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रेलवे ने पत्रकारों को बनाया दिव्याग, डीआरएम बोले-सुधार के लिए भेजेंगे पत्र

रेलवे की कारगुजारी ने पत्रकारों को दिव्याग बना दिया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Sep 2018 08:11 AM (IST)Updated: Sat, 29 Sep 2018 08:11 AM (IST)
रेलवे ने पत्रकारों को बनाया दिव्याग, डीआरएम बोले-सुधार के लिए भेजेंगे पत्र
रेलवे ने पत्रकारों को बनाया दिव्याग, डीआरएम बोले-सुधार के लिए भेजेंगे पत्र

मुरादाबाद। पत्रकार दिव्याग नहीं हैं, बल्कि रेलवे की कारगुजारी ने

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उन्हें दिव्याग बना दिया है। दरअसल मान्यता प्राप्त पत्रकारों को जब

ई-टिकट लेना होता है तो उन्हें दिव्याग के विकल्प का चयन करना पड़ता है।

मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि अब मामला संज्ञान में आया

है, इसके सुधार के लिए पत्र भेजा जाएगा। ये है पूरा मामला

इंडियन रेलवे कैटड्क्षरग एंड टूरिज्म कारपोरेशन (आइआरसीटीसी)पिछले दो साल

से पत्रकारों को ई-टिकट द्वारा रियायती टिकट बनाने की सुविधा उपलब्ध करा

रहा है। ई-टिकट बनाने पर विकल्प में प्रेस रियायती का कोई कॉलम नहीं दिया

है। ई-टिकट बनाने पर विकल्प में जनरल, लोअर बर्थ, सीनियर सिटीजन, लेडीज,

दिव्याग, तत्काल व प्रीमियम तत्काल दिया है। ऐसे में ई-टिकट बनाने वाले

पत्रकार परेशान हो जाते हैं। दिव्याग के विकल्प का चयन करने पर विशेष

रियायत (दिव्याग व प्रेस पर्सन) लिखा आता है। अगले पेज पर जाने पर

दिव्याग, एस्कॉर्ट, जनरल, प्रेस पर्सन, प्रेस चिल्ड्रेन व प्रेस कैंपनियन

लिखा आता है। तब पत्रकार अपने विकल्प का चयन कर टिकट बना पाते हैं और जो

पत्रकार इसे खोज नहीं पाते हैं, वह रेलवे के बुकिंग काउंटर पर जाकर रियायती टिकट खरीदते हैं। अधिकारी कुछ भी कहने को तैयार नहीं

इस मामले को लेकर रेलवे व आइआरसीटीसी के अधिकारी खुलकर कुछ भी कहने को

तैयार नहीं हैं। अपना नाम बताए बिना दबी जुबा में कहते हैं कि बुकिंग

काउंटर से टिकट लेने का सिस्टम सेंटर फोर रेलवे इंफार्मेशन सिस्टम (क्त्रिस)

तैयार करता है। रेलवे बोर्ड से आदेश मिलते ही क्त्रिस टिकट व रिजर्वेशन

सिस्टम को अपग्रेड कर देता है। ई-टिकट बनाने का सिस्टम आइआरसीटीसी द्वारा

तैयार किया जाता है। आइआरसीटीसी के अधिकारियों ने शॉर्टकट तरीका अपनाया है,

इसलिए प्रेस पर्सन के लिए अलग से विकल्प नहीं दिया है। भेजा जाएगा पत्र

मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि बुकिंग काउंटर से टिकट बनाने

पर जो कमी सामने आती है, रेलवे कर्मचारी मंडल मुख्यालय के माध्यम से रेलवे

बोर्ड तक भेजते हैं, जिसका तत्काल सुधार हो जाता है। ई-टिकट यात्री स्वयं

या एजेंट के माध्यम से बनाता है, उसमें क्या कमी है, इसकी जानकारी मंडल रेल

प्रशासन को नहीं मिल पाती है। अब यह मामला सामने आया है, इसमें सुधार के

लिए मुख्यालय पत्र भेजा जाएगा।


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