UP Police : मुरादाबाद में रजिस्ट्री दफ्तर के सभी मुकदमों की जांच अब सिविल लाइंस पुलिस नहीं करेगी
अभी तक जितने भी बैनामे से संबंधित फर्जीवाड़े से संबंधित मामले होते हैं उनकी विवेचना सिविल लाइंस थाना पुलिस के द्वारा की जाती है। इन मुकदमों के चलते सिविल लाइंस थाने में विवेचनाओं का बोझ बहुत ज्यादा है।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। सिविल लाइंस थाना क्षेत्र रजिस्ट्री दफ्तर है। अभी तक जितने भी बैनामे से संबंधित फर्जीवाड़े से संबंधित मामले होते हैं, उनकी विवेचना सिविल लाइंस थाना पुलिस के द्वारा की जाती है। इन मुकदमों के चलते सिविल लाइंस थाने में विवेचनाओं का बोझ बहुत ज्यादा है। ऐसे में थाने में मौजूदा स्टाफ का बोझ कम करने के साथ ही विवेचनाओं को तेजी से निस्तारित करने के लिए रजिस्ट्री दफ्तर से संबंधित सभी मामलों की विचेचना पीड़ित के थानों से कराने के निर्देश दिए गए हैं।
डीआइजी शलभ माथुर ने बताया कि रजिस्ट्री दफ्तर में जनपद में किसी भी व्यक्ति के साथ धोखाधड़ी हो। लेकिन, मुकदमा सिविल लाइंस थाने में ही लिखा जाता है। ऐसे में विवेचना का पूरा बोझ इस थाने पर आ जाता है। लेकिन अब जो व्यक्ति जहां का निवासी है, उसी थाने से विवेचना कराने संबंधी निर्देश एसएसपी को दिए गए हैं। इससे थाने के कामकाज में सुधार होगा। मुरादाबाद जनपद में कुल 20 थाने हैं। इन थानों में लगभग साढ़े तीन हजार पुलिस कर्मियों की तैनाती है। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के मामले थानों में पहुंच रहे हैं। ऐसे में सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में जिले के लगभग सभी महत्वपूर्ण विभागों के दफ्तर है। इस कारण से प्रत्येक विभाग से संबंधित मुकदमों को इसी थाना क्षेत्र में दर्ज किया जाता है। इस थाना क्षेत्र में विवेचनाओं का बोझ इतना है, कि विवेचक भी मानसिक तनाव में आ जाता है। वीआइपी ड्यूटी के साथ आए दिन होने वाले धरना प्रदर्शन के साथ ही दुर्घटना होने पर जिला अस्पताल की जिम्मेदारी भी सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में आती है। जबकि थाने का जितना क्षेत्रफल है, उतने पुलिस कर्मी यहां तैनात नहीं है। ऐसे में डीआइजी ने इस थाने में अतिरिक्त फोर्स बढ़ाने के साथ ही रजिस्ट्री दफ्तर से संबंधित मामलों को वादी के थाना क्षेत्र से कराने के निर्देश दिए हैं।
सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में जिम्मेदारी अधिक है। ऐसे में यहां पर विवेचनाएं लंबे समय तक लंबित रहती है। विवेचनाओं को तेजी के साथ निस्तारित करने के लिए रजिस्ट्री दफ्तर से संबंधित मुकदमों को पीड़ित के थाना क्षेत्र से कराने के लिए निर्देश दिए हैं। इस नई प्रक्रिया से विवेचनाए लंबित नहीं रहेंगी।
शलभ माथुर, डीआइजी