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राजभर से न संगठन संभला न ही अमरोहा के प्रभारी मंत्री का पद

अमरोहा(अनिल अवस्थी)। आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा लंबे अरसे से था। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 May 2019 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2019 06:26 AM (IST)
राजभर से न संगठन संभला न ही अमरोहा के प्रभारी मंत्री का पद
राजभर से न संगठन संभला न ही अमरोहा के प्रभारी मंत्री का पद

अमरोहा(अनिल अवस्थी)। आखिर वही हुआ जिसका अंदेशा लंबे अरसे से था। प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को सरकार ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। अमरोहा जनपद के प्रभारी मंत्री बनाए जाने के बाद यहा उनका ध्यान अपना संगठन खड़ा करने पर ही केंद्रित रहा लेकिन, उनके रवैये से आजिज आकर जनवरी में एक साथ पश्चिम उत्तर प्रदेश के उनके 18 जिलाध्यक्ष साथ छोड़ गए। पिछले छह माह से उन्होंने जनपद में कदम तक नहीं रखा था।

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नियमानुसार राजभर को सरकारी योजनाओं के क्त्रियान्वयन की पड़ताल करने के लिए प्रत्येक माह कम से कम एक बार अमरोहा पहुंचना चाहिए था। शुरुआत में उनका आगमन तेजी के साथ हुआ भी लेकिन, इस दौरान उनका ध्यान अपने दायित्च के इतर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपना संगठन खड़ा करने पर अधिक रहा। इसके लिए उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी बलराज प्रजापति को जिम्मेदारी सौंपी।

प्रदेश के साथ ही अमरोहा आगमन पर जब राजभर के सुर सरकार के खिलाफ फूटने शुरू हुए तो भाजपा से उनकी दूरी बढऩे लगी। अमरोहा में प्रभावी दखल रखने वाले कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान से भी उनकी तल्खी बढऩी शुरू हो गई। कलेक्ट्रेट में बैठकों के दौरान कई बार राजभर की सार्वजनिक रूप से सरकार के खिलाफ की गई टिप्पणियों से चेतन चौहान के साथ ही अधिकारी भी असहज हो गए। इसके चलते अफसरों ने उनके संगठन के पदाधिकारियों को तवज्जो देनी बंद कर दी थी। इसके चलते संगठन की बैठकों में उनकी पार्टी के पदाधिकारी ही उनके सामने बगावती होने लगे। उनकी माग थी कि या तो वह सरकार का साथ छोड़ें या उसकी आलोचना बंद करें। इसके बावजूद राजभर नहीं मानें तो अपनी फजीहत से तंग आकर 10 जनवरी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी बलराज ड्क्षसह ने उनकी पार्टी छोड़ दी। इसके साथ ही 18 जिलाध्यक्षों ने भी इस्तीफा दे दिया। इससे राजभर का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संगठन खड़ा करने का सपना चकनाचूर हो गया। इसके बाद से राजभर अमरोहा नहीं आए थे। जिलाध्यक्ष को भी नहीं पता जिलाध्यक्ष कौन ओम प्रकाश राजभर की पार्टी के जिलाध्यक्ष धर्मवीर ड्क्षसह कहते हैं कि पार्टी हाईकमान को सरकार में रहकर उसकी आलोचना नहीं करनी चाहिए थी। वह पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं लेकिन, कुछ दिन पहले किसी ने बताया कि किसी और को जिले की कमान सौंप दी गई है। कहा कि उनके पास अभी तक उन्हें जिलाध्यक्ष के पद से मुक्त करने संबंधी कोई पत्र नहीं आया है। यहा तो हर महीने जिलाध्यक्ष बदले जाते हैं, इसलिए यह भी नहीं पता कि वह जिलाध्यक्ष हैं भी या नहीं। चेतन चौहान बोले, बहुत बर्दाश्त किया कैबिनेट मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि हमारी सरकार एक बार हुए समझौते को निभाने के लिए हरसंभव प्रयास करती है। राजभर के मामले में पानी सिर से ऊपर चला गया था। बहुत बर्दाश्त किया गया। इसके बावजूद जब उनका आचरण नहीं सुधरा तो सरकार ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है। अमरोहा में प्रभारी मंत्री का दायित्व भी राजभर नहीं निभा रहे थे।


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