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यूपी चुनाव 2022 में कैसे हो रहा डिजिटल प्रचार, उम्मीदवारों की बात मतदाता तक कैसे पहुंचा रहे डिजिटल विशेषज्ञ

UP Election 2022 कोरोना संक्रमण के कारण यूपी विधानसभा चुनाव 2022 मेंं चुनाव आयोग ने रैलियों पर रोक लगा रखी है। ऐसे में अब राजनीतिक दलों का डिजिटल प्रचार पर जोर है। इसके चलते इस विधानसभा चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी हलचल देखने को मिल रही है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 07:05 AM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 07:05 AM (IST)
यूपी चुनाव 2022 में कैसे हो रहा डिजिटल प्रचार, उम्मीदवारों की बात मतदाता तक कैसे पहुंचा रहे डिजिटल विशेषज्ञ
UP Vidhan Sabha Election 2022 : नई प्रौद्योगिकियों, इनोवेशन से आनलाइन प्रचार को प्रभावशाली बना रहे तकनीकी सलाहकार

मुरादाबाद, जेएनएन। UP Vidhan Sabha Election 2022 : विधानसभा चुनाव के प्रचार पर कोरोना की मार हावी है। इससे चुनाव आयोग ने भौतिक रूप से होने वाली रैलियों पर रोक लगाई है। इससे अब डिजिटल प्रचार प्रसार पर जोर है। इस विधान सभा चुनाव में सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काफी हलचल देखने को मिली है। चुनाव प्रचार होने से भौतिक रैलियां बंद होने से डिजिटल माध्यम एक अच्छा विकल्प बनकर उभर रहा है। क्योंकि, सोशल मीडिया के माध्यम से चुनावी पार्टियां और वोटरों को सीधे टारगेट करना आसान है।

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प्रत्याशी व इनके लिए काम करने वाले फ्री हैंडलेस वर्कर तकनीकी सलाहकारों से राय लेने लगे हैं। सोशल मीडिया मार्केटर, डिजिटल मार्केटिंग मैनेजर, कंटेंट रणनीतिकारों की भूमिका डिजिटल प्रचार से बढ़ गई है। चुनाव प्रचार के लिए सोशल मीडिया तकनीकी प्रोफेशनल विभिन्न प्लेटफार्म्स जैसे यूट्यूब, फेसबुक, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम , जीमेल, वॉट्सऐप मैसेज- ग्रुप्स, टेलीग्राम, सिग्नल एवं ट्विटर का प्रयोग प्रचार के लिए रैलियों पर रोक लगने से बढ़ेगा। सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार के लिए उपरोक्त तकनीकी विशेषज्ञ बताते हैं कि वह उम्मीदवार का प्रचार उनके वोटरों तक पहुंच सके, उसकी प्लानिंग को अलग-अलग केटेगरी के हिसाब से बताते हैं। किस प्रकार के प्रचार का कौन-सा पोस्टर, वीडियो या कौन-सा कंटेंट दिखाना है, प्लान करके वोटर को डिजिटल के माध्यम से पहुंचाते हैं।

सोशल मीडिया तकनीक की क्यों बढ़ी भूमिका

- क्षेत्रफल के अनुसार आबादी को करते है आसानी से टारगेटः एक समय में लोगों को कैटेगरी करके अलग से एवं ग्रामीण लोगों को जरूरत के हिसाब से रिझा सकते हैं।

- लिंगानुसार जनता को करते हैं आसानी से टारगेट - सोशल मीडिया विशेषज्ञ आसानी से राजनेताओं की डिजिटल रैलियां और बातें एक ही समय में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों, वयस्कों एवं युवाओं तक अलग से बेहद आसानी से पहुंचा सकते हैंं।

- भौतिक रैलियों की अपेक्षा 10 गुना कम खर्च पर आसानी से वह डिजिटल के माध्यम से घर-घर कर सकते हैं प्रचार।

- वर्चुअल रैली के लिए क्रिएटिव कंटेंट का उपयोग अहम हुआ है। फिजिकल रैलियों में नेता आराम से जनता को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते हैं, परंतु वर्चुअल माध्यम में ऐसा कर पाना मुश्किल होता है।

क्या कहते हैं डिजिटल विशेषज्ञः तकनीकी सलाहकार आलोक पाण्डेय ने बताया कि कोरोना के कारण भौतिक रूप से रैलियों पर रोक लगने से चुनाव में डिजिटल प्रचार सबसे अच्छा तरीका है। नेता जिस वर्ग को संबोधित करना चाहते हैं या जिस क्षेत्र के लिए जनता को संबोधित करना चाहते हैं उस क्षेत्र में किए गए कार्यों को अपने संबोधन के दौरान बीच बीच में वहां की कुछ अच्छी इमेज, उनके छोटे-छोटे वीडियो पहले से बनाकर अपनी जनता को दिखाते हैं। जिससे जनता उनके संवाद से जुड़ी रहेगी और डिजिटल रैली आकर्षक बनी रहेगी।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट अंकित शर्मा का कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्सपर्ट कंप्यूटर विजन से चुनाव प्रचार करके प्रभावशाली बना सकते हैं। विपक्ष की आनलाइन रैली के वीडियो देखकर एक समीक्षा भी करना आसान होता है कि उनकी और हमारी रैली में कंटेंट में क्या अंतर है। इससे दूसरे डिजिटल सामग्री को और प्रभावशाली बनाकर अपने क्षेत्र की जनता तक पहुंचा सकते हैं। दूसरा फायदा यह भी है कि रैली में भीड़ जुटाने से यह पता नहीं चलता कि वह वास्तविक वोटर है भी या नहीं।


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