संजय के नोट दिलाते हैं इतिहास की याद, जानें कैसे Sambhal News
नोटों के कलेक्शन के साथ संजय अरोरा व उनकी पत्नी गीता अरोरा।
भगवंत सिंह, चन्दौसी (सम्भल) : अगर दिल में सच्ची लगन हो तो कोई भी मुकाम हासिल करना मुश्किल नहीं होता। इसकी बानगी पेश की है चन्दौसी के मुहल्ला गोलागंज निवासी संजय अरोरा ने। उन्होंने अपने शौक और जुनून की वजह से एक अनोखा संग्रह तैयार किया है। आपने अभी तक डाक टिकट, पुराने सिक्के, सिगरेट और माचिस के कवर आदि एकत्रित करने वालों के बारे में सुना होगा लेकिन, संजय ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने प्रमुख घटनाओं की तारीख बताते नोट एकत्रित कर रखे हैं।संजय के पास 50 हजार ऐसे नोट हैं, जिनके नंबर देश-विदेश की किसी न किसी घटना या महापुरुष की जन्मतिथि या मृत्युतिथि से जुड़े हुए हैं। शायद आपको याद न हो कि रेल का पहला इंजन पटरी पर कब दौड़ा, देश की पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन का अविष्कार कब हुआ, शाहजहां की मौत किस दिन हुई या फिर दिल्ली को राजधानी बनने का गौरव किस दिन हासिल हुआ। वल्र्ड ट्रेंड सेंटर पर हमले की तारीख, सेप्टीपिन अविष्कार की तारीख, राजकपूर, नरेन्द्र मोदी, इन्दिरा गांधी, बिल गेट्स, अटल बिहारी वाजपेयी, मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ, जार्ज बुश, एश्वर्य राय बच्चन, अभिताभ बच्चन, शाहरुख खान आदि से जुड़ी तारीखों समेत देश विदेश की सैकड़ों घटनाएं ऐसी है जिनकी तारीखें याद रखना आसान नहीं है लेकिन, संजय के नोटों के कलेक्शन को देखने से यह मुश्किल आसान हो जाती है।
786 अंक के भी हैं दीवाने
संजय की 786 अंक के लिए भी दीवानगी इतनी ज्यादा है कि उनके पास इस अंक की दो हजार चीजें हैं। उनके पांच मोबाइल नंबर ऐसे हैं जिनके अंत का नंबर 786 है।
कैसे मिली प्रेरणा
संजय बताते हैं कि कई साल पहले एक अखबार में बल्ब के जनक थामस एडीसन की जीवनी पड़ी थी। उसमें लिखी एडीसन की एक बात मेरे दिल को छू गई। उन्होंने कहा था कि वह ऐसे दो हजार तरीके जानते हैं जिनसे बल्ब नहीं बन सकता है। इसी बात को लेकर इतना बड़ा कलेक्शन कर लिया। आज उनके पास ढाई लाख रुपये की कीमत के नोट हैं।
कक्षा सात तक पढ़े हैं संजय
संजय अरोरा यूं तो कक्षा सात तक ही पढ़े हैं लेकिन, उनकी इच्छा आसमान छूने की है। वह चाहते हैं कि उनका नाम लिमका बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो। साथ ही वह अपना कलेक्शन राष्ट्रपति को दिखाना चाहते हैं।
क्या कहती हैं पत्नी गीता अरोरा
गीता अरोरा कहती हैं कि 1999 में जब उनकी शादी हुई थी तो संजय पर 786 नंबरों के नोटों का कलेक्शन एकत्र करने का जुनून सवार था। सुबह से देर रात तक नोटों को छाटने में लगे रहते थे और मुझसे बोलते भी नहीं थे। कभी कभार गुस्सा भी आ जाता था लेकिन, आज उनकी लोकप्रियता से खुशी होती है।