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मेनका के संज्ञान लेते ही रुक गया था आवारा कुत्तों के विरुद्ध अभियान

सात साल पहले आने-जाने वाले लोगों पर हमले की शिकायत का संज्ञान लेते हुए पालिका चेयरमैन ने आवारा कुत्तों को लेकर अभियान चलाया तो तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री मेनका गांधी के संज्ञान लेने से अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा था। उसके बाद से आज तक शहर में आवारा कुत्तो को पकड़ने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका।

By JagranEdited By: Published: Sun, 06 Dec 2020 11:19 PM (IST)Updated: Sun, 06 Dec 2020 11:19 PM (IST)
मेनका के संज्ञान लेते ही रुक गया था आवारा कुत्तों के विरुद्ध अभियान
मेनका के संज्ञान लेते ही रुक गया था आवारा कुत्तों के विरुद्ध अभियान

जेएनएन, मुजफ्फरनगर। सात साल पहले आने-जाने वाले लोगों पर हमले की शिकायत का संज्ञान लेते हुए पालिका चेयरमैन ने आवारा कुत्तों को लेकर अभियान चलाया तो तत्कालीन केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री मेनका गांधी के संज्ञान लेने से अभियान को बीच में ही रोकना पड़ा था। उसके बाद से आज तक शहर में आवारा कुत्तो को पकड़ने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका।

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शहर सहित देहात में भी आवारा कुत्तो की फौज बढ़ती जा रही है। शहर की कालोनियों में दिनभर आवारा कुत्तों का आतंक रहता है। कालोनियों की गलियों से होकर गुजरने वालों को आवारा कुत्ते अक्सर निशाना बना लेते हैं। चेयरमैन पंकज अग्रवाल को मेनका गांधी ने किया था फोन

करीब सात साल पहले तत्कालीन नगरपालिका चेयरमैन पंकज अग्रवाल ने समस्या को समझते हुए आवारा कुत्तो को पकड़ने के लिए अभियान की शुरुआत करायी थी। शुरुआती दौर में कुछ कालोनियों से आवारा कुत्तों को पकड़कर देहात क्षेत्र के जंगलों में छोड़ना शुरू किया गया था, लेकिन जैसे ही इसकी जानकारी पशु प्रेमी व तत्कालीन केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को हुई तो उन्होंने स्वयं फोन कर चेयरमैन को ऐसा करने से मना किया था। कहा था कि जंगल में आवारा कुत्तो को खाने के लिए कुछ नहीं मिलेगा और वे आक्रोशित हो जाएंगे। कई बच्चों व बड़ों को निशाना बना चुके आवारा कुत्ते

गली-मोहल्लों में आए दिन आवारा कुत्ते बच्चों तथा बड़ों को निशाना बनाते रहते हैं। जिला अस्पताल सहित सीएचसी पर प्रतिदिन 40 से 50 व्यक्ति एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचते हैं। कुछ वर्ष पूर्व चरथावल क्षेत्र में एक आवारा कुत्ते ने तीन वर्षीय बालक को शिकार बना लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। कुत्ते पालने को पालिका से नहीं लिया जा रहा लाइसेंस

नियमानुसार कुत्ता पालने के लिए नगरपालिका स्वास्थ्य विभाग से लाइसेंस लेना आवश्यक है, लेकिन कुत्ता पालने से पहले लोग लाइसेंस लेना आवश्यक नहीं समझते। वर्षो से कुत्ता पालने के लिए शहर से किसी भी व्यक्ति ने लाइसेंस नहीं लिया। इन्होंने कहा..

गली-मोहल्लों में पलने वाले आवारा कुत्तों से लोग स्नेह करते हैं। जब इन कुत्तों को पकड़वाने की कोशिश होती है तो आम आदमी विरोध करता है। बावजूद इसके आवारा कुत्तों पर अंकुश लगाने के लिए शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा।

- अंजू अग्रवाल, चेयरपर्सन


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