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बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी वीरसिंह हाथी छोड़ साइकिल पर हुए सवार, जानें क्या बताई वजह

Veer Singh Left Bahujan Samaj Party बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी माने जाने वाले नेता वीर सिंह ने हाथी की सवारी छोड़कर साइकिल वालों का दामन थाम लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 03 Oct 2021 03:55 PM (IST)Updated: Sun, 03 Oct 2021 03:55 PM (IST)
बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी वीरसिंह हाथी छोड़ साइकिल पर हुए सवार, जानें क्या बताई वजह
तीन बार बसपा से राज्यसभा सदस्य रहे वीर सिंह, बसपा को मुरादाबाद मंडल में लगा झटका

मुरादाबाद, जेएनएन। Veer Singh Left Bahujan Samaj Party : बसपा सुप्रीमो मायावती के करीबी माने जाने वाले नेता वीर सिंह ने हाथी की सवारी छोड़कर साइकिल वालों का दामन थाम लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। अखिलेश यादव के साथ फोटो वायरल होने के बाद बसपा ने वीर सिंह को तत्काल पार्टी से निष्कासित करने की घोषणा कर दी। मुरादाबाद के जिलाध्यक्ष वेद प्रकाश ने रविवार दोपहर में निष्कासन पत्र जारी कर दिया। बताया जा रहा है कि वीर सिंह अपने बेटे को अमरोहा की धनौरा सीट से विधायक का टिकट मांग रहे थे। पार्टी हाई कमान के टिकट के लिए इन्कार जाने पर उन्होंने सपा का दामन थामा है।

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बहुजन समाजवादी पार्टी के महाराष्ट्र के प्रभारी एवं पूर्व राष्ट्रीय महासचिव वीर सिंह एडवोकेट ने लखनऊ में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली है। इससे बसपा को मुरादाबाद मंडल में बड़ा झटका लगा है।  बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने उनके बेटे को अमरोहा की मंडी धनौरा सुरक्षित सीट से टिकट देने से मना कर देने पर उन्होंने यह कदम उठाया है।

जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि बसपा में तीन-चार से अपमान हो रहा था। मैं बेटे विवेक कुमार को धनौरा मंडी विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहता था। मुझसे भी टिकट के लिए चढ़ावा चढ़ाने के लिए कहा गया। हमने जिन नेताओं को तैयार किया, उन्हीं के अंडर में काम कराकर बेइज्जत किया जा रहा था। कोई बात नहीं थी, हमको मेरठ मंडल में एक जिला दिया जा रहा है। सहारनपुर मंडल में दो जिले दिए गए हैं और दूसरे नेताओं को पूरे मंडल का प्रभारी बना दिया। समाजवादी पार्टी भी दलितों और पिछड़ों की लड़ाई लड़ रही है।

दूसरी पार्टी संविधान को खत्म करके नया संविधान बनाना चाहती थी। इसके लिए भी सपा में रहकर लड़ाई लड़नी होगी। बसपा में मेरे अलावा कोई पुराना नेता नहीं रहा। बसपा में रहकर मैं तीन बार राज्यसभा गया। मुख्य सचेतक की भूमिका भी निभाई। लेकिन, अब अपमान की इन्तहा हो गई थी। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने बेटे को टिकट देने का आश्वासन दिया है। मेरे काम के बारे में सब नेता जानते हैं।

बसपा ने 12 साल में कई प्रदेशों में घुमा दिया। मिशन के लिए काम करना मकसद था। इसलिए जहां भेजा परिवार को छोड़कर गया। समाजवादी पार्टी में जो जिम्मेदारी मिलेगी, उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाया जाएगा। बता दें कि वीर सिंह एडवोकेट की बसपा के कद्दावर नेताओं में गिनती होती है। बसपा सरकार के दौर में यूपी के पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में उनका बहुत असर रहता था। बुद्दि विहार स्थित उनके आवास से ही टिकट फाइनल होते थे।

नगीना लोकसभा सीट से सांसद गिरीश चंद्र जाटव ने बताया कि बसपा ने वीरसिंह को जितना सम्मान दिया किसी दल में नहीं मिल सकता है। तीन बार राज्यसभा में भेजा। पत्नी को अमरोहा के जोया ब्लाक का प्रमुख बनवाया। कहीं से चुनाव आज तक जीत नहीं पाए। इसके बाद भी सम्मान लगातार मिलता रहा। लेकिन, जिन प्रदेशों में प्रभारी बनाया गया परिणाम निराशाजनक रहे। बेटा पिछली बार नहटौर से चुनाव हार चुका है। पार्टी के अन्य कार्यकर्ता भी तो टिकट लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं। बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने यही कहकर टिकट देने से मना कर दिया। इसी से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। इसे मतलब परस्ती ही कहा जा सकता है।


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