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सात महीने बाद ठाकुरद्वारा डबल मर्डर का पुलिस ने किया राजफाश, संपत्ति के लिए चचेरे भाई ने की थी दंपती की हत्या

सात माह से सिरदर्द बने ठाकुरद्वारा डबल मर्डर का बुधवार को राजफाश हो गया। पुलिस के मुताबिक केबल कारोबारी प्रशांत वर्मा व उसकी पत्नी मोना वर्मा को मौत के घाट उतारने वाला कोई और नहीं बल्कि मृतक का चचेरा भाई सुनील वर्मा ही निकला।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 09:30 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 09:30 PM (IST)
सात महीने बाद ठाकुरद्वारा डबल मर्डर का पुलिस ने किया राजफाश, संपत्ति के लिए चचेरे भाई ने की थी दंपती की हत्या
सात माह से सिरदर्द बने ठाकुरद्वारा डबल मर्डर का बुधवार को राजफाश हो गया।

मुुरादाबाद, जेएनएन। सात माह से सिरदर्द बने ठाकुरद्वारा डबल मर्डर का बुधवार को राजफाश हो गया। पुलिस के मुताबिक केबल कारोबारी प्रशांत वर्मा व उसकी पत्नी मोना वर्मा को मौत के घाट उतारने वाला कोई और नहीं बल्कि मृतक का चचेरा भाई सुनील वर्मा ही निकला। परिस्थिति जन्य साक्ष्य व वारदात में प्रयुक्त बरामद चाकू के आधार पर हत्यारोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

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ठाकुरद्वारा क्षेत्राधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि पीपल टोला आर्य नगर के रहने वाले प्रशांत वर्मा उर्फ मोहित व उसकी पत्नी मोना वर्मा की 29 जून 2020 को रात करीब नौ बजे हत्या कर दी गई थी। मृतक के फुफेरे भाई संजय वर्मा की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करते हुए पुलिस ने कातिल की तलाश शुरू की। सात माह से भी अधिक वक्त तक चली विवेचना में पुलिस के हाथ ऐसा कोई ठोस सुराग नहीं लगा। इस बीच मृतक की बंद अलमारी में उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर और मुरादाबाद के उच्चाधिकारियों को संबोधित पत्र की कई प्रतियां पुलिस के हाथ लगीं। ये पत्र प्रशांत वर्मा ने लिखा था। इसमें न सिर्फ संपत्ति विवाद में स्वयं की हत्या होने की आशंका जताई, बल्कि इसके लिए कुसूरवार चचेरे भाई सुनील वर्मा को बताया। शिकायती पत्रों को आधार बनाकर पुलिस ने कातिल की तलाश शुरू की।

कातिल के गिरेबान तक ऐसे पहुंची पुलिस

छानबीन में पता चला कि प्रशांत वर्मा अपने पिता स्व. जगदीश शरण वर्मा का इकलौता दत्तक पुत्र था। प्रशांत के नाम ठाकुरद्वारा ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के जसपुर में भी करोड़ों रुपये की भूमि थी। कातिल की तलाश में पुलिस ने उन लोगों को केंद्र में रखकर जांच का दायरा बढ़ाया, जो दंपती की मौत बाद कानूनी रूप से उनकी संपत्ति के वारिस बनते। संदेह के आधार पर तीन दर्जन लोगों से पूछताछ हुई। जगदीश शरण वर्मा की मृत्यु के बाद उनके भाई चंद्रपाल वर्मा के पुत्र सुनील वर्मा ने चाचा के बेशकीमती संपत्ति पर अपना हक जताते कानूनी दावा किया था। विरासत के रूप में संपत्ति स्वयं के नाम करने की अर्जी न्यायालय में दाखिल की। इसको लेकर प्रशांत व सुनील वर्मा के बीच विवाद बढ़ गया। रणनीति के तहत सुनील ने प्रशांत वर्मा से समझौता कर लिया।

ऐसे रची डबल मर्डर की साजिश

फरवरी 2020 में प्रशांत को विश्वास में लेकर सुनील वर्मा ने बिचौलिए के रूप में जसपुर की जमीन का सौदा दो करोड़ 11 लाख रुपये में सूरज नगर निवासी ललित कुमार से तय किया। जबकि, प्रशांत कुमार को तय रकम महज 84 लाख रुपये ही बताई गई। सौदे की रकम में से 77 लाख रुपये का चेक सुनील वर्मा ने खुद ले लिया। जबकि सात लाख रुपये प्रशांत वर्मा को दिए। एग्रीमेंट के मुताबिक 30 जून को भूमि का बैनामा होना था। लिहाजा प्रशांत वर्मा बैनामा से पहले बकाया रकम चुकता करने का दबाव चचेरे भाई सुनील वर्मा पर बनाने लगा। 29 जून को दिन में दोनों के बीच मोबाइल फोन पर बात भी हुई। बातचीत मेें प्रशांत भड़क उठा। गुस्से में उसने अपना मोबाइल जमीन पर पटक दिया। टूटा मोबाइल रिपेयर करने के लिए दुकान पर दिया। फोन बंद होने से परेशान सुनील वर्मा बातचीत के बहाने प्रशांत के घर पहुंचा। बातचीत के दौरान मोना ने दोनों को चाय पिलाई। प्रशांत वर्मा टॉयलेट चला गया। तभी सुनील वर्मा ने गला दबाकर मोना वर्मा की हत्या कर दी। प्रशांत वर्मा जब टॉयलेट से लौटा तो दरवाजे पर सुनील ने उसे दबोच लिया। फिर प्रशांत का गला छुरी से रेत दिया।

पड़ोसन ने खटखटाया था प्रशांत का दरवाजा

पड़ोसन ने शादी में बची आइसक्रीम फ्रिज में रखवाने के लिए प्रशांत का दरवाजा खटखटाया था। दरवाजा न खुलने पर वह वापस लौट गईं। तब हत्यारोपित सुनील वर्मा फरार हो गया। दरवाजा खुलने पर उसके साथ डॉगी जिंजर भी निकल गया। इसके बाद डागी मृतक के फुफेरे भाई संजय वर्मा के घर पहुंचा। संजय के घटनास्थल पर पहुंचने पर दोहरे हत्याकांड का पता चला।


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