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लाजपत नगर में सीता स्वयंवर दीनदयाल नगर में निकाली राम बरात

जागरण संवाददाता मुरादाबाद। बुधवार को श्री रामकथा मंचन समिति लाजपत नगर मुरादाबाद के तत्वाधान

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 02:17 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 02:17 AM (IST)
लाजपत नगर में सीता स्वयंवर दीनदयाल नगर में निकाली राम बरात
लाजपत नगर में सीता स्वयंवर दीनदयाल नगर में निकाली राम बरात

जागरण संवाददाता, मुरादाबाद। बुधवार को श्री रामकथा मंचन समिति लाजपत नगर मुरादाबाद के तत्वाधान में धनुष यज्ञ सीता स्वयंवर एवं लक्ष्मण परशुराम संवाद का मंचन किया गया। इससे पूर्व मंचन में दिखाया कि राजकुमारी सीता धनुष लेकर आती हैं और सभा के बीच रखकर पूजन कर चली जाती हैं। फिर राजा जनक प्रतिज्ञा दोहराते हैं जो इस धनुष को तोड़ेगा उसके गले में ही राजकुमारी वरमाला डालेंगी।

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तमाम राजाओं द्वारा धनुष ना तोड़ने पर राजा जनक कहते हैं कि पृथ्वी पर इस योग्य कोई नहीं है क्या जो धनुष को तोड़ कर मेरी बेटी का वरण कर सके विश्वामित्र राम को आज्ञा देते हैं और राम उठकर धनुष को तोड़ देते हैं धनुष तोड़ते हैं पृथ्वी कांप जाती है औरकैलाश पर तपस्या कर रहे भगवान परशुराम की तपस्या भंग हो जाती है और वह दिव्य ²ष्टि से देखते हैं कि यह भूकंप क्यों आया और वह जनकपुर की ओर चल देते हैं उधर सीता भगवान राम के गले में वरमाला डालती है देवता लोग फूलों की वर्षा करते हैं तभी परशुराम का आगमन होता है। वह पूछते हैं यह धनुष किसने तोड़ा? तभी लक्ष्मण उठकर आते हैं और कहते हैं यह पुराना धनुष टूट गया तो आप इतने क्यों बिगड़ रहे हैं। इस धनुष से आपका पुराना लगाव लगता है और फिर लक्ष्मण परशुराम संवाद होता है। इधर, श्री रामलीला समिति के तत्वाधान में रामलीला मंचन श्री राम की बारात के साथ प्रारंभ हुआ। भगवान श्री राम का तिलक श्री राम लीला समिति के महामंत्री पीयूष कुमार गुप्ता ने किया। तत्पश्चात श्री राम जी बारात नवीन नगर बाजार से होते हुए दुर्गा मंदिर, दीनदयाल नगर में होते हुए युवा केंद्र मंचन स्थल पहुंची। तत्पश्चात श्री राम का माता सीता के साथ विवाह मंचन हुआ। इसके बाद राजतिलक की तैयारी का मंचन किया गया। दशरथ-कैकई संवाद, भगवान श्रीराम को वनवास का प्रसंग किया गया व भगवान श्री राम का वन गमन और केवट संवाद का प्रसंग भी हुआ।

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इनसेट

रावण धोखे से हर ले गया सीता लाजपत नगर की रामलीला में सूर्पणखां की नाक भंग करने और सीता हरण का मंचन दिखाया गया। सूर्पणखां के नाक बंद होने पर खर दूषण के पास जाती है। राम और रावण से युद्ध में दोनों भाई मारे जाते हैं फिर वह रावण के पास रोते हुए अपनी व्यथा सुनाती है इस पर रावण ने मारीच का सहारा लेकर साधु का भेष धर के सीता हरण कर लिया।

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