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World Anaesthesia Day 2021 : मरीजों की ज‍िंंदगी बचाने में निश्चेतकों ने न‍िभाई अहम ज‍िम्‍मेदारी, खुद की नहीं की परवाह

World Anaesthesia Day 2021 सातों दिन 24 घंटे अस्पताल में ही रहना और आइसीयू के मरीजों की देखभाल करने में इनका समय निकलता था। ड्यूटी के दौरान एक ही पीपीई किट में पूरा समय निकालना रहता था। दाना-पानी के बिना पीपीई किट में पूरा दिन ऐसे ही बीतता था।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 10:34 AM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 10:34 AM (IST)
World Anaesthesia Day 2021 : मरीजों की ज‍िंंदगी बचाने में निश्चेतकों ने न‍िभाई अहम ज‍िम्‍मेदारी, खुद की नहीं की परवाह
आइसीयू के मरीजों की सांसों की डोर जोड़ने में निभाया अहम किरदार।

मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। World Anaesthesia Day 2021 : निश्चेतक यानी आपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने वाले डाक्टर साहब। सभी लोग यही जानते हैं। लेकिन, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में बिना निश्चेतक के क्रिटिकल केयर नहीं चल पाई। जी हां, निश्चेतक आइसीयू में गंभीर मरीज की पूरी देखभाल का जिम्मेदार होता है। सिटी चेस्ट, खून में गैस, आक्सीजन, कार्बन डाइआक्साइड, हाईफ्लो नेजल कैनुला आदि व्यवस्थाएं निश्चेतक द्वारा ही कराई जाती हैं। बाइपैप, वेंटीलेटर की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं की होती है। लेकिन, इन्हें तीमारदार नहीं पहचान पाता। उसे तो सिर्फ इलाज देने वाले डाक्टर साहब का नाम ही याद रहता है।

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कोरोना दूसरी लहर में हालात ये रहे कि सातों दिन 24 घंटे अस्पताल में ही रहना और आइसीयू के मरीजों की देखभाल करने में इनका समय निकलता था। ड्यूटी के दौरान एक ही पीपीई किट में पूरा समय निकालना रहता था। दाना-पानी के बिना पीपीई किट में पूरा दिन ऐसे ही बीतता था। कई निश्चेतकों की तो हालत तक बिगड़ गई थी।

घर जाने पर भी परिवार से दूरी : निश्चेतकों का एक-एक सप्ताह का समय निर्धारित किया गया था। लगातार सात दिन अस्पताल में ड्यूटी के बाद जब घर पहुंचते थे तो परिवार की चिंता बनी रहती थी। कई डाक्टर और उनका परिवार पाजिटिव आया तो परिवार में भी खलबली मची रही। लेकिन, कोविड प्रोटोकाल पूरा करने के बाद फिर से ड्यूटी पर चले जाते थे।

कोरोना महामारी की दूसरी लहर में काम करना बहुत मुश्किल था। आइसीयू में गंभीर मरीजों की संख्या अधिक थी। निश्चेतक के लिए बड़ी मुश्किल का सामना था। सबने मिलकर मरीजों की सेवा की।

डाॅ पल्लवी अहलूवालिया, एनेस्थेटिस्ट

मरीजों की संख्या बहुत थी। अस्पतालों में जगह नहीं थी। आइसीयू भरे थे। मरीजों की हालत खराब थी। सातों दिन लगातार मरीजों के लिए लगे रहे। निश्चेतकों की क्रिटिकल केयर में अहम भूमिका रही।

डाॅ. गेसू मेहरोत्रा, एनेस्थेटिस्ट

निश्चेतक का काम अब केवल बेहोश करना ही नहीं रह गया है। बल्कि क्रिटिकल केयर में निश्चेतक की अहम भूमिका है। कोरोना की पहली और दूसरी लहर में पूरी तरह अहसास हो गया है। निश्चेतक का क्षेत्र बड़ा है।

डाॅ. किशन वाष्र्णेय, एनेस्थेटिस्ट

कोविड एल-टू अस्पताल में शहर के साथ ही दूसरे जनपदों के भी मरीज आ रहे थे। हर समय यही था कि सभी मरीज स्वस्थ होकर जाएं। हमारे लिए भी वह समय बहुत कठिन था। मरीज के स्वस्थ होने पर मन को खुशी होती थी।

डा. राधे श्याम गंगवार, एनेस्थेटिस्ट


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