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Shabnam Mass Murder Case: शबनम की फांसी रोकने के लिए दर्ज केस मानवाधिकार आयोग ने 24 घंटे में किया खारिज, दिया ये हवाला

Shabnam Amroha Mass Murder Case बावनखेड़ी में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सात लोगों का गला काट कर मौत की नींद सुलाने वाली शबनम एक बार फिर चर्चा में है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केस दर्ज करने के 24 घंटे बाद उसे खारिज कर दिया है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 06:17 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 08:14 PM (IST)
Shabnam Mass Murder Case: शबनम की फांसी रोकने के लिए दर्ज केस मानवाधिकार आयोग ने 24 घंटे में किया खारिज, दिया ये हवाला
Shabnam Mass Murder Case शबनम की फांसी रुकवाने के लिए दर्ज केस मानवाधिकार आयोग ने 24 घंटे में किया खारिज

मुरादाबाद, जेएनएन। Shabnam Amroha Mass Murder Case : अमरोहा बावनखेड़ी में प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के सात लोगों का गला काट कर मौत की नींद सुलाने वाली शबनम एक बार फिर चर्चा में है। रामपुर निवासी आरटीआइ एक्टिविस्ट दानिश खान द्वारा उसकी फांसी की सजा रोने या महिला जल्लाद से फांसी दिलाए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में केस दर्ज कराया था। केस दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर आयोग ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए उसे खारिज कर दिया है। हवाला दिया है कि यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में विचाराधीन है।

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अमरोहा के हसनपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव बावनखेड़ी निवासी शबनम ने बीती 13-14 अप्रैल 2018 की रात को गांव के ही प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता शौकत अली समेत परिवार के सात लोगों की गला काट कर हत्या कर दी थी। पुलिस ने घटना का पर्दाफाश करते हुए शबनम व सलीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इस मामले में शबनम व सलीम को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। राष्ट्रपति भी शबनम की दया याचिका को खारिज कर चुके हैं।

जबकि बीती 18 फरवरी को शबनम के अधिवक्ता ने फिर से राज्यपाल के पास दया याचिका दायर की है। जोकि विचाराधीन है। अब इस मामले में रामपुर निवासी आरटीआइ एक्टिविस्ट दानिश खां ने बीती 22 फरवरी 2021 को शबनम की फांसी पर रोक लगाने के संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष केस दर्ज कराने के लिए आवेदन किया था। उनका कहना था कि शबनम पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है तथा वह सीबीआइ जांच कराने की मांग कर रही है। लिहाजा फिलहाल शबनम की फांसी पर रोक लगाई जाए।

यदि फांसी पर रोक नहीं लगाई जा सकती को महिला जल्लाद से फांसी दिलाई जानी चाहिए। इस बारे में दानिश खां ने बताया कि गुरुवार 20 मई को आयोग ने उनके आवेदन पर केस दर्ज कर लिया था। परंतु 24 घंटे के भीतर ही आयोग ने यह कहते हुए केस खारिज कर दिया कि यह मामला बहुचर्चित है तथा न्यायिक प्रक्रिया के तहत विचाराधीन है।

सीजेआइ को लिखेंगे पत्र

अमरोहा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा शबनम प्रकरण का केस खारिज किए जाने के बाद दानिश खान देश के मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखेंगे। उन्होंने बताया कि शबनम को अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है। परंतु मानवाधिकार के नाते शबनम द्वारा सीबीआइ जांच कराने की मांग पर विचार किया जाना चाहिए। इस संबंध में वह देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) को पत्र लिखेंगे। जरुरत पड़ी तो अंतर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी अवगत कराएंगे। 


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