मुरादाबाद में चीनी की रिकवरी अच्छी, मंडल के किसानों को मिलेगा फायदा
किसानों के अरली वैरायटी के गन्ने की पैदावार करने की वजह ही है कि चीनी मिलों ने इस साल का गन्ना बकाए का भुगतान करना शुरू कर दिया है। परता बढ़ने से चीनी की रिकवरी अच्छी होती है। इसका सीधा लाभ चीनी मिल मालिक के साथ किसानों को होता है।
मुरादाबाद, जेएनएन। पश्चिमी यूपी में मुरादाबाद, सम्भल, अमरोहा, रामपुर, बिजनौर को गन्ने का क्षेत्र कहा जाता है। यहां के किसान इन दिनों अरली प्रजाति के गन्ने की पैदावार कर रहे हैं। इसका परता (रिकवरी) हर साल बढ़ती जा रही है। परता बढ़ने से चीनी की रिकवरी अच्छी होती है। इसका सीधा लाभ चीनी मिल मालिक की जेब से होकर किसानों तक पहुंचता है।
किसानों के अरली वैरायटी के गन्ने की पैदावार करने की वजह ही है कि चीनी मिलों ने इस साल का गन्ना बकाए का भुगतान करना शुरू कर दिया है। जिला गन्ना अधिकारी डॉ. अजयपाल सिंह ने बताया कि वर्ष 2019-20 पेराई सत्र में चीनी मिलाें ने किसानों का 11 अरब रुपये का भुगतान किया है। किसी किसान का पिछले पेराई सत्र का मिलों पर बकाया नहीं है। चालू पेराई सत्र में किसानों का 90 करोड़ का भुगतान बकाया है। मिलों ने भुगतान शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि इस बार भुगतान के लिए किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा।
चीनी मिल पेराई क्षमता
अगवानपुर 6600
बेलवाड़ा 6400
बिलारी 6400
रानीनांगल 4400
गन्ने की पौध तैयार करके लाखों कमा रहीं महिलाएं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा मिशन शक्ति अभियान के तहत महिला सशक्तीकरण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। महिलाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध करने के लिए प्रदेश के 36 गन्ना बाहुल्य जिलों में अब तक 820 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है, जिसमें 9,197 महिला उद्यमी पंजीकृत हैं। इन समूहों से जुड़ी 9,011 महिलाओं को सिंगल बड चिप के सीडलिंग तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है। महिला समूहों द्वारा अब तक तीन करोड़ 71 लाख सीडलिंग की स्थापना कराई है। इससे तीन करोड़ 29 लाख सीडलिंग की बिक्री कर महिला समूहों ने 9.87 करोड़ की आमदनी होगी। “मिशन शक्ति” अभियान के अन्तर्गत आयोजित होने वाली इन कार्यशालाओं में ग्रामीण महिलाओं को गन्ने की खेती में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने के विषय में जानकारी दी जा रही है। इससे ग्रामीण महिलाओं में उद्यमिता की भावना विकसित हो रही है तथा ग्रामीण अंचल की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं।