सौतेली मां ने मासूम बच्चों को पीटकर घर से निकाला
मुरादाबाद के थाना भोजपुर क्षेत्र के गांव पीपलसाना में सौतेली मां के शोषण का शिकार मासूम भाई-बहन रातभर सड़कों पर भटकते रहे। उन्होंने थाने पर जाकर मदद की गुहार भी लगाई भी।
मुरादाबाद (जेएनएन) । सौतेली मां का शब्द जहन में आते ही उत्पीडऩ और शोषण करने वाली महिला की तस्वीर उभरती है। पुरानी ङ्क्षहदी फिल्मों में भी सौतेली मां की बर्बरता को खूब चित्रण किया गया है। पुरानी फिल्मों की कहानी भोजपुर में दोहराई गई। गांव पीपलसाना में सौतेली मां ने दस साल के बेटे और आठ साल की बेटी को पीटकर घर से निकाल दिया। बच्चे रात भर गांव में भटके और दिन निकलने पर थाने तक पहुंच गई।
पुलिस ने नहीं की सहायता
हैरानी की बात यह कि उन्होंने मां के जुल्म की दास्तान सुनाई तो पुलिस ने उनकी मदद करने के बजाए लिखित शिकायत मांग ली। फिलहाल बच्चों के चाचा के दिन में मुहब्बत जागी और वह बच्चों को अपने घर ले गया है।
गांव पीपलसाना निवासी दिल मोहम्मद की पत्नी मुन्नी की आठ वर्ष पूर्व मौत हो गई थी। उसके दो बच्चे मो. सैफ एवं शिफा हैं। पत्नी की मौत के कुछ दिनों बाद ही दिल मोहम्मद ने रामपुर निवासी अरमाना से निकाह कर लिया। बच्चे सैफ और शिफा भी यहीं रहते हैं।
खाना मांगने पर डंडे से पीटा बच्चों को
मंगलवार को दोनों बच्चे थाने पहुंचे और बताया कि मां पढऩे के लिए स्कूल को नहीं जाने देती है। भरपेट खाना भी नही देती तथा खाना मांगने पर पिटाई भी करती है। यह सबकुछ पिता के मजदूरी करने जाने के बाद किया जाता है। उन्होंने बताया कि उनकी अक्सर डंडों से पिटाई की जाती है। रविवार रात को खाना मांगा तो उसने दोनों को पीटा और धक्के देकर घर से निकाल दिया। दोनों पूरी रात सड़क पर बैठे रोते रहे। सुबह होने पर पड़ोसियों ने उन्हें खाना खिलाया। उसके बाद दिन भर घर के सामने ही सड़क पर बैठे रहे। परेशान बच्चों को देख गांव का रिक्शे वाला थाने के गेट पर छोड़कर चला गया। बच्चों ने बताया कि थाने गए तो पुलिस ने लिखित तहरीर लाने की बात कहकर टरका दिया। दोनो बच्चे शाम तक थाने के सामने बैठे रहे। गांव में बच्चों को घर से निकाले जाने की चर्चा हुई तो बात बच्चों के चाचा नूर मोहम्मद को पता चला। वह थाने के सामने बैठे बच्चों को अपने घर ले आया है।
भाई और भाभी को समझाऊंगा
बच्चों के चाचा नूर मोहम्मद का कहना है कि मेरा बड़ा भाई दिल मोहम्मद अपनी दूसरी पत्नी और बच्चों के साथ किराए के मकान में मुझसे दूर रहता है। मुझे बच्चों का घर से निकालने का पता चला तो मैं उन्हें घर को ले आया हूं। भाई अपनी पत्नी को लेकर ससुराल चला गया है इसलिए उससे बात नहीं हो सकी।
बच्चों की मदद को आगे आए समाजसेवी
समाजसेवी मो. नदीम का कहना है कि गरीब, कमजोर और बेसहारा की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता हूं। मुझे अब जानकारी हुई है बच्चों के उत्पीडऩ की। मैं बच्चों के पिता से बात करूंगा और कोशिश करूंगा कि बच्चों को कोई परेशानी नहीं हो। परेशानी होगी तो मदद भी की जाएगी।
पुलिस बच्चों को हक दिलाने को तैयार
थाना भोजपुर के प्रभारी अजयवीर सिंह का कहना है कि गांव चक बेगमपुर में स्थिति का जायजा लेने गया था इसलिए बच्चों के आने की जानकारी नहीं मिली। बच्चों के पिता को थाने बुलाकर सच्चाई जानी जाएगी और बच्चों के अच्छे तरीके से पालन-पोषण की हिदायत दी जाएगी।
संवाद कर दिखाएं सही रास्ता
बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता का कहना है कि बच्चों से संवाद टूट रहा है। परिवार से लेकर स्कूल तक बच्चों को सिर्फ किताबें पढ़ाई जाती हैं, ऐसे में चाहिए कि बच्चों के दोस्त बनें। कम से कम तब तक बने रहें जब तक वो 18 से 20 साल के न हो जाएं। दोस्ती का यह भरोसा आपको अर्जित करना होगा। यह महज इसलिए नहीं होगा, इसके लिए आपको रोज जिम्मेदारी भरा व्यवहार करना होगा।