Move to Jagran APP

विकास से तो आपका गहरा नाता है, इतना सुनते ही भड़क गए नेताजी

Issues of development नेताजी बोले-अब तो पुलिस से ज्यादा उसकी गाड़ी से डर लगने लगा है पता नहीं कब कहां पलट जाए किसी को कुछ बता भी नहीं पाएंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 05:30 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 05:30 PM (IST)
विकास से तो आपका गहरा नाता है, इतना सुनते ही भड़क गए नेताजी
विकास से तो आपका गहरा नाता है, इतना सुनते ही भड़क गए नेताजी

अमरोहा (अनिल अवस्थी)। विकास के मुद्दे पर चुनाव जीतने वाले नेताजी इस नाम से भड़क रहे हैं। उनके सिर पर विकास के नाम का खौफ है। भले ही अपने कार्यकाल में विकास से दूरी बनाए रखते हो, मगर चुनाव उसके दम पर लड़ते हैं। हमेशा विकास की बात करने वाले एक नेताजी कल टकरा गए। हमने हालचाल लेते हुए बोल दिया, विकास से तो आपका गहरा नाता है। इतना सुनते ही नेताजी भड़क गए। बोले- नाम मत लेना उसका। हम कभी नहीं मिले विकास से। मैं अवाक रह गया, बताया अरे, नेताजी, कानपुर वाला विकास नहीं, क्षेत्र के विकास की बात कर रहा हूं। इस पर वह कुछ शांत हुए, बोले- भाई डवलपमेंट कह लो, मगर विकास मत कहो, लोग गलत मतलब निकाल लेंगे, पुलिस पीछे पड़ जाएगी। 

loksabha election banner

फिर गेंद पाले में डाली

शहर की पांच सड़कें ऐसी हैं कि उनसे गुजर जाओ तो इतनी ठोकरें लगती हैं कि खाना हजम हो जाता है। इनकी मरम्मत की जिम्मेदारी वैसे तो नगर पालिका की है, मगर वह शायद भूल गए। मगर पुराने वाले मंत्री को खटक गया। सड़क बन जाती तो गाड़ी उनके घर तक बगैर हिचकोले खाए पहुंच जाती। नाम होता अलग से, पत्थर भी लगता। सो उन्होंने पासा फेंक दिया, पुराने संबंध काम आए, पीडब्ल्यूडी सड़क बनाने को राजी हो गया। अब विपक्ष वाले मंत्री सड़क बनवाएं और पक्ष वाले देखते रहे, ये कैसे हो सकता था। पालिका ने अड़ंगा लगा दिया। खूब बहस हुई, सौदा-समझौता हुआ। तब तक कोरोना आ गया। जब लगा कि सड़क निर्माण पालिका के बूते के बाहर की बात है, तो निर्माण पर सहमति दे दी। अब गेंद फिर पुराने वाले मंत्री के पाले में है। वह पकड़े बैठे हैं, जनता खस्ताहाल सड़क पर ठोकर खा रही।

फोटो खिंचाकर फंस गए

कोरोना ने देश-दुनिया को पस्त कर दिया है। शुरुआत में जब इसने दस्तक दी तो कुछ लोगों ने इसे अपने-अपने चश्मे से देखा तो किसी ने खुद को उससे महफूज मान लिया। अब पता चला कि जो संपर्क में आया कोरोना उसी का हमसफर बन गया। कमजोर पड़े तो जान भी ले लेता है। सब जानते हुए भी कुछ लोग अफसरों व नेताओं संग फोटो ङ्क्षखचाने से अब भी बाज नहीं आ रहे। पिछले सप्ताह जब जिले वाले कैबिनेट मंत्री आए थे, तो कई लोग उन्हेंं खुश करने में लग गए। मामूली कार्यक्रम में भी वाहवाही लूटने को पंडाल लगा दिया। भूल गए कोरोना यहीं मंडरा रहा है। हालांकि पहुंचते ही मंत्री ने फटकारा था, फिर भी कई फोटो ङ्क्षखचाने को कंधा सटाकर खड़े हो गए। अब पता चला कि मंत्री ही कोरोना की चपेट में हैं, वह तो भर्ती हो गए, मगर फोटो ङ्क्षखचाने वालों की नींद गायब है।

अब गले पड़ रहे स्कूल

कोरोना काल में सरकारी स्कूल वाले गुरुजी परेशान हैं। उनका सवाल, अब स्कूल बुलाया क्यों जा रहा। जैसे बच्चे नाजुक वैसे ही गुरुजी, पता नहीं कब कोरोना हमला बोल दे। कहते हैं जब चार महीने घर बैठे वेतन दिया तो अब क्यों नहीं दे रहे। निजी स्कूल वाले गुरुजी ङ्क्षप्रसिपल के न बुलाने से परेशान हैं, पत्ता कटने का खौफ है। बच्चे ऑनलाइन पढ़कर परेशान हैं, पढऩे के लिए सुबह से ही मोबाइल थमा दिया जाता है। घरवाले सामने डटे रहते हैं, इधर-उधर हों तो थोड़ा गेम खेल लें। मम्मियां दोपहर को सो नहीं पा रहीं, सो परेशान हैं। स्कूल मालिकों का अपना दर्द है। अभिभावकों ने कोरोना काल में फीस न देना अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझ लिया है। उनका तर्क है कि हर साल लूटते थे, इस बार जेब से खर्च कर लें। कुल मिलाकर इस बार अच्छे लगने वाले स्कूल सबके गले पड़े से नजर आ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.