Move to Jagran APP

थैलिसीमिया की दवा इजाद करना टॉपर नमन का लक्ष्य

बेहद खतरनाक बीमारी थैलिसीमिया से तड़पती बहन को हमेशा के लिए गंवाते देख सीआइएससीई बोर्ड की दसवीं परीक्षा के जिले के टॉपर नमन जैन ने अपना लक्ष्य इस बीमारी की दवा को इजाद करना बनाया है। वह डाक्टर और वैज्ञानिक बनकर इस बीमारी से ग्रसित लोगों की सेवा करना चाहते हैं। वहीं दूसरा स्थान पाने वाले माणिक जैन ने आइआइटी से इंजीनियर और तीसरा स्थान पाने वाली चंद्रिमा ने डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का सपना संजोया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 11:47 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 11:47 PM (IST)
थैलिसीमिया की दवा इजाद करना टॉपर नमन का लक्ष्य
थैलिसीमिया की दवा इजाद करना टॉपर नमन का लक्ष्य

मुजफ्फरनगर, अरशद आशू।

loksabha election banner

बेहद खतरनाक बीमारी थैलिसीमिया से तड़पती बहन को हमेशा के लिए गंवाते देख सीआइएससीई बोर्ड की दसवीं परीक्षा के जिले के टॉपर नमन जैन ने अपना लक्ष्य इस बीमारी की दवा को इजाद करना बनाया है। वह डाक्टर और वैज्ञानिक बनकर इस बीमारी से ग्रसित लोगों की सेवा करना चाहते हैं। वहीं दूसरा स्थान पाने वाले माणिक जैन ने आइआइटी से इंजीनियर और तीसरा स्थान पाने वाली चंद्रिमा ने डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का सपना संजोया है।

सीआइएससीई बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में 97.6 प्रतिशत अंक पाकर जिला टॉपर बने नमन जैन बिद्दीवाड़ा बाजार में रहते हैं। उसके पिता राजीव जैन घर के बाहर छोटी सी कन्फेक्शनरी की दुकान चलते हैं। माता दीपा जैन गृहणी हैं। नमन जैन से उसका लक्ष्य पूछने पर उसकी आंखें भर आईं। लरजते होंठों से बोला कि वह डाक्टर बनकर थैलिसीमिया की दवा इजाद करके इसी बीमारी से ग्रसित लोगों का इलाज करेगा। इसकी वजह पूछने पर माता-पिता की आंखों से आंसू टपक पड़े। नमन बोला कि उसकी बड़ी बहन मुस्कान को थैलिसीमिया की बीमारी थी। वह 22 वर्ष तक बीमार रही। उसे हर माह खून चढ़ता था। वह बेहद होशियार व होनहार थी। शरीर में खून की कमी होने पर उसकी तबियत बिगड़ जाती थी। उसका दिल्ली में इलाज भी कराया, लेकिन दो वर्ष पूर्व उसका निधन हो गया। उसको तड़पता देख उसने प्रण किया कि वह पढ़कर डाक्टर बनेगा और इस बीमारी की दवा इजाद करके मरीजों की सेवा करेगा। वह बिना किसी ट्यूशन के पढ़ रहा है।

उधर 97 प्रतिशत अंक हासिल कर जिले में दूसरा स्थान पाने वाले माणिक जैन पुत्र राजीव जैन निवासी पक्का बाग का कहना है कि उसके पिता एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत हैं, जबकि मा आरती जैन टीचर हैं। उसका आइआइटी से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिग करने का सपना है। 96.8 प्रतिशत अंक हासिल कर जिले में तीसरा स्थान पाने वाली गांव भैंसी निवासी चंद्रिमा अहलावत पुत्री अनुज अहलावत का कहना है कि वह डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करना चाहती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.