मुरादाबाद में कार के दरवाजे लॉक होने पर दम घुटने से दो भाईयों समेत तीन बच्चोंं की मौत
Mishap in UP मुरादाबाद के मूंढापांडे में सोमवार दोपहर में कार में दम घुटने से तीन बच्चों की मौत हो गई। बंद कार में चार बच्चे थे।
मुरादाबाद, जेएनएन।Mishap in UP: पीतलनगरी मुरादाबाद में बड़ों की लापरवाही बच्चों पर भारी पड़ गई और इसकी कीमत तीन बच्चों को अपनी जान के रूप में चुकानी पड़ी। दो बच्चे अभी बेहोश हैं। तपती धूप में खड़ी कार के अंदर खेल रहे चार बच्चों में से दो बच्चों की कार के दरवाजे लॉक होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई। दोनों ममरे-फुफेरे भाई थे। निजी अस्पताल में देर रात एक और बच्चे ने दम तोड़ दिया। मरने वालों में दो सगे भाई शामिल हैं।
मूंढापांडे के वीरपुर थान गांव निवासी कारपेंटर नासिर हुसैन ने तीन दिन पहले ही कार खरीदी थी। रविवार रात कार उस्मान के यहां खड़ी कर दी थी। नासिर कार के दरवाजे का लॉक लगाना भूल गया था। सोमवार को नासिर का पांच वर्षीय बेटा अलकाब, उनके चाचा बब्बन का छह वर्षीय बेटा अलताफ और चार वर्षीय भांजा अलफेज व पांच वर्षीय अक्शरजा कार के अंदर खेलने लगे तभी कार के दरवाजे लॉक हो गए। कार तेज धूप में खड़ी थी। नासिर ने बताया कि वह दलतपुर में कारपेंटर (बढ़ई) का काम करता है।
दोपहर में घर खाना खाने के लिए आए तो बच्चों का पता नहीं था। गांव में ही उसकी ससुराल है। उसने वहां जाकर बच्चों का पता किया तो यह जानकारी मिली कि बच्चों को कार से पास खेलते हुए देखा गया था। उसने कार के पास जाकर देखा तो चारों बच्चे अंदर बेहोश पड़े थे। शोर होने पर तमाम ग्रामीण मौके पर जमा हो गए। अलकाब और अक्शरजा की मौके पर ही मौत हो गई जबकि, अलफेज और अलताफ को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। देर रात अलफेज की भी मौत हो गई। अलफेज अक्शरजा का छोटा भाई है। दोनों अपने मामा के यहां आए थे।
गांव से लेकर अस्पताल तक मची चीख-पुकार
कार में लॉक होने पर दो बच्चों की मौत होने और दो की हालत नाजुक होने के बाद से कई गांवों में कोहराम मच गया। परिवार के लोग दो बच्चों को आनन-फानन में अस्पताल लेकर पहुंचे। किसी भी हाल में जान बचाने के लिहाज से परिवार वालों ने काशीपुर रोड के ही निजी अस्पताल को चुना। यहां अलताब बेहोश है। अलफेज बेंटीलेटर पर रखा गया है। बच्चों का हालचाल लेने वालों का अस्पताल और घरों में तांता लगा हुआ है।
दोस्ती भी टूटने के कगार पर
नासिर के घर में कार खड़े करने की जगह नहीं है। पड़ोस में रहने वाले उस्मान का बेटा उसका दोस्त है। नासिर की ससुराल भी उस्मान के घर के पास में ही है। इसलिए गांव के लिहाज से नासिर उनका रिश्तेदार भी है। बच्चों की मौत के बाद नासिर की सास अकीला और उनके बेटे ने उस्मान के परिवार पर ही बच्चों को कार में बंद करने का आरोप लगा दिया। इसे लेकर उस्मान और नासिर के परिवार में तनातनी हो गई। उस्मान के बेटे का कहना है कि नासिर रविवार की शाम को उनके यहां कार खड़ी करने आए तो मां मना कर रही थी। मेरी मां का कहना था कि पहले भी कार की वजह से उनके दरवाजे का स्लिप टूट गया था। अब मत खड़ी कराओ। उसने ही मां को समझाकर कार खड़ी कराई थी। हम ऐसा क्यों करेंगे। मासूमों को मारकर हमें क्या मिलेगा।
बहन से साथ खुशियां बांटने के बजाए मिला दर्द
नासिर ने बताया कि उसकी बड़ी बहन महशर जहां ने तीन बेटियों के बाद बेटे को जन्म दिया है। बड़ी मन्नतों से खुदा ने उसे बेटा दिया था। उसने ही छोटी बहन महताब और बहनोई सद्दाम को भोजपुर के ठीकरी गांव से फोन करके बुलाया था। सोचा था कि कार सही होकर आ गई कि इसी से बड़ी बहन के साथ खुशियां बांटने जाएंगे।
उसका घर थाना डिलारी के महमूदपुर गांव मेें हैैं। सोमवार शाम को पूरा परिवार वहां खुशी में शामिल होने जाने के लिए तैयारी कर रहा था। लेकिन हमें क्या पता था कि हमारे बेटों की ही मौत आने वाली है। खुदा ने बहन की खुशियां बांटने के बजाए हमारे ही लाडलों को अपने पास बुला लिया।
बोला नासिर बेच दूंगा इस मनहूस कार को
नासिर ने बताया कि उसने अपने चाचा बब्बन के साझे में कार इसलिए ली थी कि परिवार को एक साथ लेकर कहीं भी जाया जा सकता था। सस्ती कार है, कुछ काम कराकर अपने चलाने लायक कर लूंगा। कार पिछले कई महीने से चली नहीं थी। तीन दिन पहले ही बहन के घर जाने के लिए कार को ठीक कराया था।
रोते हुए नासिर ने बताया कि उसे नहीं मालूम था कि कार ठीक होते ही उसके बच्चों की जान उसमें चली जाएगी, नहीं तो कार को कभी ठीक नहीं कराता। बोला अब बेच दूंगा इस मनहूस कार को। इसने मेरे और मेरी बहन के बेटे की जान ले ली। अब इस कार का क्या करूंगा।