गजरौला में तीन माह भी नहीं टिकता थानेदार,जानिए क्या है पूरा मामला Amroha news
गजरौला थाने में तीन साल के अंदर बारह थानेदार इधर से उधर हो गए। इसके पीछे गजरौला में बढता अपराध माना जा रहा है। इसी के तहत फिर एक बार प्रभारी और दारोगा पर गाज गिरी।
मुरादाबाद । तीन साल में गजरौला थाने में 12 थानेदार आए और चले गए। इनमें एक-दो को छोड़कर कोई भी इस कुर्सी पर तीन माह से अधिक समय तक नही टिक पाया। इसे भले ही मलाईदार कुर्सी माना जाता हो मगर यह कांटों भरे ताज से कम नहीं है।औद्योगिक नगरी न सिर्फ राजनीति का गढ़ है बल्कि अपराध के मामलों में भी काफी आगे है। हाईवे पर कब, कहां, किस समय लूट, हादसा या अन्य कोई घटना घट जाए, पता नहीं रहता है। इन सबके बावजूद क्राइम पर कंट्रोल रखना भी थानेदार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। यही कारण है कि वर्ष 2017 में प्रभारी निरीक्षक प्रवीन कुमार के हटने के बाद से 12 प्रभारी निरीक्षक बदले जा चुके हैं। प्रवीन कुमार या अशोक शर्मा के अलावा कोई भी थानेदार तीन माह से अधिक का समय इस थाने में नहीं काट पाया है।
कठेरिया 22 तो संतोष कुमार टिक महज 20 दिन
तीन साल में सबसे कम समय प्रभारी निरीक्षक ऋषिराम कठेरिया व संतोष कुमार रहे। ऋषिराम कठेरिया की तैनाती 23 अप्रैल 2017 को हुई और 14 अप्रैल 2017 को तबादला हो गया। मात्र 22 दिन ही चार्ज संभाला। ऐसे ही संतोष कुमार 23 अप्रैल 2018 को चार्ज संभाला और 13 मई 2018 यानी 20 दिन में ही लाइन हाजिर हो गए।
नीरज को छोड़ सब पर गिरी गाज
औद्योगिक नगरी के थाने में तीन साल में 11 प्रभारी निरीक्षक हटे। खास बात यह है कि हटने वाले सभी प्रभारी निरीक्षकों के ऊपर गाज गिरी। डीके शर्मा से पहले नीरज कुमार ही ऐसे प्रभारी निरीक्षक थे जिन्हें यहां से हटाकर एसओजी टीम का प्रभारी बनाया गया। अन्यथा 2017 के बाद यहां तैनात सभी कोतवाल लाइन हाजिर हुए।
डीके शर्मा के दौर में बढ़ा अपराध का ग्राफ
प्रभारी निरीक्षक डीके शर्मा स्थानीय थाने में तीन माह से अधिक रहे। इन तीन माह में सात हत्याएं, एक सामूहिक दुष्कर्म व कुकर्म की वारदात भी हुई। दो लूट के अलावा चोरियों का सिलसिला भी कम नहीं रहा। गांव ओसिता जगदेपुर छात्र की हत्या का अभी तक सुराग नहीं लगा है। गांव फौंदापुर के ग्राम प्रधान पति की हत्या भी कयासों में झूल रही है।