प्रतियोगिताओं में सोना जीतकर बेटिया बन रहीं सोन चिरैया
मुरादाबाद(अनुज मिश्र)। आर्थिक तंगी बदहाली और सुविधाओं के अभाव में चमकने का हुनर कोई बेटि
मुरादाबाद(अनुज मिश्र)। आर्थिक तंगी, बदहाली और सुविधाओं के अभाव में चमकने का हुनर कोई बेटियों से सीखे, जिनकी प्रतिभा के आगे मुसीबतों ने भी घुटने टेक दिए। कुछ ऐसी ही कहानी है सोनकपुर स्पोर्ट्स स्टेडियम की महिला खिलाडिय़ों की। जहा अपनी मेहनत के बल पर बेटिया मैदान से सोना निकाल अपनी पापा की <स्हृद्द-क्तञ्जस्>सोन चिरैया' बन रही हैं।
किसी के पापा आटो ड्राइवर हैं तो किसी के पापा खेती कर परिवार चलाते हैं। बेटियों ने इसको कभी अपनी कमजोरी नहीं माना, वह पापा की संबल बनीं। हर चुनौती से लड़ीं। लिहाजा बेटियों की मेहनत रंग लाई। आज कम उम्र में ही बेटिया राष्ट्रीय फलक पर परिवार, शहर और देश का नाम रोशन कर रही हैं। पेश है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर छह महिला खिलाडिय़ों से बातचीत के अंश। देश के लिए सोना जीतना है सपना काठ की रहने वाली यासमीन नेशनल कुश्ती खिलाड़ी हैं। पिता ड्राइवर हैं। पटना में राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया। राज्य स्तरीय कुश्ती में वह सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं। यासमीन का सपना है देश के लिए खेल स्वर्ण पदक हासिल करना। लिहाजा उनकी पढ़ाई के साथ समय पर मैदान पहुंचने की ललक का हर कोई कायल है। सफलता के लिए जिद्दी होना जरूरी पिता अशोक कुमार आटो चालक। बेटी पायल का बस एक सपना, हैंडबाल में देश का नाम रोशन करना। हैंडबाल में पायल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में सोना जीत चुकी हैं। स्टेट सब जूनियर प्रतियोगिता में वह सिल्वर पदक हासिल कर चुकी हैं। पायल कहती हैं कि सफलता के लिए दिल जिद्दी होना चाहिए, मुसीबतें खुद ब खुद तम तोड़ देती हैं। पदक हासिल कर बढ़ाया मान महलकपुर की रहने वाली फागुन सुमन बॉक्सिंग की राज्य स्तरीय खिलाड़ी हैं। राज्य स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में वह सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भी उन्होंने कई पदक अपने नाम किए। बीते छह साल से वह बॉक्सिंग के मैदान पर पसीना बहा रही हैं, कहती हैं देश के लिए खेलने पर जीवन सफल हो जाएगा। बेटिया किसी से कम नहीं कुश्ती की नेशनल खिलाड़ी शीतल राजपूत राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में कास्य पदक जीत चुकी हैं। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में वह सिल्वर मेडल हासिल करने में कामयाब रहीं। पिता राजकुमार लोधी राजपूत एक्साइज डिपार्टमेंट में है। शीतल कहती हैं कि बेटिया कभी कमतर नहीं रहीं, हमेशा वह आगे रहीं, आज दुनिया बेटियों का लोहा मान रही है। प्रतिभा से घर महका रहीं महक महक अपनी प्रतिभा से घर में महक फैला रही हैं। कक्षा नौ की छात्रा महक राष्ट्रीय स्तर की सब जूनियर हैंडबाल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल कर चुकी हैं। नियमित रूप से स्टेडियम पहुंच वह हैंडबाल की बारीकिया सीख रही हैं। महक कहती हैं कि बेटिया किसी से पीछे नहीं हैं। हर क्षेत्र में बेटिया देश और परिवार का नाम रोशन कर रही हैं। लक्ष्य पर डटे रहने की जरूरत दीप्ति योग की इंटरनेशनल खिलाड़ी होने के साथ ही योग की इंटरनेशनल रेफरी भी हैं। बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें फिजिकल एजुकेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की ओर से बेस्ट फीमेल योग ट्रेनर का अवार्ड भी मिल चुका है। दीप्ति कहती हैं कि बेटियों के लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं है। बस जरूरत है लक्ष्य पर डटे रहने की। जीत जरूर होगी।