एक साल में दो हजार दुधारु पशु हो गए बाझ
मुरादाबाद : असंतुलित खानपान का बुरा असर न सिर्फ इंसानों पर ही, बल्कि पशुओं पर भी भारी पड़
मुरादाबाद : असंतुलित खानपान का बुरा असर न सिर्फ इंसानों पर ही, बल्कि पशुओं पर भी भारी पड़ रहा है। पौष्टिक आहार और हरा चारा नहीं मिलने से दुधारू पशु भी बाझपन का शिकार हो रहे हैं। पशुओं में बढ़ते कुपोषण की वजह से रामपुर में पिछले एक साल में ही दो हजार दुधारु पशु बाझ हो चुके हैं। दुधारु पशुओं के बाझ होने पर पशुपालन विभाग और पशुपालक भी चिंतित हैं। पशुओं को बाझपन से बचाने के लिए विभाग द्वारा पशुपालकों को पौष्टिक आहार बाटा जा रहा है।
न पौष्टिक आहार न हरा चारा
रामपुर में किसान बड़े पैमाने पर पशुपालन करते हैं। इससे उन्हें शुद्ध दूध घी तो मिलता ही है। यह किसानों के आजीविका का भी बड़ा जरिया है। कुछ समय पहले तक पशुओं को चरगाहों में घूमने के दौरान जरूरत की हर खुराक मिल जाती थी, लेकिन अब न चरगाहें बची हैं और न ही पौष्टिक आहार मिल रहा है। हरी घास नहीं मिलने से पशुओं में सेल्यूज, विटामिन, प्रोटीन और वसा की कमी हो रही है। ऐसे में पशु तेजी से कुपोषण का शिकार हो रहे हैं, जिसकी वजह से जिले में एक साल में ही दो हजार दुधारू पशु बाझ हो गए हैं। दुधारू पशुओं में बढ़ते बाझपन से दूध की कमी भी तेजी से होती जा रही है। दुधारू पशुओं के बाझ होने से पशुपालक चिंतित हैं। बाटा जा रहा पौष्टिक आहार
पशुपालन विभाग द्वारा ब्लॉक स्तर पर जगह जगह गोष्ठी कर पशुपालकों
को पशुओं को बाझपन से बचाने के लिए देसी नुस्खे बताए जा रहे हैं। पशुओं को दें मिनरल मिक्चर
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी केपी सिंहल कहते हैं कि संतुलित आहार पशुओं के लिए बहुत ही जरूरी होता है, जिसकी जागरूकता अभी भी पशुपालकों में नहीं आ पाई है। बाझपन की समस्या को देखते हुए विभाग द्वारा ब्लॉकों में बाझपन
शिविरों का आयोजन करके बाझ पशुओं का इलाज किया जाता है। मिनरल मिक्चर पशुपालकों को निश्शुल्क दिया जाता है। पशुपालक अपने पशुओं को कुपोषण से बचाने के लिए मिनरल मिक्चर, हरी घास और पौष्टिक आहार दें। चूने का पानी पिलाए।ं पशु चिकित्सक से इलाज कराएं। चारे में सेंधा नमक और घरेलू नुस्खे अपनाएं। बड़ी ग्राम पंचायतों में स्थापित हों पशु चिकित्सालय
भारतीय किसान यूनियन भानु के मंडल उपाध्यक्ष हरताल सिंह यादव कहते हैं कि बड़ी ग्राम पंचायतों में भी पुश चिकित्सालय अभी तक स्थापित नहीं हो सके हैं। पशुपालक जानकारी के अभाव में पशुओं के खानपान पर सही तरीके से ध्यान नहीं दे पाते हैं। यही नहीं सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी पशुपालकों तक नहीं पहुंच पाता है। हर वर्ष पशुपालकों के लिए करोड़ों रुपये की दवाइयों विभाग को मिलती हैं, लेकिन वह पशुपालकों तक नहीं पहुंच पातीं हैं। पशुपालन विभाग को चाहिए कि हर बड़ी ग्राम पंचायत में पशु चिकित्सालय स्थापित कराए।