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मुरादाबाद के इस शख्स ने ईद से पहले निभाया इंसानियत का फर्ज, पहले कराया अंतिम संस्कार फिर मनाई ईद

भारतीय संस्कृति में अभी इंसानियत जिंदा है। जाति-धर्म भूलकर अगर इंसान-इंसान के काम आए यह सबसे बड़ा इंसानियत का फर्ज है। शुक्रवार को जिस वक्त मुस्लिम समाज ईद की नमाज पढ़ने व मुबारकबाद देकर अपना त्योहार मना रहा था

By Ravi MishraEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 05:12 PM (IST)Updated: Sat, 15 May 2021 05:12 PM (IST)
मुरादाबाद के इस शख्स ने ईद से पहले निभाया इंसानियत का फर्ज, पहले कराया अंतिम संस्कार फिर मनाई ईद
मुरादाबाद के इस शख्स ने ईद से पहले निभाया इंसानियत का फर्ज, पहले कराया अंतिम संस्कार फिर मनाई ईद

मुरादाबाद, तेजप्रकाश सैनी। भारतीय संस्कृति में अभी इंसानियत जिंदा है। जाति-धर्म भूलकर अगर इंसान-इंसान के काम आए यह सबसे बड़ा इंसानियत का फर्ज है। शुक्रवार को जिस वक्त मुस्लिम समाज ईद की नमाज पढ़ने व मुबारकबाद देकर अपना त्योहार मना रहा था, उस समय राशिद सिद्दीकी इंसानियत का फर्ज निभा रहे थे। डिप्टी गंज के मालती नगर निवासी एवं मुनीष मेडिकल स्टोर स्वामी अवनीश चंद्र गुप्ता की समधन(बेटी की सास) गुजरात के अहमदाबाद के आदिपुरनिवासी गीता कतिरा का कोरोना संक्रमण के चलते मुरादाबाद में गुरुवार की रात को निधन हो गया था। इनके निधन से अवनीश चंद्र गुप्ता दोहरे संकट में पड़ गए।

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दरअसल, बीती छह मई को अवनीश चंद्र गुप्ता की माता का भी निधन होने के कारण वह लालबाग श्मशान घाट में दसवां कार्यक्रम कर रहे थे। तब राशिद सिद्धीकी ने अवनीश चंद्र गुप्ता की मदद को हाथ बढ़ाए। अवनीश चंद्र गुप्ता के दो परिचत जब शुक्रवार की सुबह नौ बजे शव लेकर रामगंगा विहार श्मशान घाट पहुंचे, उससे पहले राशिद सिद्दीकी ने लकड़ी, हवन, सामग्री का इंतजाम करके अंतिम संस्कार की तैयारी कर चुके थे।

राशिद सिद्धीकी ने एम्बुलेंस से शव उतारने में न सिर्फ मदद की बल्कि चिता भी सजाई और फिर मृतक गीता कतिरा के दो स्वजनों के साथ मिलकर अंतिम संस्कार कराया। राशिद सिद्धीकी ह्ययूमन वेलफेयर सोसाइटी से जुड़े हैं। यह लावारिश शवों का भी अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करवाते आए हैं। राशिद सिद्दीकी कहते हैं कि त्योहार से पहले इंसानियत का फर्ज है। अवनीश चंद्र गुप्ता अपनी माता के दसवां कार्यक्रम में व्यस्त थे तब कोरोना संक्रमण के शव के अंतिम संस्कार के लिए इंतजार ठीक नहीं था। कहते हैं कि जाति और धर्म कुछ नहीं होता। मैंने तो सिर्फ जानकारी मिलने पर इंसानियत का फर्ज निभाया है।

नोएडा के अस्पतालों में गीता कतिरा को नहीं किया था भर्ती

अवनीश चंद्र गुप्ता की बेटी की सास यानि इनकी समधन गीता कतिरा को नोएडा के अस्पतालों ने भर्ती करने से इन्कार कर दिया था। बेटी अवनी गुप्ता ने पापा अवनीश चंद्र गुप्ता को समस्या बताई तो अवनीश चंद्र गुप्ता ने कोठीवाल रिसर्च सेंटर अस्पताल कांठ रोड में भर्ती कराया था। इसी बीच अवनीश चंद्र गुप्ता की माता का भी निधन हो गया।

इस समाज में इंसानियत अभी जिंदा है। धर्म जाति को भूलकर यदि कोई किसी के बुरे वक्त में काम आए यही सबसे बड़ा धर्म भी और कर्म भी है। जब में दोहरे संकट में था उस समय राशिद सिद्दीकी ने मदद करके इंसानियत की जिंदा मिसाल कायम की। अवनीश चंद्र गुप्ता, निवासी डिप्टी गंज 


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