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मुरादाबाद में एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक समेत 11 के खिलाफ मुकदमा, दो करोड़ 23 लाख रुपये का गबन

धान खरीद की आड़ में करीब सवा दो करोड़ रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट का मामला प्रकाश में आया है। सरकारी धन लूटने के आरोपित एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक व डिलारी क्रय केंद्र की संचालिका समेत 11 लोगों के खिलाफ डिलारी पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।

By Narendra KumarEdited By: Published: Fri, 12 Mar 2021 06:47 AM (IST)Updated: Fri, 12 Mar 2021 06:47 AM (IST)
मुरादाबाद में एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक समेत 11 के खिलाफ मुकदमा, दो करोड़ 23 लाख रुपये का गबन
आरोपितों में तीन राइस मिलर भी शामिल हैं।

मुरादाबाद, जेएनएन। धान खरीद की आड़ में करीब सवा दो करोड़ रुपये के सरकारी धन के बंदरबांट का मामला प्रकाश में आया है। सरकारी धन लूटने के आरोपित एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक व डिलारी क्रय केंद्र की संचालिका समेत 11 लोगों के खिलाफ डिलारी पुलिस ने गबन व धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है। आरोपितों में तीन राइस मिलर भी शामिल हैं।

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जिला खाद्य व विपणन अधिकारी संजीव कुमार राय ने डिलारी पुलिस को तहरीर दी। बताया कि वर्ष 2020-21 में मूल्य समर्थन योजना (एमएसपी) तहत राज्य खाद्य निगम (एसएफसी) के डिलारी धान क्रय केंद्र से 2445.24 टन धान की खरीद की गई। एसएफसी के जिला प्रबंधक मनोज कुमार श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि कुमार ट्रेडिंग कंपनी पर 749.04 टन, कृष्णा इंटरप्राइजेज मिल पर 952.76 टन व महादेव राइस मिल को 743.44 टन धान क्रय डिलारी क्रय केंद्र से भेजा गया। एसएफसी प्रबंधक द्वारा उपलब्ध कराए आंकड़ों की जांच की गई। तब पता चला कि कृष्णा इंटरप्राइजेज ने सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) 638.34 टन की तुलना में महज 144.79 टन, महादेव राइस मिल ने 498.10 टन के सापेक्ष सिर्फ 145.00 टन भारतीय खाद्य निगम को भेजा है। ऐसे में कृष्णा इंटरप्राइजेज मिल पर 493.55 टन व महादेव राइस मिल पर 353.10 टन धान एसएफसी के डिलारी क्रय केंद्र का बकाया मिला। आंकड़ों में बड़े पैमाने पर मिली हेराफेरी ने संदेह को बल दिया। सम्भागीय खाद्य नियंत्रक ने तत्काल सम्भागीय खाद्य विपणन अधिकारी की अध्यक्षता में एक जांच टीम का गठन किया। टीम में एसएफसी के क्षेत्रीय प्रबंधक के अलावा सदस्य के रूप में जिला खाद्य विपणन अधिकारी व विपणन निरीक्षक ठाकुरद्वारा शामिल किए गए। टीम से तत्काल सत्यापन रिपोर्ट मांगी गई। इस बीच सत्यापन कमेटी कृष्णा इंटरप्राइजेज पर पहुंची। टीम ने जांच के बाद पाया कि आपसी मिलीभगत से धान के रिकार्ड में हेरा फेरी की गई है। बिना धान खरीद किए ही फर्जी तरीके से दिखाकर 2.23 करोड़ रुपये का भुगतान करा लिया गया है। इसके चलते गबन के आरोप में 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।


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