Teacher legislative election : मंडल में जमकर पड़े वोट, अमरोहा ने फिर से मारी बाजी, रामपुर रहा सबसे पीछे
Teacher legislative election बरेली-मुरादाबाद खंड निर्वाचन क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पहली बार अपना प्रत्याशी उतारा है। डॉ. हरि सिंह ढिल्लो पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ रहे थे। वहीं सपा की ओर से संजय मिश्रा मैदान में थे।
मुरादाबाद, जेएनएन। Teacher legislative election। विधान परिषद सदस्य के लिए बरेली-मुरादाबाद निर्वाचन क्षेत्र से हुए चुनाव में जमकर वोटिंग हुई। शिक्षकों ने अपने अपने हक की आवाज उठाने वाले नेता को उच्च सदन में पहुंचाने के लिए खूब मतदान किया।
मुरादाबाद मंडल में मतदान करने में अमरोहा अव्वल रहा। पिछले दिनों हुए उप चुनाव में भी अमरोहा ने प्रदेश भर में मतदान में पहला स्थान प्राप्त किया था। मंगलवार को हुए मतदान में सुबह से शिक्षकों की लाइन पोलिंग बूथ पर लगने लगी थी। अमरोहा सुबह से ही सबसे आगे चल रहा था। इसका प्रभाव भी शाम तक दिखाई दिया। मुरादाबाद मंडल में अमरोहा में सर्वाधिक 83.22 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि मुरादाबाद दूसरे स्थान पर रहा, यहां 73.03 फीसद शिक्षकों ने वोट डाले। वहीं तीसरे स्थान पर रहे सम्भल में कुल 72.95 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अंतिम पायदान पर रहे रामपुर के शिक्षकों का मत प्रतिशत 72.50 रहा।
सभी दलों ने खूब लगाया दम
कांग्रेस की ओर से मेहंदी हसन मैदान में रहे। जबकि माध्यमिक शिक्षक संघ के दोनों शर्मा और चेतनारायण गुटों ने भी अपने-अपने प्रत्याशी उतारे। चुनाव से ठीक पहले शर्मा गुट की बगावत हो गई। मुरादाबाद के मंडल अध्यक्ष सुनीत गिरि ने संगठन की ओर से घोषित प्रत्याशी सुभाष शर्मा का समर्थन करने के बजाय खुद को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने माध्यमिक शिक्षक संघ कार्यरत गुट बना लिया। चुनाव में सभी प्रत्याशियों ने खूब दमखम से प्रचार किया। दो मंडलों के नौ जिलों का विशाल क्षेत्र होने के बावजूद करीब महीने भर से भी कम समय में सभी प्रत्यशियों ने सभी कालेजों में जाकर प्रचार किया। मतदान में 37 हजार से अधिक शिक्षक मतदाता रहे। इन सभी के बीच भाजपा ने अन्य चुनाव की तरह इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा के साथ जोड़ा। पार्टी की ओर से नामांकन के दौरान बरेली मुरादाबाद मंडल के सभी प्रमुख नेता, मंत्री, विधायक महापौर, सांसद नामांकन में शामिल हुए। पार्टी की ओर से सभी को जिम्मेदारी सौंपी गई। सभी ने विद्यालय-विद्यालय जाकर शिक्षकों से उनके पक्ष में मतदान करने की अपील की। अंतिम दिन तक सभी नेता चुनाव जीतने की के लिए रणनीति बनाते रहे और कार्यकर्ता उसे अमल में लाने में जुटे रहे।