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मुरादाबाद में शिक्षिकाओं की मेहनत से बोलने लगीं दीवारें, बच्चों की पढ़ाई के ल‍िए क‍िया खास काम

Efforts to improve the quality of education श‍िक्ष‍िका ने अपनी जेब से पैसा खर्च करके बच्चों की पढ़ाई के लिए दीवारों पर टीचर सहायक सामग्री बनवा दी। यह दीवारें बच्चों की पढ़ाई में सहायक साबित होने लगी हैं। अब एक रीडिंग रूम बनकर तैयार हो गया है।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 04:42 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 04:42 PM (IST)
मुरादाबाद में शिक्षिकाओं की मेहनत से बोलने लगीं दीवारें, बच्चों की पढ़ाई के ल‍िए क‍िया खास काम
इससे बच्चे आसानी से गिनती और पहाड़े सीखकर मेधावी बन रहे हैं।

मुरादागाद [मोहसिन पाशा]। Efforts to improve the quality of education। दिल्ली की तर्ज पर विकास खंड, कुंदरकी के ग्राम फत्तेहपुर खास गांव के परिषदीय स्कूल की शिक्षिकाओं ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनूठी पहल की है। उन्होंने अपनी जेब से पैसा खर्च करके बच्चों की पढ़ाई के लिए दीवारों पर भी टीचर सहायक सामग्री बना दी। इस सरकारी स्कूल की दीवारें भी बच्चों की पढ़ाई में सहायक साबित होने लगी हैं। शिक्षिकाओं की ही मेहनत का नतीजा है कि स्कूल में एक रीडिंग रूम बनकर तैयार हो गया है। इससे बच्चे आसानी से गिनती और पहाड़े सीखकर मेधावी बन रहे हैं।

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मिशन प्रेरणा के तहत परिषदीय स्कूल में 287 बच्चे हैं। इसकी वजह यह है कि यहां की प्रधानाचार्य से लेकर शिक्षक और शिक्षिकाओं में दिल्ली की तर्ज पर बुनियादी शिक्षा में सुधार करने का जज्बा है। प्रदेश सरकार के मिशन प्रेरणा के तहत शिक्षिका शाजिया इशराक ने इसकी पहल की। उन्होंने कम्पोजिट परिषदीय विद्यालय की प्रधानाध्यापक मालती देवी को अपने साथ जोड़ा। इसी के साथ शिक्षक सचिन शुक्ला, शिक्षिका कौसर जहां, सिंधु रस्तोगी, साधना गौतम और विद्यालय के समस्त स्टाफ को भी अपने साथ जोड़ लिया। कोरोना संक्रमण के दौरान शिक्षिकाओं ने स्कूल को संवारना शुरू कर दिया। बच्चों के लिए स्कूल में एक रीडिंग रूम तैयार किया। इसमें बच्चों की पढ़ाई के लिए छोटे-छोटे मॉडल बनाए। इन्हें देखकर बच्चे आसानी से पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें समझने में आसानी होती है। रीडिंग रूम में ही शिक्षिकाओं ने एक पुस्तकालय की स्थापना की है। आकर्षक वातावरण, भौतिक परिवेश को भी टीचर सहायक सामग्री (टीएलएम) के द्वारा बच्चों को समझाया जा रहा है। शिक्षिकाओं के इस प्रयास से बच्चों का स्कूल में ठहराव बढ़ा है। पढ़ाई में बच्चे रुचि दिखा रहे हैं। इससे परिषदीय स्कूल से मेधावी छात्र-छात्राओं के निकलने की उम्मीद जताई जा रही है।

शिक्षिका ने खुद ही बनाई लर्निंग वॉल

शिक्षिका शाजिया इशराक ने कोराेना कॉल लर्निंग वॉल बना दी। उन्होंने अपनी कक्षा की छत तथा दीवारों पर पशु और पक्षियों के चित्र बनाए हैं। खुद ही लर्निंग के लिए दीवारों के अलावा कमरे को सजाया है। शाज़िया ने खुद के बजट से बच्चों के लिए सब्जियों तथा जानवरों के आकार का फर्नीचर का निर्माण कराया है। ट्रेन का लाइब्रेरी मॉडल भी शाजिया ने ही तैयार किया है। विद्यालय के स्टाफ ने भी इसमें सहयोग किया। रीडिंग रूम की छत से लेकर कमरे का हर कोना बच्चों के लिए पढ़ाई में सहायक बन रहा है। सबसे अहम बात यह है कि इससे शिक्षा में व्यापक सुधार होगा। बच्चों के ठहराव बढ़ेगा।


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