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इंतजार की इंतिहा..17 साल बाद लौटा बेटा

कस्बे से सत्रह वर्ष पहले घर से गायब हुए युवक के अचानक सकुशल लौटने पर परिजनों की खुशी का ठिकाना नही रहा। युवक के जिदा होने की आस छोड़ चुके परिजनो ने युवक को सलामत अपने सामने देखकर अल्लाह का शुक्रिया अदा किया वही युवक को देखने के लिए दोस्तो रिश्तदारों का तांता लगा रहा। इसी बीच बेटे के सदमे में मां भी चल बसी थी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 11:00 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 06:28 AM (IST)
इंतजार की इंतिहा..17 साल बाद लौटा बेटा
इंतजार की इंतिहा..17 साल बाद लौटा बेटा

चरथावल (मुजफ्फरनगर) : सत्रह साल से लापता बेटा घर लौटा तो परिवार में खुशियों के चिराग रोशन हो गए। बेटे की जुदाई के गम में मां पहले ही चल बसी थी। इसी बीच बेटे ने आधी रात को अचानक दरवाजे पर दस्तक दी। लंबे समय नजरों से दूर रहे पिता शुरू में उसे पहचान नहीं सके, लेकिन जैसे ही पहचाना, एक-दूसरे से लिपटकर रो पड़े। ये था मामला

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कस्बे के मोहल्ला मुस्लिम तगायान निवासी याकूब अपने चार पुत्रों व तीन पुत्रियों के साथ लोनी में किराये के मकान में रहते थे। फलों की ठेली लगाकर परिवार का गुजारा होता था। करीब 17 वर्ष पहले उनका सबसे बड़ा पुत्र इंतजार घर छोड़कर चला गया था। उस समय इंतजार की उम्र लगभग 17 साल थी। जाने के कुछ समय बाद उसने फोन पर संपर्क कर मुंबई में नौकरी करने की बात कही थी लेकिन इसके बाद परिजनों से उसका कोई संपर्क नहीं रहा। मौत की झूठी सूचना भी मिली

कई साल गुजरने के बाद एक ट्रक चालक ने परिजनों को इंतजार की मौत की सूचना दी थी। परिजन मुंबई पहुंचे लेकिन न तो मौत की कोई पुष्टि हुई और न उसका सुराग लग सका। हताश परिजन घर लौट आए थे।

अचानक पहुंचा तो भूल गया घर

इसके बाद यह परिवार दोबारा कस्बे में जाकर रहने लगा। इसी बीच पुत्र के सदमे में इंतजार की मां चल बसीं। इतने लंबे समय के बाद मंगलवार रात करीब 12.30 बजे इंतजार अपने मोहल्ले में तो पहुंच गया, लेकिन घर भूल गया।

पहली बार में नहीं पहचान सके पिता

पास में एक परिवार में लोग लड़की की शादी की तैयारियों में जुटे थे। इंतजार ने उनसे पूछा तो अपने घर की जानकारी हुई। इसके बाद उसने अपने मकान के दरवाजे पर दस्तक दी तो पिता बाहर आए। इंतजार ने परिचय दिया लेकिन पिता उसे पहचान ही नहीं पाए, क्योंकि अब उसकी उम्र लगभग 34 साल है। हाथ पर जले और माथे पर चोट का निशान देखकर उन्होंने इंतजार को पहचाना। आंखें जिस बेटे की राह 17 साल से देख रही थीं, वह अचानक सामने आकर खड़ा था। याकूब रो पड़े और बेटे को गले से लगा लिया। सारी रात परिवार में खुशियां मनाई गईं। उसे देखने के लिए दोस्तों और रिश्तेदारों का तांता लगा रहा। युवक ने बताया कि वह मुंबई में नौकरी करने लगा था। अब घर की ज्यादा याद आने लगी तो वापस लौट आया।


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