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टीएमयू के कुलपति रघुवीर सिंह बोले, डिग्री के साथ व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण भी आवश्यक

Tirthankar Mahaveer University News तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सेंटर फार टीचिंग लर्निंग एंड डवलपमेंट-सीटीएलडी की ओर से ब्रेन मंथन क्विज प्रतियोगिता हुई। इसमें टीएमयू के कुलपति प्रो.रघुवीर सिंह मुख्य अतिथि के रूप रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य सिर्फ डिग्री अर्जित करना नहीं है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Wed, 10 Nov 2021 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 10 Nov 2021 10:50 AM (IST)
टीएमयू के कुलपति रघुवीर सिंह बोले, डिग्री के साथ व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण भी आवश्यक
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में हुई ब्रेन मंथन क्विज प्रतियोगिता

मुरादाबाद, जेएनएन। Tirthankar Mahaveer University News : तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के सेंटर फार टीचिंग, लर्निंग एंड डवलपमेंट-सीटीएलडी की ओर से ब्रेन मंथन क्विज प्रतियोगिता हुई। इसमें टीएमयू के कुलपति प्रो.रघुवीर सिंह मुख्य अतिथि के रूप रहे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मूलभूत उद्देश्य सिर्फ डिग्री अर्जित करना नहीं है बल्कि शिक्षा प्राप्ति के बाद स्वयं के व्यक्तित्व, व्यवहार और चरित्र का निर्माण करना भी आवश्यक है। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कुलपति ने उन्हें अपने ज्ञान और बुद्धिमत्ता के विकास के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सफलता प्राप्ति के लिए जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

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संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में किसी भी व्यक्ति के सामने तीन विकल्प होते हैं, परिस्थितियों से डरना, भागना या चुनौतियों का सामना करना। इन तीन विकल्पों में हमें तीसरे विकल्प का चुनाव करना चाहिए। टीम सीटीएलडी का जिक्र करते हुए बोले, पूरी टीम विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहती है। एक सप्ताह के भीतर दो मेगा इवेंट्स- वोकबाडिक्टस और ब्रेन मंथन क्विज कॉम्पटीशन का आयोजन इस टीम की लगन और प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। इससे पूर्व क्विज प्रतियोगिता का औपचारिक शुभारम्भ मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. सिंह विशिष्ट अतिथि डीन अकादमिक प्रो. मंजुला जैन, डायरेक्टर स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह और सीटीएलडी के डायरेक्टर प्रो. आरएन कृष्णिया ने संयुक्त रूप से किया। बतौर विशिष्ट अतिथि डीन अकादमिक प्रो. मंजुला जैन ने कहा कि जिस प्रकार सागर मंथन के बाद विभिन्न रत्नों में सबसे महत्वपूर्ण रत्न अमृत की प्राप्ति हुई थी।


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