बारिश से मटर और सरसों की फसल में रोग लगने की उम्मीद, इस तरह से कर सकते हैं बचाव
UP Weather Update बीते एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी अब और बढ़ गई है। शुक्रवार आधी रात से हो रही बारिश से गलन बढ़ गई है। बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा है तो वहीं मटर व सरसों की फसल के लिए नुकसान है।
मुरादाबाद, जेएनएन। UP Weather Update : बीते एक सप्ताह से पड़ रही कड़ाके की सर्दी अब और बढ़ गई है। शुक्रवार आधी रात से हो रही बारिश से गलन बढ़ गई है। साथ ही तेज हवा से भी ठंड ज्यादा बढ़ गई है। इस बारिश से जहां गेहूं की फसल को फायदा है तो वहीं मटर व सरसों की फसल के लिए नुकसान है। खेतों में पानी रुकने से मटर, टमाटर, आलू और सरसों की फसल में फफूंद जनित रोगों के लगने के आसार बढ़ गए हैं। हालांकि गेहूं के लिए यह बारिश काफी लाभदायक होगी। बारिश से अमरोहा जिले का तापमान न्यूनतम 10 डिग्री तो अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस हो गया।
बीते एक सप्ताह से कोहरा व बादलों के चलते सूरज नहीं निकल रहा था। हालांकि शुक्रवार को दोपहर में कुछ देर के लिए धूप निकली थी। परंतु धूप बेदम थी। लगातार कहर ढाह रही ठंड शुक्रवार रात बारिश होने के बाद ठंड में बढ़ोत्तरी हो गई है। रात लगभग तीन बजे बारिश शुरू हो गई थी। अमरोहा में सुबह 6 बजे तक रुक-रुक कर कभी तेज तो कभी हल्की बारिश होती रही। शनिवार को दिन निकला तो हवा भी चलने लगी। जिससे ठंड अधिक बढ़ गई।
शनिवार को जिले में न्यूनतम तापमान 10 तो अधिकतम 20 डिग्री सेल्सियस रहा। आसमान में बादल छाए हुए हैं तथा अभी बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है। उधर इस बारिश से गेहूं व गन्ना की फसल को फायदा हुआ है। जबकि सरसो व मटर की फसल को नुकसान बताया जा रहा है। जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि बीते कई दिन से धूप नहीं निकल रही है। जिससे तिलहनी फसलों में फफूंदी जनक रोग पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है।
फसल में रोग लगने पर कैसे करें बचावः सर्दी के मौसम में बारिश से फसलों में व्हाईट रस्ट एल्बूगो केनडिडा नामक फफूंदी के कारण होती है। इसमें पत्तियों पर सफेद रंग फफोले बनते हैं तथा पुष्पविन्यास विकृत हो जाता है। आल्टरनेरिया रोग भी खेतों में पानी भरने से होता है और भूरे रंग के छल्लाकार धब्बे बन जाते हैं। रोग की तीव्रता होने पर छिद्रों में परिवर्तति हो जाते हैं। सरसों की सुरक्षा के लिए जिनेब 75 प्रति डब्ल्यू पी-2 से 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर 200 रुपये प्रति एकड़ से छिड़काव करें या मैंकोजेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी का छिड़काव करें। आलू खेत में पानी भरने से आल्टनेरिया सोलेनाई एवं फाइटोप्थोरा इंफेसटेंस नामक फफूंदियों के कारण होते हैं। ऐसे में मैंकोजेब 75 प्रति डब्ल्यूपी-800 ग्राम मात्रा में जिनेब मिलाकर छिड़काव करें।