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मुरादाबाद में अब गन्‍ने की फसल को भी होने लगा कैंसर, जान‍िए कैसे फैलता है रोग और कैसे करें बचाव

Red rot disease in sugar cane field गन्ने की फसल के लिए लालसड़न रोग कैंसर कहा जाता है। जिस गन्ने के खेत में यह रोग लग जाए। उस खेत से गन्ने को जड़ों समेत निकाल लें। उन्हें जला दें या गहरे गड्ढे में दबा दें।

By Narendra KumarEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 09:50 AM (IST)
मुरादाबाद में अब गन्‍ने की फसल को भी होने लगा कैंसर, जान‍िए कैसे फैलता है रोग और कैसे करें बचाव
गन्ने की फसल के लिए कैंसर मानी जाती है यह बीमारी।

मुरादाबाद, जेएनएन। Red rot disease in sugar cane field। गन्ने की फसल के लिए लालसड़न रोग कैंसर कहा जाता है। यह वायरल रोग है, कोरोना की तरह इसका एक से दूसरी फसल में संक्रमण फैलता है। मुरादाबाद में इस साल 150 हेक्टेयर गन्ने की फसल को यह कैंसर खराब कर चुका है। इसलिए किसानों को अपनी फसल को इस गंभीर रोग से बचाना है।

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गन्ना विभाग से लेकर परिषद तक चीनी मिलों के सहयोग से किसानों के लिए पौध तैयार कराती हैं। नई पौध लगने से गन्ने में लालसड़न रोग होने की संभावना बहुत कम रहती है। जिला गन्ना अधिकारी डॉ. अजयपाल सिंह ने बताया कि मुरादाबाद में गन्ने की फसल में लालसड़न रोग लगने से किसान दुखी हैं। यह हमारे लिए भी चिंता की बात है। गन्ना विभाग किसानों को लालसड़न से गन्ने की फसल को बचाने के लिए लगातार टिप्स दे रहा है। किसानों को बताया जा रहा है कि फसल में लालसड़न रोग के लक्षण दिखते ही इसकी रोकथाम की कोशिश करनी शुरू कर देनी है। इस रोग को लेकर जरा भी कोताही बताने के जरूरत है। सबसे अहम बात यह है कि चीनी मिल वाले भी इस गन्ने को नहीं लेते हैं।

इस तरह बरतें सावधानी

लालसड़न वायरल रोग है। जिस गन्ने के खेत में लालसड़न रोग लग जाए। उस खेत से गन्ने की जड़ों समेत निकाल लें। उन्हें जला दें या गहरे गड्ढे में दबा दें। यह रोग कोरोना की तरह एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैसला है। हवा और कुदाल आदि से फैल जाता है। इसके लिए बीज का उपचार किया तो कॉपर युक्त रसायन से किया जा सकता। संक्रमित खेत में बीज को 52 डिग्री सेंन्टीग्रेड पानी में दो मिनट डालकर इसकी बुआई की जानी जाए। इसके बाद भी रोग के लगने की आशंका बनी रहती है। सबसे अच्छा तो यह है कि संक्रमित खेत में गन्ने के बजाए गेहूं आदि की फसल बोनी चाहिए।

इस तरह फैलता है रोग

जिला गन्ना अधिकारी ने बताया कि लालसड़न रोग के लक्षण जुलाई, अगस्त में गन्ने की फसल में दिखाई देने लगते हैं। सबसे पहले ऊपर से तीसरी और चौथी पत्ती पीली पड़ने लगती है। इसके बाद गन्ने का पूरा अगोला सूखने लगाता है फिर गन्ने के तने में लाल रंग का दिखाई देने लगता है। गांठ इतनी कमजाेर हो जाता है कि वह आसानी से टूटकर अलग हो जाती है। सफेद धब्बे होने लगते हैं। गन्ने के तने को छूने पर अल्कोहल की गंध आने लगती है। 


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