लचर व्यवस्था से यात्री व टीटीई लाचार
रेलवे प्रबंधन यात्रियों से किराये के अलावा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रुपये लेता है, लेकिन सुविधा मुहैया नहीं करायी जाती है।
मुरादाबाद :रेलवे प्रबंधन यात्रियों से किराये के अलावा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रुपये लेता है, लेकिन सुविधा के नाम पर यात्रियों को गंदी चादर व गंदे शौचालय की सुविधा मिलती है। यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मदारी कंडेक्टर (मुख्य टिकट निरीक्षण) सौंपी गई है, लेकिन कंडेक्टर को सुविधा उपलब्ध कराने का अधिकार नहीं दिया गया है। कंडेक्टर यात्री से शिकायत दर्ज कराकर शांत बैठ जाते हैं।
सिर्फ करता है बड़ी-बड़ी घोषणाएं
रेलवे यात्रियों को सुविधा देने के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं करता है। जनरल कोच में सफर करने वाले यात्रियों से बिना अतिरिक्त राशि लिए ही सुविधा उपलब्ध कराता है। जबकि सुविधाएं पाने के लिए यात्री अतिरिक्त कीमत देकर एसी थ्री, एसी टू व एसी फर्स्ट में सफर करते हैं, लेकिन बदले में रेल प्रशासन यात्रियों को गंदी चादर व गंदा शौचालय की सुविधा देता है।
बिना धुले चादर, तकिये, कंबल दिए जाते है
उदाहरण के लिए सप्ताह में दो दिन गोरखपुर से एक दिन मुजफ्फरपुर से देहरादून के लिए राप्ती गंगा एक्सप्रेस चलती है। इस ट्रेन के एसी कोच में यात्री को बिना धुले चादर, तकिये, कंबल दिये जाते हैं। यात्रियों को तौलिया तक नहीं दी जाती हैं। एसी कोच के शौचालय की सफाई तक नहीं की जाती है। स्लीपर व जनरल कोच में पानी तक की व्यवस्था नहीं होती है। एसी ठीक तरह से काम न करने की समस्या तो आम है।
ठेकेदार ने जैसा चादर दिया वैसा उपलब्ध कराया
परेशान यात्री शिकायत करने कंडेक्टर व टीटीई के पास पहुंचते हैं, कंडेक्टर कोच अटेंडेंट को साफ चादर देने का आदेश देता है, अटेंडेंट का जवाब होता है, ठेकेदार ने जैसा चादर उपलब्ध कराया है वैसा ही दे रहे हैं। कंडेक्टर के द्वारा कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है, लेकिन समस्या का समाधान नहीं होता है। कंडेक्टर समस्या का समाधान करने के बजाय यात्री को शिकायत पुस्तिका उपलब्ध करता देता है।
सुविधा देने के बजाय बिना टिकट के यात्रियों को खोजते है
यात्रियों को सुविधा मिल रही है या नहीं इसकी नियमित जांच कराने के लिए वाणिज्य विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी होती है, वाणिज्य विभाग के अधिकारी सुविधा की जांच करने के बजाय बिना टिकट यात्रियों को खोजते हैं और जुर्माना वसूल कर चले जाते हैं।
यह है कंडेक्टर व टीटीई की लाचारी
-रेल प्रशासन ने ट्रेनों में यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कंडेक्टर तो तैनात कर दिए, लेकिन उन्हें कोई अधिकार नहीं दिए। ठेकेदारों द्वारा एसी कोच में गंदे बेड रोल की आपूर्ति की जाती है। बेड रोल के साथ तौलिया भी नहीं होता है। दिल्ली से ट्रेन चलती है लेकिन कोच में पानी नहीं होता, सफाई की व्यवस्था भी नहीं होती है। कंट्रोल रूम को सूचना दी जाती है न तो समस्या का समाधान होता है और न ही दोषी अधिकारी व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। रेल मंत्री तक शिकायत पहुंचने पर निर्दोष कंडेक्टर या टीटीई के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इस मामले को लेकर इंडियन रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आर्गेनाइजेशन लंबे समय से संघर्षरत है और रेल बोर्ड चेयरमैन तक को जानकारी दे चुके हैं। उसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं किया गया है।
-धीरेंद्र सिंह,राष्ट्रीय संयुक्त सचिव ,इंडियन रेलवे चेकिंग स्टाफ आर्गेनाइजेशन। कोच अटेंडेंट की पीड़ा
-रेलवे ने यात्रियों को बेड रोल उपलब्ध कराने का काम ठेकेदार को दे दिया है। नये कोच में एसी थ्री में 80 व एसी टू में 60 बर्थ होती हैं। दोनों ओर से एक बर्थ पर औसत छह बार नये नये यात्री सवार होते हैं। ठेकेदार 360 के स्थान पर 150 बेड रोल उपलब्ध कराता है। अगर यात्री तौलिया अपने साथ ले जाते हैं तो इसके बदले में 35 रुपये एक तौलिया की कीमत कर्मचारी से ठेकेदार वसूली कर लेता है। ऐसे में यात्रियों को प्रयोग किया हुआ और गंदा बेड रोल उपलब्ध कराना मजबूरी होती है। तौलिया नहीं होने से सभी यात्रियों को उपलब्ध नहीं कराई जाती है।
-राजेंद्र प्रसाद, कोच अटेंडेंट,
दुर्गियाना एक्सप्रेस।
दोषी के खिलाफ हो कार्रवाई
ट्रेनों में यात्रियों को सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की है। सुविधा उपलब्ध हो रही है या नहीं इसकी जांच भी कराई जाती है। गंदा चादर उपलब्ध कराए जाने पर दोषी के खिलाफ मुख्यालय स्तर से कार्रवाई की जाती है।
-अजय कुमार सिंघल, मंडल रेल प्रबंधक,मुरादाबाद।
यह बोले यात्री
टीटीई के कहने के बाद भी कोच अटेंडेंट ने साफ चादर नहीं दी। मांगने पर गंदा तौलिया दिया गया। टीटीई ने अपनी मजबूरी बताकर शिकायत पुस्तिका देते हुए शिकायत दर्ज करने को कहा। -तपस राय
कोच की सफाई नहीं होती
बिना सफाई कराए ही अमृतसर से ट्रेन चला दी गई। शिकायत करने पर ट्रेन में तैनात सफाई कर्मचारी ने सफाई नहीं की। टीटीई की सूचना पर लुधियाना में सफाई कर्मचारी पहुंचा और शौचालय की सफाई कर चला गया, लेकिन कोच की सफाई नहीं की।
-संतोष सिंह।