कोरोना संक्रमण कम होने के बाद भी लगातार सरेंडर हो रही UP Roadways की बसें, जानें क्या है वजह
UP Roadways News कोरोना थमने के बाद भी सफर करने वालों की संख्या कम ही है। यात्री नहीं मिलने के कारण लगातार घाटा उठा रहे बस आपरेटर परमिट सरेंडर करने में ही भलाई समझ रहे हैं। 93 प्राइवेट बस संचालक परमिट वापस कर चुके हैं।
मुरादाबाद, जेएनएन। UP Roadways News : कोरोना थमने के बाद भी सफर करने वालों की संख्या कम ही है। यात्री नहीं मिलने के कारण लगातार घाटा उठा रहे बस आपरेटर परमिट सरेंडर करने में ही भलाई समझ रहे हैं। 93 प्राइवेट बस संचालक परमिट वापस कर चुके हैं। इनमें स्कूल बस संचालकों की संख्या अधिक है। कोरोना की प्रथम लहर के बाद मार्च 2020 से स्कूल बसों का संचालन बंद है। कोरोना की पहली लहर से लोग संभल नहीं पाए थे, तब तक दूसरी लहर शुरू हो गई। इसके बाद तो लोगों घर से निकलना कम कर दिया है। लंबी दूरी के यात्री ट्रेनों से सफर करते हैं। कम दूरी के कुछ यात्री अपने वाहन से सफर कर रहे हैं। काफी कम संख्या में यात्री बसों से सफर करना चाहते हैं।
परिवहन विभाग के नियम के अनुसार परमिट लेने के बाद बस संचालकों को प्रत्येक माह पैसेंजर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। साथ ही प्रत्येक साल बीमा राशि जमा करना पड़ता है। स्कूल नहीं खुलने से बस संचालकों ने जून 2020 से स्कूल बसों का परमिट सरेंडर कर दिया था, अभी तक भी परमिट वापस नहीं लिया है। 93 प्राइवेट बस संचालकों ने लम्बे समय से परमिट सरेंडर कर रखा है, वापस नहीं लिया है। रोडवेज प्रबंधन ने 50 बसों का अभी तक परमिट वापस नहीं लिया है। इसके अलावा लगातार बस मालिक परमिट सरेंडर कराने परिवहन विभाग पहुंच रहे हैं।
बसों का परमिट सरेंडर करने के बाद पैसेंजर टैक्स नहीं देना पड़ता है और बीमा भी नहीं जमा करना पड़ता है। परमिट सरेंडर होने से परिवहन विभाग का राजस्व वसूली कम हो रहा है। अब परिवहन विभाग वाहन मालिकों से परमिट वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) छवि सिंह ने बताया कि यात्री की संख्या कम होने से अभी भी बसों का परमिट सरेंडर करने वाहन मालिक पहुंच रहे हैं। स्कूल नहीं खुलने से स्कूल बसों का परमिट नहीं ली है, इससे राजस्व वसूली प्रभावित हो रही है।