खेत में पराली न जलाने के हैं कई लाभ, गन्ना विभाग के इन सुझावों पर करें अमल
गन्ना पर्यवेक्षकों ने गन्ने के लालसड़न रोग के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गन्ने के लालसड़न रोग पर अंकुश लगाने के लिए गंभीरता से प्रयास करने होंगे। गन्ने में सूखी पत्ती का प्रबंधन करके खेत में ही खाद बनाई जा सकती है।
मुरादाबाद। गन्ना विभाग की पहल पर गन्ना पर्यवेक्षकों ने गांवों में जाकर किसानों के साथ बैठक करके उन्हें पताई और पराली खेत में जलाने के नुकसान बताए। साथ ही इन्हें न जलाने से होने वाले लाभों की भी जानकारी दी।
त्रिवेणी चीनी मिल, रानी नांगल के अधिकारी ने जागरूकता अभियान के अंतर्गत ग्राम खूंटाखेड़ा के किसानों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से किसानों को बड़ा नुकसान होता है। चीनी मिल के अधिकारियों ने पर्यवेक्षक के साथ ग्राम लालापुर, ढकेड़ा के किसानें को जागरूक किया। कहा कि गन्ने में सूखी पत्ती का प्रबंधन करके खेत में ही खाद बनाई जा सकती है। इससे फसलों में खरपतवार भी होने का खतरा कम रहता है। इसके अलावा आलमगीरपुर गांव के किसानों के साथ बैठक करके त्रिवेणी चीनी मिल, रानी नांगल के अधिकारियों ने उनसे पराली न जलाने का आह्वान किया। गन्ना में फसल अवशेष न जलाने के लिए जागरूकता अभियान के तहत ग्राम देहरा गन्ना विकास परिषद, अगवानपुर में कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें किसानों को फसल अवशेष ना जलाने के विषय में जानकारी दी गई। इस दौरान गन्ना पर्यवेक्षकों ने गन्ने के लालसड़न रोग के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गन्ने के लालसड़न रोग पर अंकुश लगाने के लिए हमें गंभीरता से प्रयास करने होंगे। जिला गन्ना अधिकारी डॉ. अजयपाल सिंह ने बताया कि गन्ने में फैसले वाले लालसड़न रोग को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके लिए हमने तैयारी पूरी कर ली है।