पैरोल पर छूटी महिला बंदियों को परिवार ने ठुकराया, कहा-इन अपराधियों को हम घर में पनाह नहीं देंगे
कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट केे आदेश पर सूबे की सभी जेलों से पेरोल पर बंदियों को रिहा किया जा रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी बंदी है जिन्हें पैरोल मिलने के बाद भी घर का सुख नहीं मिल रहा है।
मुरादाबाद [रितेश द्विवेदी]। जेल की सलाखों से बाहर आने का ख्वाब प्रत्येक बंदी देखता है। कोरोना महामारी के चलते सुप्रीम कोर्ट केे आदेश पर सूबे की सभी जेलों से पेरोल पर बंदियों को रिहा किया जा रहा है। लेकिन कुछ ऐसे भी बंदी है, जिन्हें पैरोल मिलने के बाद भी घर का सुख नहीं मिल रहा है। अपराध केे दलदल में फंस चुकी मुरादाबाद की जेल में बंद दो महिला बंदियों को उनके परिवार ने ही स्वीकार करने से मना कर दिया। एक सप्ताह जेल अफसर उन्हें परिवार की शरण में भेजने के लिए बिहार से लेकर दिल्ली तक घूमते रहे। लेकिन महिलाओं का अपराध ऐसा था, कि उन्हें कोई स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। महिला बंदियों के परिवार ने जेल अफसरों के सामने शर्त रख दी, कि चाहें गोली मार दो, लेकिन इन अपराधी महिलाओं को हम अपने घर में पनाह नहीं देंगे। थक-हारकर जेल अफसरों को महिला बंदियों को वापस जेल की कोठरी में रखने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जेल अफसरों ने बताया कि जिला कारागार से बीते एक माह में 452 बंदियों की रिहाई की गई है। जिसमें 345 बंदी अंडर ट्रायल थे, जबकि 107 बंदी सजायाफ्ता थे। यह वह बंदी थे,जिन्हें कोर्ट ने सात वर्ष की सजा दी थी, या सात वर्ष तक की सजा में अंडर ट्रायल थे। मुरादाबाद की कोर्ट से संभल के असमोली थाना क्षेत्र निवासी नसीमा को भी दो माह की पैरोल प्रदान की गई थी। संभल की असमोली थाना पुलिस ने उसे 13 मई 2016 को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। पुलिस ने अनैतिक देह व्यापार करने के मामले में उसे गिरफ्तार किया था। 11 मई 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट से उसे दो माह की पैरोल प्रदान की गई थी। इसके बाद जेल अफसर और स्थानीय पुलिस सुरक्षा में उसे संभल के असमोली स्थित घर छोड़ने गई थी। यहां पर वह एक युवक के साथ रहती थी। लेकिन जब पुलिस उस युवक के घर पहुंची तो वहां पर ताला बंद मिला। काफी तलाश के बाद उसके संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इसके बाद नसीमा ने बिहार स्थित अपने घर मां-बाप के पास जाने की इच्छा जताई। जेल अफसरों ने पुलिस की गार्द के साथ ट्रेन की टिकट बुक कराई। 15 मई को जेल अफसर पुलिस के साथ बिहार के सिवान जनपद के कोहरा कला गांव महिला बंदी को लेकर पहुंचे। लेकिन यहां पर महिला के परिवार ने उसे पहचानने से इन्कार कर दिया। पुलिस ने गांव के प्रधान से पूछताछ की, लेकिन उसने भी पहचाने से इन्कार करते इस बात को लिखकर दिया कि महिला बंदी को गांव में कोई नहीं जानता। स्वजन के इस व्यवहार से महिला टूट गई और वहीं फूट-फूट कर रोने लगी। मजबूर को होकर अफसर वापस महिला को कारागार ले आए।
पति बोला साहब गोली मार दो, लेकिन पत्नी को स्वीकार नहीं करूंगा
कारागार में दूसरा मामला अमरोहा जनपद से जुड़ा है। 14 दिसंबर 2018 को दो माह के बच्चे को पटक कर जान से मारने से मारने के मामले में पुलिस ने अमरोहा जनपद के डिडौली थाना क्षेत्र स्थित चौधरपुर गांव निवासी सुनीता को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस मामले में महिला के पति सुनील ने ही थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। 11 मई 2021 को कोर्ट से पेरोल स्वीकृत होने के बाद जेल अफसर और पुलिस की गार्द के साथ महिला बंदी को पति के घर छोड़ने के लिए गई थी। जब पुलिस ने सुपुर्दगी के लिए डिडौली थाने में पति को बुलाया तो अफसरों के सामने ही पति खुद को गोली मारने की बात कहने लगा। पत्नी ने कई बार अपने अपराध के लिए क्षमा-याचना की, लेकिन पति उसकी एक बात भी मानने को तैयार नहीं हुआ। यहां तक पुलिस को पति ने यह लिखकर दे दिया कि चाहें उसे गोली मार दी जाए, लेकिन वह अपनी पत्नी की सुपुर्दगी नहीं लेगा। उसने कहा कि जो औरत अपने बच्चे की नहीं हुई, वह मेरी क्या होगी। पति से ठुकराए जाने के बाद महिला बंदी ने मां-बाप के घर दिल्ली जाने की इच्छा जताई। इसके बाद जेल अफसर और पुलिस दिल्ली स्थित मयूर विहार फेज थ्री न्यू कोंडली के घर ले गई। घर में महिला की मां और भाई मिला। दोनों को मयूर विहार थाने में सुपुर्दगी के लिए बुलाया गया। लेकिन मां और भाई ने भी महिला की सुपुर्दगी लेने से इन्कार कर दिया। इस दौरान बंदी सुनीता मां के सामने गिड़गिड़ाती रही, लेकिन मां का दिल एक बार भी नहीं पिघला। अफसरों ने काफी समझाने का प्रयास किया, लेकिन परिवार के लोग नहीं माने। परिवार के द्वारा सुपुर्दगी न लेने पर अफसर महिला बंदी को वापस कारागार में ले आए।
कारागार में नियमों के अनुसार बंदियों के हितों का ख्याल रखा जाता है। कोर्ट पेरोल मिलने के बाद दोनों महिला बंदियों को घर भेजने का प्रयास किया गया था, लेकिन महिला बंदियों के परिवार ने सुपुर्दगी लेने से इन्कार कर दिया। जिसके बाद उन्हें वापस लाकर जेल में रखा गया है।
डॉ.वीरेश राज शर्मा,वरिष्ठ जेल अधीक्षक,मुरादाबाद कारागार
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