हुआ था। व्यापारी शीतगृहों में गुड़ की किस्म चाकू, राबटिन, पपड़ी, चौरसा व रसकट को वरीयता दे रहे हैं। इन्होंने कहा..

अब व्यापारी ही नहीं उत्पादक किसान भी गुड़ भंडारण कर रहे हैं। पिछले साल भंडारित गुड़ में अच्छा मुनाफा मिला। इस बार भी अच्छी संभावनाओं को देखते हुए गुड़ भंडारण हो रहा है।

-संजय मित्तल, अध्यक्ष, द गुड़ खांडसारी एंड ग्रेन मर्चेट्स एसोसिएशन

किसान व गुड़ को नया प्लेटफार्म मिले, सरकार इस पर काम कर रही है। खांडसारी इकाइयों को प्रोत्साहन देने के लिए 100 घंटे में नए लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं। लाइसेंस पर कोई टैक्स नहीं है। चीनी मिल से 7.5 किमी परिधि के बाहर लाइसेंस दिया जाता है। इस बार 35 लाइसेंस जारी किए गए हैं। इनमें से 23 नई व आठ पुरानी खांडसारी इकाइयां चल रही हैं।

-चंद्रशेखर सिंह, खांडसारी अधिकारी


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