मरकर जिंदा हुआ श्रीकेश 107 घंटे तक रहा जीवित, डॉक्टरों ने दो घंटे तक छिपाए रखा राज, यहां पढ़ें पूरा मामला
Told dead to Alive Patient मुरादाबाद नगर निगम का एक कर्मी मरने के बाद जी उठा। मोर्चरी में धड़कन चलना महसूस होने पर स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई। मोर्चरी से दोबारा उसे अस्पताल में भर्ती कर उसका इलाज शुरू किया गया था। हालांकि बाद में उसकी मौत हो गई।
मुरादाबाद, जागरण संवाददाता। Told dead to Alive Patient : नगर निगम कर्मचारी की मौत को लेकर डाक्टर भी सतर्क रहे। दो घंटे तक डाक्टरों ने श्रीकेश की मौत का राज छिपाए रखा। चिकित्सकों के पैनल द्वारा परीक्षण करने के बाद रात साढ़े नौ बजे मृत घोषित किया गया। इस बात को लेकर स्वजन भी परेशान थे। क्योंकि डाक्टर ने उन्हें तो बता दिया था कि अब इनमें कुछ नहीं है। लेकिन, बाहरी लोगों से मना कर दिया कि अभी श्रीकेश की सांसें चल रहीं हैं।
18 नवंबर गुरुवार की शाम मंडी समिति रोड पर निगम निगम कर्मचारी श्रीकेश को सड़क हादसे में घायल हो गए थे और सिर में गंभीर चोट आई थी। स्वजन इलाज कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे। एक-एक कर चार अस्पताल लेकर गए। कांठ रोड के निजी अस्पताल ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिवार के लोग 19 नवंबर की रात तीन बजे उसे लेकर जिला अस्पताल आए। यहां भी आपातकालीन कक्ष में चिकित्सक डाॅ. मनोज यादव ने मृत घोषित कर शव गृह में रखवा दिया था। रात साढ़े तीन बजे से सुबह साढ़े 10 बजे तक वह शव गृह के स्लैब पर पड़ा रहा। पंचनामे के लिए दारोगा ने स्वजन को बुलाया तो पत्नी दीक्षा ने धड़कन महसूस की थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल मच गई। आपातकालीन कक्ष में लाने के बाद दोपहर 2:30 बजे मेरठ मेडिकल कालेज के लिए डाक्टरों ने रेफर कर दिया था। श्रीकेश को वहां तीन बोतल खून चढ़ाया गया। इसके बाद भी स्थिति कंट्रोल नहीं हुई। उनके हाथ-पांव में हरकत तो थी। लेकिन दिमाग में खून के थक्के जमने की वजह से आपरेशन के लिए डाक्टरों ने मना कर दिया था। मंगलवार की शाम न्यूरोसर्जन ने स्वजन को यह तो बता दिया कि अब इनमें कुछ नहीं है। लेकिन, बाहर के लोगों से दो घंटे बाद बताया गया। इस बीच डाक्टरों के पैनल ने परीक्षण किया। इसके बाद रात साढ़े नौ बजे मृत घोषित किया गया। डाक्टरों का कहना है कि श्रीकेश को जल्द उपचार मिल जाता तो दिमाग में खून के थक्के इतने नहीं जमते।