अब कहा और कितनी गति से चल रहे हैं वाहन, आकाश से हो सकेगी निगरानी
कौन वाहन कहा चल रहा है और उसकी गति कितनी है, इसकी निगरानी अब आकाश (सेटेलाइट) से होगी।
मुरादाबाद (प्रदीप चौरसिया): कौन वाहन कहा चल रहा है और उसकी गति कितनी है, इसकी निगरानी अब आकाश (सेटेलाइट) से होगी। एक जनवरी से पैनिक बटन और वाहन लोकेशन ट्रैकिंग (वीएलटी) सिस्टम वाहनों में लगाना अनिवार्य हो जाएगा। यह सिस्टम ऑटो और ई-रिक्शा में नहीं लगेंगे। वाहनों की गति नियंत्रित करने, चोरी और महिलाओं से छेडख़ानी की घटनाएं रोकने के लिए वीएलटी सिस्टम को सार्वजनिक वाहनों में लगाने की व्यवस्था की जा रही है। यह सिस्टम जीपीएस और मोबाइल नेटवर्क से चलेगा। इसके लिए राज्य मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक कंट्रोल रूम स्थापित होंगे, जहा से वाहनों की निगरानी होगी। 25 अक्टूबर को इसका गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। एक जनवरी से सार्वजनिक वाहनों (बस, ट्रक, टैक्सी) में वीएलटी लगाना अनिवार्य होगा। वाहन बनाने वाली कंपनी सार्वजनिक वाहनों में वीएलटी लगाकर बाजार में बेचेगी। 31 दिसंबर से पहले पंजीयन वाले सार्वजनिक वाहनों में वीएलटी लगवाने की जिम्मेदारी परिवहन अधिकारी को सौंपी गई है। बिना वीएलटी वाले वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं होगा। सरकार से वीएलटी उपलब्ध कराने वाली कंपनियों का चयन करना है। महिला यात्री की सुरक्षा के लिए पैनिक बटन भी होगा, जिसे दबाने पर कंट्रोल रूम को सूचना मिल जाएगी। गजट नोटिफिकेशन हो चुका है जारी सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी अमरीश कुमार ने बताया कि सार्वजनिक वाहनों में वीएलटी लगाने के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी हो गया है। नए साल से वीएलटी लगाने का काम शुरू कर दिया जाएगा। स्कूल वाहनों में लगाए जाएंगे जीपीएस मुख्यालय से दिशा-निर्देश मिलते ही परिवहन विभाग जिले भर के स्कूल बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने का काम शुरू कर देगा। अधिकारियों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। प्रथम चरण में जिले के 626 स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगाए जा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए आदेश स्कूल बसों से दुर्घटनाएं बढऩे पर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा-निर्देश जारी किया है। प्रदेश सरकार ने इसे लागू करने के संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है। इसके तहत परिवहन विभाग ने स्कूल बसों को लेकर स्कूल संचालकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। दो माह पहले अभियान चलाकर जिले भर के स्कूल बसों में स्पीड गवर्नर लगाए गए थे। इससे स्कूल बसें तेज गति से नहीं चल रहीं हैं। इसके अलावा स्कूल बस चालक को कम से कम पाच साल तक बस चलाने का अनुभव हो, जिले में यह व्यवस्था भी लागू कर दी गई है। डग्गमार वाहनों पर नहीं लग पाया लगाम हालाकि डग्गामार स्कूल बसों पर रोक लगाने में परिवहन विभाग असफल रहा। संभागीय परिवहन अधिकारी आरआर सोनी ने बताया कि सरकार के आदेश के बाद परिवहन मुख्यालय को किस कंपनी का जीपीएस उपकरण लगाया जाए, यह तय करना है। कंपनी तय होते ही सिस्टम लगाने का काम शुरू हो जाएगा। स्कूल को जीपीएस सिस्टम का कंट्रोल रूम बनाया जाएगा।