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पुलिस और अग्निशमन विभाग ने पूरी रात ली पटाखों गोदामों की टोह, सुरक्षा इंतजामों को परखा

पूरी रात पटाखा कारोबारियों व उनके गोदामों की टोह ली गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Oct 2018 07:22 AM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 07:22 AM (IST)
पुलिस और अग्निशमन विभाग ने पूरी रात ली पटाखों गोदामों की टोह, सुरक्षा इंतजामों को परखा
पुलिस और अग्निशमन विभाग ने पूरी रात ली पटाखों गोदामों की टोह, सुरक्षा इंतजामों को परखा

मुरादाबाद: पटाखा कारखाने में विस्फोट से बदायूं में आठ लोगों की मौत और मझोला में बारूद से बच्चे की हथेली उडऩे की घटना के बाद पुलिस और अग्निशमन विभाग के अधिकारी सक्त्रिय हो गए हैं। शुक्त्रवार पूरी रात पटाखा कारोबारियों व उनके गोदामों की टोह ली गई। सुरक्षा के तय मानक अपनाने की हिदायत भी दी गई। अग्निशमन अधिकारी विचित्र कुमार सिंह के मुताबिक पटाखा बनाने का लाइसेंस मुरादाबाद में चार लोगों के पास है। इनमें से तीन कारोबारियों के गोदाम रामगंगा पार है, जबकि दस सराय चौकी क्षेत्र में एक गोदाम है। शुक्त्रवार की रात मुख्य फायर अफसर के नेतृत्व में अग्निशमन विभाग व पुलिस ने चारों गोदाम का निरीक्षण किया। अग्निशमन विभाग के मुताबिक शहर में कुल नौ स्थान पटाखा की दुकान के लिए चिह्नित हैं। यह दुकान सिर्फ तीन दिन तक ही खुलेंगी। एक स्थान पर पचास दुकानों से अधिक की अनुमति नहीं है। शहर में कुल साढ़े चार सौ पटाखा की दुकान ही खुलेंगी। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में पंचायत भवन नेहरू युवा केंद्र, हरथला फुटबॉल मैदान और पॉलिटेक्निक में दुकानें लगेंगी। वहीं नागफनी थाना क्षेत्र के दसवा घाट रामलीला मैदान में भी पटाखे बिकेंगे। कटघर के लाजपत नगर रामलीला मैदान में और मझोला की मंडी समिति व बुद्धि विहार फेस 2 खुशहालपुर के बीच मैदान में दुकान लगाई जाएगी। ट्रासपोर्ट नगर में आरटीओ के पास खाली मैदान में पटाखा का बाजार लगेगा। दुकानों के अस्थायी लाइसेंस चार से सात नवंबर तक ही दिए जाएंगे। हर दुकान पर अग्निशमन यंत्र रखने के निर्देश हैं।

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चायनीज पटाखों पर लगाया जाए प्रतिबंध

मुरादाबाद में चायनीज पटाखों की बिक्त्री पर प्रतिबंध लगवाने के लिए शुक्त्रवार को स्वदेशी जागरण मंच की ओर से जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा गया। महानगर संयोजक प्रशात शर्मा ने बताया कि कानून के मुताबिक देश के अंदर किसी भी ज्वलनशील पदार्थ का आयात नहीं किया जा सकता। ज्ञापन देने वालों में राजीव कुमार, कपिल नारंग, अंजू त्रिपाठी, मयूर भाटिया, धीरेंद्र चौधरी मौजूद रहे। पटाखे से जल जाएं तो ऐसे करें बचाव

बच्चों के 10 फीसद और बड़ों के 15 फीसद तक जलने पर घबराने की जरूरत नहीं। ऐसा होने पर जले हुए हिस्से को बहते पानी में तब तक रखें, जब तक जलन पूरी तरह से शात न हो जाए। अक्सर होता यह है कि लोग फौरन डॉक्टर के पास भागने या बरनॉल, नीली दवा, स्याही वगैरह लगाने लगते हैं। जलने के बाद कोई दवा या क्त्रीम लगाने से वह हिस्सा रंगीन हो जाता है, जिससे डॉक्टर को पता नहीं चल पाता कि किस तरह का बर्न है। ऐसे में सही इलाज नहीं हो पाता।

आग से बचाव

हमेशा लाइसेंसधारी और विश्वसनीय दुकानों से ही पटाखे खरीदें। पटाखों पर लगा लेबल देखें और उस पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। पटाखे जलाने के लिए खुली जगह में जाएं। आसपास देख लें, कोई आग फैलाने वाली या फौरन आग पकडऩे वाली चीज तो नहीं है। जितनी दूर तक पटाखों की चिंगारी जा सकती है, उतनी दूरी तक छोटे बच्चों को न आने दें। पटाखा जलाने के लिए स्पार्कलर, अगरबत्ती अथवा लकड़ी का इस्तेमाल करें। रॉकेट जैसे पटाखे जलाते वक्त यह तय कर लें कि उसकी नोक खिड़की, दरवाजे और किसी खुली बिल्डिंग की तरफ न हो। पटाखे जलाते वक्त चेहरा दूर रखें और पैरों में जूते-चप्पल जरूर पहनें। कम से कम एक बाल्टी पानी भरकर नजदीक रख लें। ऐसा बिल्कुल न करें

नायलॉन के कपड़े न पहनें, पटाखे जलाते समय कॉटन के कपड़े पहनना बेहतर होता है। पटाखे जलाने के लिए माचिस या लाइटर का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। रॉकेट जैसे पटाखे तब बिल्कुल न जलाएं, जब ऊपर कोई रुकावट हो, मसलन पेड़, बिजली के तार आदि। पटाखों के साथ एक्सपेरिमेंट या खुद के पटाखे बनाने की कोशिश न करें। एक पटाखा जलाते वक्त बाकी पटाखे आसपास न रखें। कभी भी छोटे बच्चों के हाथ में कोई भी पटाखा न दें। कभी भी बंद जगह पर या गाड़ी के अंदर पटाखा जलाने की कोशिश न करें। अनार जलाते वक्त खास एहतियात बरतें। हो सके तो खुद और बच्चों की आखों में चश्मा लगा लें। आख-कान का बचाव

आख में हल्की चिंगारी लगने पर भी उसे हाथ से मसलें नहीं। सादे पानी से आखों को धोएं और जल्दी से डॉक्टर को दिखाएं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक वे लोग, जो लगातार 85 डेसिबल से ज्यादा शोर में रहते हैं, उनके सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। 90 डेसिबल के शोर में रहने की लिमिट सिर्फ 8 घटे होती है, 95 डेसिबल में 4 घटे और 100 डेसिबल में 2 घटे से ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए। 120 से 155 डेसिबल से ज्यादा तेज शोर हमारे सुनने की शक्ति को खराब कर सकता है और इसके साथ ही कानों में बहुत तेज दर्द भी हो सकता है। ऐसे पटाखे, जिनसे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर हो, उनकी आवाज से 4 मीटर की दूरी बनाकर रखें। ज्यादा टार वाले बम पटाखे 125 डेसिबल से ज्यादा शोर पैदा करते हैं, इसलिए ज्यादा शोर वाले पटाखे न जलाएं। आसपास ज्यादा शोर हो रहा हो, तो कानों में कॉटन या इयर प्लग का इस्तेमाल करें।


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