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मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के नक्शे से गायब हुुई यह कालोनी, नक्शा पास कराने के लिए भटक रहे लोग

विधायक के आवास समेत पॉश गांधीनगर कॉलोनी के करीब ढाई सौ घर मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के नक्शे से गायब हैं। लेआउट नहीं मिलने की वजह से नक्शे भी पास होने में परेशानी हो रही है। नक्शे पास कराने के लिए इस क्षेत्र के लोग भटक रहे हैं।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Fri, 05 Mar 2021 04:41 PM (IST)Updated: Fri, 05 Mar 2021 04:41 PM (IST)
मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के नक्शे से गायब हुुई यह कालोनी, नक्शा पास कराने के लिए भटक रहे लोग
लेआउट नहीं मिलने की वजह से नक्शे भी पास होने में परेशानी हो रही है।

मुरादाबाद, जेएनएन।  विधायक के आवास समेत पॉश गांधीनगर कॉलोनी के करीब ढाई सौ घर मुरादाबाद विकास प्राधिकरण के नक्शे से गायब हैं। लेआउट नहीं मिलने की वजह से नक्शे भी पास होने में परेशानी हो रही है। नक्शे पास कराने के लिए इस क्षेत्र के लोग भटक रहे हैं। एमडीए की महायोजना 2021 के नक्शे से गांधीनगर के करीब तीन सौ आवास गायब हैं। इससे उनके मन में कई तरह की आशंकाएं घर कर रही हैं। मुरादाबाद की महायोजना 2021 के नक्शे में शहर के बीचों बीच स्थित गांधीनगर जैसी पॉश कालोनी नहीं है। इस कॉलोनी को प्राइवेट बिल्डर  ने वर्ष 1960 से पहले बसाई थी। उस समय मुरादाबाद नगर पालिका परिषद थी। नक्शा पास करने का अधिकार भी नगर पालिकाओं के पास ही था। बाद में एमडीए अस्तित्व में आया। इसलिए गांधी नगर कॉलोनी का ले आउट ही एमडीए के पास नहीं है। गांधीनगर, हरपाल नगर और जवाहरनगर ये तीन कालोनियां एक साथ हैं। लेकिन, अब ज्यादातर हिस्सा गांधीनगर के नाम से पहचान बना चुका है। नगर विधायक रितेश गुप्ता भी इसी कॉलोनी में रहते हैं। तीन सौ के आसपास घर इस कालोनी में हैं।

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ऐसे खुला मामला मामला 

गांधीनगर के एक व्यक्ति ने छह महीने पहले पुराने आवास को तोड़कर दोबारा से घर बनाने की तैयारी शुरू की। इसके लिए विकास प्राधिकरण में नक्शा पास कराने के लिए एमडीए की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया। लेकिन वेबसाइट पर उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया, क्योंकि वह जिस क्षेत्र के लिए आवेदन कर रहे थे, वह एमडीए के नक्शे में था ही नहीं। इसके बाद वे फार्म लेकर सीधे प्राधिकरण कार्यालय पहुंचे, तब बताया गया कि कालोनी का लेआउट नहीं होने के कारण वह उनके नक्शे में नहीं हैं। गांधीनगर का लेआउट ही एमडीए के पास नहीं है। इसलिए ऑनलाइन नक्शा पास होना संभव ही नहीं है। परेशान होकर नक्शा पास कराने के लिए पीड़ित ने आला अधिकारियों से बात की तो जवाब मिला कि गांधीनगर कॉलोनी वैध है, यह प्रूफ करने के बाद ही नक्शा पास होगा।

क्या कहना हैं अधिकारियों का 

गांधीनगर कॉलोनी वर्ष 1958 में बसी थी। इस कॉलोनी का कोई ले आउट एमडीए के पास नहीं है। इसलिए नक्शा पास होने में दिक्कत आती है। लेकिन, हम हाईरिक्स डेवलपमेंट चार्ज लेकर नक्शा पास कर रहे हैं। किसी को दिक्कत हो तो वह उनसे सीधे संपर्क कर सकता है।

सर्वेश कुमार गुप्ता, सचिव एमडीए, मुरादाबाद


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