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तीन सालों में स्वच्छता की बदली तस्वीर, ओडीएफ बड़ी सफलता

नगर निगम का स्लोगन मुरादाबाद साफ हो जिसमें सबका हाथ हो अफसरों व कर्मचारियों का सीयूजी मोबाइल मिलाते ही सुनने को मिल जाएगा। इस स्लोगन को सार्थक बनाने में नगर निगम को थोड़ी कामयाबी मिली है लेकिन अभी चुनौतियां बहुत हैं।

By Narendra KumarEdited By: Published: Thu, 14 Mar 2019 02:52 AM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2019 12:05 PM (IST)
तीन सालों में स्वच्छता की बदली तस्वीर, ओडीएफ बड़ी सफलता
तीन सालों में स्वच्छता की बदली तस्वीर, ओडीएफ बड़ी सफलता

मुरादाबाद । नगर निगम का स्लोगन 'मुरादाबाद साफ हो, जिसमें सबका हाथ हो अफसरों व कर्मचारियों का सीयूजी मोबाइल मिलाते ही सुनने को मिल जाएगा। इस स्लोगन को सार्थक बनाने में नगर निगम को थोड़ी कामयाबी मिली है, लेकिन अभी चुनौतियां बहुत हैं। स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2019 में देश भर में रैंकिंग सुधरी तो नगर निगम गदगद हो गया। अगर नगर निगम ने रैंकिंग को सुधारने में थोड़ा और प्रयास किया होता तो देश के सौ स्वच्छ शहरों की श्रेणी में आ सकते थे। पिछले साल 274 रैंकिंग थी अबकी बार 195 रैंकिंग स्वच्छता में मिली है। महानगर में कुल 10 लाख आवादी में 4592 घरों में शौचालय नहीं थे, जिसमें 4152 घरों में शौचालय बन चुके हैं। शेष 440 घरों में निर्माण कार्य जारी है। अकेले पंडित नगला क्षेत्र की बात करें तो स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण योजना में 350 गरीब परिवारों में शौचालय नगर निगम ने बनवाए हैं। इनके अलावा सक्षम परिवारों ने स्वयं बनवाए।

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जंगल जाने की समस्या से दिलाया छुटकारा

गांव पंडित नगला निवासी ओमकार सिंह मजदूरी करते हैं। उनका चार भाइयों का परिवार खुले में शौच को जाता था लेकिन अब सभी भाइयों के घरों में शौचालय निर्माण योजना के तहत निश्शुल्क शौचालय बन गए। ओमकार कहते हैं कि मजदूरी से इतने पैसे नहीं बच पाते थे कि शौचालय बनवा सकें। नगर निगम ने शौचालय बनवाकर अब बहू-बेटी को अंधेरे में जंगल जाने की समस्या से छुटकारा दिलाया है।

निगम ने शौचालय बनवाया अब कोई चिंता नहीं

कटघर क्षेत्र निवासी रेखा रानी के पति प्रदीप प्राइवेट नौकरी करते हैं। इनका भी पूरा परिवार जंगल में शौच को जाता था। किसी मेहमान के सामने अब शर्मिंदगी झेलनी नहीं पड़ती। कहती हैं कि मेरे रिश्तेदारों के घरों में शौचालय थे। मुझे उनको बुलाने में शर्मिंदगी झेलनी पड़ती थी, लेकिन अब नगर निगम ने शौचालय बनवाया है तो कोई चिंता नहीं।

अब ढूंढने नहीं पड़ते सामुदायिक शौचालय

महानगर के 70 वार्डों के सार्वजनिक व सामुदायिक क्षेत्रों में अब शौचालय ढूंढने नहीं पड़ते। दो साल में शौचालयों की संख्या बढ़ी है। महिलाओं के लिए मुख्य बाजार टाउन हाल पर पिंक शौचालय भी बनाया गया है। शौचालयों की सफाई के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी पर निगरानी बढ़ी है, जिससे पहले से कुछ साफ रहने लगे हैं। महानगर में सार्वजनिक, सामुदायिक, यूरिनल पॉट, गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा डालने को कूड़ेदान महानगर में रखे गए हैं।

कूड़ा प्रबंधन प्लांट बंद होने से नहीं मिली अपेक्षाकृत रैंकिंग

सालिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट पिछले चार सालों से बंद है। जिससे कूड़ा निस्तारित न होने से इस मद में हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान केंद्र सरकार की टीम के सामने शर्मिंदगी झेलनी पड़ रही है। इस बार गनीमत यह रही कि कम से कम 77 अंक कूड़ा प्लांट बंद होने के बावजूद भी मिल गए। पिछले तीन साल से शून्य मिल रहा था। आइजीआरएस पर आईं शिकायतों की बात करें तो प्रदेश में दूसरे स्थान पर हमारा शहर आया है।

गीले व सूखे कूड़े के लिए अलग-अलग कूड़ेदान

-महानगर में गीला व सूखा कूड़ा डालने के लिए सभी 70 वार्डों में 650 बड़े कूड़ेदान रखे गए हैं जबकि 1000 छोटे हैंगिंग कूड़ेदान भी नगर निगम महानगर की तंग गलियों व सार्वजनिक स्थानों पर रखवा रहा है। दिल्ली रोड, कांठ रोड, रामपुर रोड पर राहगीर व ठेले के लिए यह कूड़ेदान उपयोगी साबित हो रहे हैं लेकिन इनको निरंतर साफ करने की अभी जरूरत है।

रात में शुरू हुई महानगर की सफाई

-नए नगर आयुक्त संजय चौहान ने 15 दिन पहले कार्यभार ग्रहण करते ही सबसे पहले चार दिन में पूरे महानगर में सफाई अभियान चलाया। शाम सात बजे से अभियान चला और रात 11 बजे तक महानगर को साफ किया गया। सभी 70 वार्डों में चार दिनी अभियान के दौरान ऐसा कूड़ा उठाया गया तो कभी नहीं उठता था। दिल्ली के गाजीपुर की तरह ऊपर जाकर कूड़ा डंप हो इसको लेकर सड़क भी बनाई जाएगी।


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