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Tigri Mela 2021 : कोरोना काल में जान गंवाने वालों को तिगरीधाम में मिलेगा मोक्ष, दीपदान आज

Tigri Mela 2021 दीपदान पर अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने का अनुमान है। क्योंकि कोरोना लहर के दौरान काफी लोगों की जानें गई हैं। स्वजन उन दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान करने तिगरी पहुंचेंगे।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 18 Nov 2021 06:44 AM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 06:44 AM (IST)
Tigri Mela 2021 : कोरोना काल में जान गंवाने वालों को तिगरीधाम में मिलेगा मोक्ष, दीपदान आज
तिगरी तट पर आज होगा दीपदान, भारी संख्या में लोगों के पहुंचने का अनुमान।

मुरादाबाद [सौरव प्रजापति]। Tigri Mela 2021 : यूं तो कोरोना काल के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है लेकिन, आज का दिन ऐसा है कि कोरोना के जख्म फिर हरे होंगे। दीपदान करते हुए अपनों की याद में आंसू निकलेंगे। उनकी आत्मशांति के लिए दीप जलाए जाएंगे। कोरोना का नाश होने की कामना की जाएगी। इसके साथ जान गंवाने वाले दिवंगत स्वजन की आत्मा को मोक्ष प्राप्ति की कामना होगी।

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दरअसल, इस बार कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तिगरीधाम में गंगा किनारे पर अपनों की आत्मशांति के लिए स्वजन द्वारा होने वाले दीपदान में पिछले सालों के मुताबिक अधिक संख्या में श्रद्धालु उमड़ने का अनुमान है। इतना ही नहीं इस बार अपनों की याद के साथ कोरोना के दौर में मिले जख्म भी ताजा हाेंगे। क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर में किसी ने प‍िता खोया तो किसी ने बेटा। जिंदगी भर के लिए मां-बहन का साथ भी छूटा है। उस दौर में न तो नियमानुसार दाह संस्कार हो पाए और न ही अन्य कोई कर्मकांड। इसलिए इस बार दीपदान पर अन्य मौत के साथ कोरोना काल में जान गंवाने वालों को भी दीपदान पर मोक्ष प्राप्त होगा। दीपदान की परंपरा महाभारत काल जितनी पुरानी है और अपनों की आत्म शांति के लिए स्वजन दीपदान के लिया मां गंगा के तट पर उमड़ते हैं। तिगरी गांव के रहने वाले पुरोहित पंडित गंगा शरण शर्मा ने बताया कि इस बार दीपदान पर अधिक संख्या में श्रद्धालुओं के उमड़ने का अनुमान है। क्योंकि कोरोना लहर के दौरान काफी लोगों की जानें गई हैं। स्वजन उन दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान करने तिगरी पहुंचेंगे।

जब पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण के सामने किया था दीपदान : दीपदान यानी पितरों की शांति के लिए गंगा तटों पर दीप जलाना, दान करना। यह रस्म, परंपरा कोई नई नहीं बल्कि महाभारत काल से चली आ रही है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर पवित्र गंगा तट पर दीपदान करने से दिवंगत आत्मा को शांति एवं मोक्ष की प्राप्त होती है। महाभारत काल में युद्ध के दौरान कौरव सेना व कुटुम्ब संबंधियों का वध करने के उपरांत उनकी आत्मा की शांति के लिए पांडवों ने भगवान श्री कृष्ण की मौजूदगी में सर्व प्रथम दीपदान किया था। कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष की चुतुर्थदशी की शाम दीपदान किया जाता है। 19 नंवबर को कार्तिक पूर्णिमा है, इसलिए दीपदान 18 नवंबर को होगा। तिगरीधाम, गढमुक्तेश्वर मेला के साथ ब्रजघाट में गंगा घाटों पर दीपदान को हजारों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस धार्मिक अनुष्ठान को सूर्यास्त के समय वे श्रद्धालु आएंगे। जिनके परिवार के सदस्य उनके बीच अब नहीं रहे। दीपदान उन्हीं दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए संबंधित परिवार के लोग करते हैं। ऐसे में उनकी आंखे भी भर आती हैं। किंतु इस परंपरा के निर्वहन के वक्त गंगा घाट ऐसे प्रतीत होते हैं, जैसे आकाश के तारे धरती पर उतर आए हों।


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