देश और दुनिया से दूर मुरादाबाद का पहला बूथ
लोकसभा क्षेत्र का पहला ही मतदान केंद्र पोलिंग पार्टियों के धैर्य व साहस की परीक्षा लेगा। देश व दुनिया से दूर दरियापुर तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है।
मुरादाबाद(श्रीशचंद्र मिश्र राजन')। लोकसभा क्षेत्र का पहला ही मतदान केंद्र पोलिंग पार्टियों के धैर्य व साहस की परीक्षा लेगा। देश व दुनिया से दूर दरियापुर तक पहुंचना उनके लिए आसान नहीं है। मतदान के लिए कमर कस चुकी पोलिंग पाटियों को न सिर्फ प्राकृतिक बाधाओं से पार पाना होगा, बल्कि बूथ तक पहुंचने में एड़ी से चोटी तक जोर लगाना होगा।
मुरादाबाद संसदीय क्षेत्र का पहला बूथ दरियापुर गाव में है। यह गाव चारों तरफ से रामगंगा व जंगल से घिरा है। इस गाव तक पोलिंग पार्टियों को पहुंचने के लिए रामगंगा की लहरों का सामना करना होगा।
गाव से चार किमी परिधि में कोई संपर्क मार्ग नहीं। यानि बूथ से चार किमी पहले ही पक्का मार्ग साथ छोड़ देगा। जो कच्चा रास्ता गाव तक सीधे पहुंचता है, वह भी बिजनौर के स्योहारा से होकर आता है। पोलिंग पार्टियों को सीधे गाव तक पहुंचने के लिए स्योहारा से जाना होगा।
ग्राम प्रधान रामवीर सिंह के पुत्र सत्यवीर बताते हैं कि पूर्व के चुनाव में पोलिंग पार्टिया पड़ोसी गाव तक ही आ पाईं। पोलिंग पार्टियों को गाव तक सकुशल लाने में ग्रामीण मदद करते हैं। जज्बे से जिंदा लोकतंत्र विकास की दृष्टि से दरियापुर यूं तो पिछड़े गावों की सूची में भी पहले पायदान पर है, लेकिन यहा के ग्रामीणों के जेहन में लोकतंत्र के प्रति गहरी आस्था है। ग्रामीणों की मानें तो प्रति वर्ष वह लकड़ी का पुल बनाकर रामगंगा पार करते हैं। दरियापुर के जीवन की डोर कहा जाने वाला रामगंगा पर बना लकड़ी का पुल ही पोलिंग पार्टियों को सकुशल मतदान केंद्र तक पहुंचाता है। पोलिंग पार्टियों का वाहन पुल से करीब दो किमी पहले ही रोक दिया जाता है। नदी के रेत में पोलिंग पार्टियों को पैदल चलना पड़ता है। जंगल के किनारे खड़े ग्रामीण पोलिंग पार्टिया का इंतजार करते हैं। ग्रामीण न सिर्फ उनका इस्तकबाल करते हैं, बल्कि मार्गदर्शक बनकर उन्हें अपने गाव तक ले जाते हैं। ग्रामीणों का यह जज्बा ही लोकतंत्र की जान है। एक नजर में दरियापुर
आबादी - 4000
मतदाता - 1465
परिवार - 412
अंत्योदय - 31
प्रधानमंत्री आवास - 1
बिजली - 412
आयुष्यमान - 0
चुनौतियों के बाद भी लोकतंत्र में गहरी आस्था धरम सिंह का कहना है कि प्राकृतिक चुनौतियों के बाद भी ग्रामीणों की गहरी आस्था लोकतंत्र में है। फिर भी मतदान को लेकर हमारा जोश व जज्बा कम नहीं है। हमारी मेहनत सार्थक होती है। संजीव सिंह का कहना है कि दरियापुर के सामने ढेरों चुनौतिया हैं। वक्त के साथ हालात जरूर बदलेंगे। ग्रामीण मतदान को लेकर न सिर्फ उत्साहित हैं, बल्कि अपने दायित्व का बखूबी निर्वाह करते चले आ रहे हैं। विनीत सैनी का कहना है कि ग्रामीणों की बगैर मदद के पोलिंग पार्टिया बूथ तक पहुंच ही नहीं सकतीं। प्राकृतिक दृष्टि से दरियापुर मुरादाबाद ही नहीं बल्कि बिजनौर से भी कटा हुआ है। ऐसे में संकट ग्रामीणों के सिर पर सदैव सवार रहता है। गेंदा सिंह का कहना है कि जंगल व रामगंगा ही हमारा जीवन हैं। गाव के हालात दुरूह और दुर्गम हैं। इसके बावजूद दिन बहुरने की हमारी उम्मीद आज भी कायम है। विकास के लिए एक बार फिर मतदान करेंगे।