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दुष्कर्म पीड़िताओं की परेशानी बढ़ा रही अव्यवस्था, मुरादाबाद की 1663 महिलाओं को न्‍याय का इंतजार

Female harassment cases in Moradabad महिला उत्पीड़न के 1663 मामले मुरादाबाद में लंबित। इंसाफ की राह में रोड़ा बनी गवाहों की अनुपस्थिति। मुकदमे के विवेचक व गवाह स्थायी नहीं होते। उनके तबादले का सीधा असर मुकदमे पर होता है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 11 Oct 2020 11:50 AM (IST)Updated: Sun, 11 Oct 2020 11:50 AM (IST)
दुष्कर्म पीड़िताओं की परेशानी बढ़ा रही अव्यवस्था, मुरादाबाद की 1663 महिलाओं को न्‍याय का इंतजार
दुष्कर्म पीड़िताओं की परेशानी बढ़ा रही अव्यवस्था।

मुरादाबाद, जेएनएन। Female harassment cases in Moradabad । उत्पीड़न की शिकार मिहलाओं पर सिस्टम का मकड़जाल भारी है। सिर्फ मुरादाबाद में महिला उत्पीड़न के 1663 मुकदमे कोर्ट में लंबित हैं। वर्षों व महीनों बाद भी इन मुकदमे में पीड़ितों को न्याय मिलने का इंतजार है। लंबित मुकदमे के इस भारी भरकम बोझ से मुक्ति तब तक नहीं मिलेगी, जब तक कि न्याय की मूल अवधारणा समूचा सिस्टम आत्मसात नहीं करता।

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मुरादाबाद के वरिष्ठ अधिवक्ता पीके गोस्वामी बताते हैं कि महिला उत्पीड़न के मुकदमे के निस्तारण के लिए सिस्टम में शामिल लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी। इंसाफ की लड़ाई में तकनीकी को आत्मसात करना होगा। दुष्कर्म के छह से सात वर्ष पुराने मुकदमों में आज तक फैसला नहीं हुआ। इसकी असल वजह सिस्टम की कार्यप्रणाली में खोट है। मुकदमे के विवेचक व गवाह स्थायी नहीं होते। उनके तबादले का सीधा असर मुकदमे पर होता है। समय से गवाही न होने के कारण न्याय मिलने में देर होती है। लंबित मुकदमों में अधिकांश ऐसे ही मामले हैं, जिनमें कोर्ट गवाहों का इंतजार कर रही है। बार-बार नोटिस के बाद भी गवाही नहीं हो रही। पीड़ित वर्षों से कोर्ट का चक्कर काट रहे हैं। इन्हें त्वरित न्याय दिलाने के लिए पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के तत्काल बाद कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करनी होगी। गवाहों के बयान भी तभी कराने होंगे। जो गवाह तबादले के कारण जिले से बाहर हों, उनकी गवाही कोर्ट में वीडियो काल के जरिए करानी होगी।

कोरोना ने बिगाड़ा कानून का खेल

संयुक्त निदेशक अभियोजन राजेश शुक्ल बताते हैं कि महिला उत्पीड़न संबंधित मुकदमे के निस्तारण में पुलिस व अभियोजन पक्ष संवेदनशील है। मुरादाबाद में पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज मुकदमे में दो माह के भीतर कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होती है। जबकि दुष्कर्म की घटनाओं में चार से पांच माह के भीतर पुलिस चार्जशीट कोर्ट में पेश कर रही है। मार्च के बाद कोरोना काल के कारण महिला उत्पीड़न संबंधित मुकदमे के निस्तारण में कमी आई है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए गवाही कराने पर विमर्श हो रहा है।

एक जनवरी से 30 सितंबर तक महिला अपराध

हत्या - 12

दुष्कर्म - 47

दहेज हत्या - 17

पॉक्सो एक्ट - 90

अपहरण - 85 


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