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गन्ने की मिठास में अव्यवस्था की 'कड़वाहट'

किसानों से समय पर गन्ना खरीद के साथ ही उसका भुगतान हो सके। लेकिन मिलों की व्यवस्था से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Nov 2018 08:03 AM (IST)Updated: Sat, 24 Nov 2018 08:03 AM (IST)
गन्ने की मिठास में अव्यवस्था की 'कड़वाहट'
गन्ने की मिठास में अव्यवस्था की 'कड़वाहट'

मुरादाबाद (रितेश द्विवेदी):राज्य सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लाख दावे करे,लेकिन जमीनी स्तर पर किसान अव्यवस्थाओं से परेशान हैं। पोस्टरों में किसानों के लिए मक्का,उड़द के साथ ही अन्य फसलों के क्त्रय केंद्र खोले जाने के दावे किए जाते हैं,जबकि जमीनी स्तर पर धान क्त्रय केंद्र को छोड़कर अन्य फसलों के कोई केंद्र नहीं दिखाई देते हैं। शासन के आदेश पर इस बार अक्टूबर माह में ही चीनी मिलें शुरू करा दी गई थीं, जिससे कि किसानों से समय पर गन्ना खरीद के साथ ही उसका भुगतान हो सके। लेकिन मिलों की व्यवस्था से किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं। सर्द रातों में किसान अपने गन्ने के साथ ही सड़क पर सोने को मजबूर हैं। किसानों के साथ ही उनके जानवरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों के लिए मिलों तक गन्ना पहुंचाना बड़ी चुनौती बनती जा रही है। बेहतर मूल्य के लिए किसान चीनी मिलों तक गन्ना लेकर पहुंच तो जाता है,लेकिन उसे गेट के अंदर तक पहुंचाने और बाहर निकालने में कई दिनों का वक्त लग जाता है। दो से तीन दिन सड़क में खड़े रहने के बाद किसान को एक ट्राली गन्ने से आर्थिक उम्मीद बंध जाती है। हालाकि इस मेहनत के बाद भी किसान के हाथ में सीधे पैसे नहीं आते हैं। गन्ना पर्ची को लेकर किसानों को परिश्रम करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि उन्हें समितियों से समय पर गन्ना पर्ची नहीं उपलब्ध हो रही हैं, जिसके चलते किसानों का गन्ना खेतों में कटने के बाद सूखने लगा है। अव्यवस्थाओं के चलते गन्ने की मिठास कड़वाहट में बदलती जा रही है। टूटी सड़केंऔर जाम से परेशान अगवानपुर चीनी मिल तक किसानों का पहुंचना लोहे के चने चबाने के बराबर है। टूटी सड़कों से गुजरने के बाद किसानों की बैलगाड़ी और ट्रैक्टर ट्राली जाम में फंसी रहती हैं। जाम के कारण किसानों को पुलिस के गुस्से का भी शिकार होना पड़ता है। लेकिन इन मुसीबतों के बाद भी सरकार गन्ना किसानों को अधिक लाभ देने की बात कह रही है।

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किसानों पर पुलिस बरसाती है लाठिया कुचावली के सुधीर सिंह का कहना है कि मिल में गन्ना लाने वाले किसानों को सुविधाएं मिलनी चाहिए। छोटे किसानों की तौल पहले होनी चाहिए। हमारे साथ ही हमारे जानवरों को भी भूखा रहना पड़ता है। जब जाम लगता है,तो पुलिस हम पर लाठिया बरसाती है। कोकरपुर के होशियार सिंह का कहना है कि गन्ना मिल तक पहुंचाने में किसानों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रास्ते में पुलिया टूटी है,जिसमें कई किसान बैल गाडिय़ों के साथ गिर चुके हैं। यहा पर भी अव्यवस्था ही फैली है। लदावली के सतपाल सिंह का कहना है कि बैलगाड़ी से गन्ना लाने वाले किसानों के लिए मिल प्रबंधन को अलग से व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि वह कई दिनों तक खड़े न रहें। प्रबंधन की लापरवाही के चलते बड़ी परेशानी हो रही है। सालावा के याशीन का कहना है कि गन्ना पर्ची न मिलने से किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। पर्ची न मिलने के कारण खेतों में गन्ना कटने के बाद सूख रहा है। इससे किसानों को आर्थिक रूप से नुकसान हो रहा है। अगवानपुर के सत्यपाल सिंह का कहना है कि सरकार से हमें कोई विशेष राहत नहीं मिल रही है। किसानों को मिलों तक गन्ना पहुंचाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दूसरे क्षेत्रों का गन्ना आने से स्थानीय किसानों को दिक्कत है। दैनातपुर के जबर सिंह का कहना है कि हम रातभर खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं। सर्दी के कारण किसान और पशु दोनों बेहाल हैं। मिल प्रबंधन को इस बारे में विचार करना चाहिए। समाधान के लिए हो रहा काम : केन मैनेजर किसानों को पर्ची देने का काम समितियों के द्वारा किया जा रहा है। स्योहारा चीनी मिल का गन्ना आने के बाद जाम की समस्या बन गई है। इसे जल्द सुधारने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। भुगतान को लेकर कोई समस्या न हो इस दिशा में भी काम किया जा रहा है।

-एनसी पंत,केन मैनेजर,अगवानपुर चीनी मिल।


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